17-Aug-2013 06:17 AM
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हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा। 2008 में अंतिम बार भारत रत्न का सम्मान ख्यात शास्त्रीय गायक स्व. भीमसेन जोशी को दिया गया था, उसके बाद

किसी को यह सम्मान प्राप्त नहीं हुआ। दादा ध्यानचंद को मरणोपरांत भारत रत्न का सम्मान प्रदान किया जाएगा। खेल और युवा मामलों के मंत्री जितेन्द्रसिंह ने लोकसभा में लिखित जवाब में यह जानकारी दी कि हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न पुरस्कारÓ प्रदान किए जाने की सिफारिश की गई है। पिछले दो बरस से जब भी स्वतंत्रता दिवस की तारीख नजदीक आती थी, तब भारत रत्न को लेकर कयास लगने शुरू हो हो जाते थे। 2010 के बाद से मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए भारत रत्न दिए जाने की मांग इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया में उठती रही है लेकिन कभी भी सचिन के नाम पर मुहर नहीं लगी क्योंकि हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल रहा है जबकि क्रिकेट इस सूची से बाहर रहा है। ये बातें भी सामने आती थीं कि बीसीसीआई में अपनी दखल रखने वाले राजीव शुक्ला चूंकि सरकार के नजदीक हैं, इसलिए सरकारी नियमों में बदलाव करके सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न दिए जाने की राह बनाई जा सकती है लेकिन न तो नियम बदले गए, न ही सरकार ने ऐसा कोई काम किया, जिसकी वजह से हॉकी के जादूगर की उपलब्धियों को कमतर आंका गया। बहरहाल, यह तय है कि इलाहाबाद 29 अगस्त 1905 में जन्में दादा ध्यानचंद को ही भारत रत्न के सम्मान से मरणोपरांत नवाजा जाएगा। मेजर ध्यानचंद ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 400 से अधिक गोल दागे। उन्हीं के समय में भारत ने 1928, 1932 और 1936 में हॉकी में ओलंपिक स्वर्ण पदक हासिल किया था। दादा की हॉकी जादूगरी ने तानाशाह हिटलकर को इस कदर प्रभावित कर दिया था कि उसने उन्हें ऊंचा ओहदा देने और जर्मनी में बसने का न्योता तक दे दिया था लेकिन दादा ने अपने वतन की खातिर इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया।