16-May-2019 08:14 AM
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स्वच्छ भारत मिशन के तहत मप्र के नगर निगमों द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 की तैयारी शुरू हो गई है। जनवरी से देश के सभी शहरों में स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होगा। इसके लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने कार्य योजना तैयार कर उस पर अभी से अमल करना शुरू कर दिया है। हालांकि इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण का मूल्यांकन त्रैमासिक आधार पर होगा। विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए है, कि जब निरीक्षण दल मौके पर पहुंचेगा तो उसे वहीं व्यवस्था मिलना चाहिए जो दस्तावेजों में उपलब्ध कराई गई है। यदि उपलब्ध कराई गई सूचना गलत मिली तो नगर पालिका को माइनस अंक मिलेंगे। जिससे वर्तमान में प्राप्त रैकिंग भी प्रभावित होगी।
केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने साल 2020 के सर्वेक्षण के लिए 5000 की जगह 4000 नंबरों की मार्किंग तय की है। मंत्रालय की नई गाइड लाइन के अनुसार फाइनल रैकिंग के पहले हर शहर को साल भर में तीन बार ऑनलाइन रैकिंग कराना होगी। इसमें मिलने वाले नंबरों को जनवरी 2020 में होने वाली रैकिंग में जोड़ा जाएगा। सबसे बड़ी बात इस बार वार्ड स्तर पर सर्वेक्षण ज्यादा रहेगा। यदि एक भी वार्ड में नई गाइड लाइन के अनुसार कमी रहती है, तो वह पूरी प्रक्रिया को प्रभावित कर कम नंबर दिलाएगी। इसके साथ ही स्वच्छ सर्वेक्षण की रैकिंग में हिस्सा लेने वाले शहरों को 100 प्रतिशत डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन और सफाई तो करना ही पड़ेगी। शहर की सड़कों को भी गड्ढामुक्त बनाना होगा।
4 जनवरी से 31 जनवरी के बीच सभी शहरों में स्वच्छ सर्वेक्षण कराया जाएगा। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य शहरों को कचरा और खुले में शौच से मुक्त कराने के प्रयास में व्यापक स्तर पर जन भागीदारी सुनिश्चित करना तथा समाज के सभी वर्ग के लोगों के लिए शहरों को जीने लायक बेहतर स्थान बनाने के प्रति जागरूकता पैदा करना है। सर्वेक्षण के जरिए लोगों को शहरों में साफ-सफाई के लिए किए जा रहे कार्यों की विश्वसनीय और प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराने की भी कोशिश होगी। सर्वेक्षण का उद्देश्य स्वच्छता में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाना, शहरों को कचरामुक्त करना, खुले में शौच मुक्त की स्थिति को निरंतर रखना, नतीजों और विषयों को तीसरे पक्ष में प्रमाणित कराना, ऑनलाइन प्रक्रियाओं के माध्यम से वर्तमान प्रक्रियाओं को संस्थागत प्रदान करना और समाज के सभी वर्गों के लिए शहरों और नगरों को रहने के बेहतर स्थान बनाने के लिए जागरूकता पैदा करना है।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में टीमों ने नगर पालिका कार्यालयों में पहुंचकर दस्तावेज की जांच की थी। इस बार कोई टीम नहीं आएगी। स्वतंत्र संस्था की ओर से प्रमाणीकरण, ऑनलाइन वेरिफिकेशन, नागरिकों का फीडबैक और ऑन ग्राउंड स्क्रूटिनी की जाएगी। कचरा मुक्त शहर के लिए 1000 और ओडीएफ को लेकर 250 अंक से रेटिंग तय होगी। स्वच्छता सर्वेक्षण प्रमाणीकरण घटक के दो भाग किए हैं। कचरा मुक्त शहर के 1000 और ओडीएफ को लेकर 250 अंकों में बांटा है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में ऑनलाइन माध्यम से डिजिटल सर्वे होगा। सर्वेक्षण के संकेतक/प्रश्नावली में 4000 अंक होंगे। सर्वेक्षण के लिए डाटा संकलन का काम सेवा स्तर पर हुई प्रगति, प्रत्यक्ष निगरानी, लोगों से प्राप्त फीडबैक और प्रमाणन शामिल है। स्टार रेटिंग के लिए निर्धारित 12 मानकों के आधार पर शहरों का आंकलन किया जाएगा। इसमें शहरों में नालियों और जल स्रोतों की साफ सफाई, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, निर्माण और तोडफ़ोड़ की गतिविधियों के दौरान निकलने वाले कचरे के निपटान आदि बातें शामिल हैं। इन कार्यों की कड़ी समीक्षा के बाद ही किसी शहर को स्टार रेटिंग दी जाएगी। जिसमें एसबीएम ओडीएफ+ और ओडीएफ प्लस प्लस को देखा जाएगा।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 - 4 से 31 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा। सर्वेक्षण में स्वच्छता गतिविधियां अप्रैल 2019 से प्रारंभ होकर दिसंबर तक आयोजित की जाकर मूल्यांकित की जाएगी। सर्वेक्षण में स्वच्छता गतिविधियों का अवलोकन आंकलन और परीक्षण त्रैमास आधार पर होगा, जो प्रथम त्रैमास अप्रैल से जून तथा दूसरे त्रैमास जुलाई से सिंतबर के बीच किया जाएगा।
- अरविंद नारद