05-Jun-2019 05:46 AM
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लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब कांग्रेस में सर्जरी का दौर शुरू हो गया है। आलाकमान मप्र कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रहा है। प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही प्रमुख पदों पर जल्द की नियुक्तियों का दौर शुरू होगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सक्रिय नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद मप्र कांग्रेस के भीतर घमासान शुरू हो गया है। एक तरफ जहां राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हुए हैं, तो दूसरी तरफ अलग-अलग प्रदेशों से कांग्रेस प्रभारी खुद को जिम्मेदार बताते हुए लगातार इस्तीफा दे रहे हैं। मप्र में भी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पद छोडऩे की इच्छा जताई है। इसके साथ ही संगठन के भीतर से बदलाव के स्वर मुखर हो रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस संगठन में एक माह के अंदर बड़े बदलाव किए जाएंगे। इस बात का संकेत प्रदेश प्रभारी और अभा कांग्रेस कमेटी के महासचिव दीपक बाबरिया भी दे चुके हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए कई नेताओं के नाम चर्चा में बने हुए हैं। इस पद के दावेदारों के समर्थक अपने-अपने नेता के नामों को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। ऐसे में किसी एक नाम पर दावा किया जाना मुश्किल हो गया है। जिन नामों की चर्चा है उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, अजय सिंह, पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव के अलावा कांतिलाल भूरिया के नाम भी शामिल हैं। केन्द्रीय नेतृत्व के सामने सबसे बड़ा संकट यह है कि इस पद के अधिकांश दावेदार अपने इलाके के साथ ही अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में इस करारी हार के बाद बदलाव जरूरी है, लेकिन इसका रास्ता ऊपर से नीचे की तरफ होगा। बदलाव होगा लेकिन इसकी शुरुआत कांग्रेस वर्किंग कमेटी से तय है और मुझे लगता है कि तब तक कमलनाथ सीएम के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष भी बने रहेंगे। उधर, भले ही कमलनाथ ने प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात से साफ इंकार कर दिया हो, लेकिन अभी भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा यही है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व जल्द ही इस दिशा में कोई बड़ा कदम उठा सकता है। कांग्रेस के अपने ही मंत्री, विधायक और नेता के बेटे सिंधिया के नाम पर अपना समर्थन दे चुके हैं। अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब चर्चा हो रही है कि कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया को भी बदला जा सकता है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्रीय नेतृत्व जल्द ही कोई घोषणा कर सकता है। दरअसल लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में बड़े स्तर पर परिवर्तन के संकेत पहले ही मिल चुके हैं। कई प्रदेशों के महासचिव को बदलने की तैयारी है। इसी क्रम में बाबरिया को भी बदला जा सकता है।
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में पदाधिकारियों को हटाने का सिलसिला शुरू हो गया है। कांग्रेस सेवादल के जिला और शहर अध्यक्षों को हटाने के साथ कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने तकरीबन 10 वर्ष से सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष रहे योगेश यादव को हटाकर जिम्मेदारी डॉ. सत्येंद्र यादव को सौंप दी थी। इसके बाद डॉ. यादव ने चुनाव को लेकर प्रदेश के शहर और जिलों में भ्रमण किया। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव के बाद कांग्रेस सेवादल में बदलाव के संकेत भी दिए थे। चुनाव निपटते ही डॉ. यादव ने प्रदेश के शहरों व जिला अध्यक्षों को हटाकर कार्यकारिणी भंग कर दी। राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई के निर्देश पर सेवादल की इकाइयों को भंग किया। अब नए सिरे से अध्यक्ष बनाने के साथ कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। इसके लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं, जिन्हें अलग-अलग जिले के प्रभार सौंपे जाएंगे जो कि अपने प्रभार वाले जिलों में जाकर रिपोर्ट देंगे कि कौन सक्रिय है और किसे पदाधिकारी बनाकर जिम्मेदारी सौंपी जा
सकती है।
- अजय धीर