मोदी की हुंकार से हाहाकार
17-Aug-2013 06:11 AM 1234796

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण भारत में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराकर यह साबित कर दिया है कि मोदी की ताकत अपार जनसमूह है। मोदी की रैली को भले ही कांग्रेस एक प्रायोजित रैली कहे लेकिन इस रैली में दिख रहा उत्साह इस बात का संकेत है कि मोदी के बल पर भाजपा जो केंद्रीय सत्ता का सपना देख रही है वह साकार भी हो सकता है। मोदी ने हैदराबाद में जो रैली की उसका संकेत यही है कि वे सभी को लेकर चलने के साथ-साथ गैर कांग्रेसी दलों को भी एकजुट रखना चाहते हैं और अपनी हिंदूवादी छवि के दायरे से बाहर भी निकलना चाहते हैं। हैदराबाद में जहां मुस्लिमों की संख्या अच्छी-खासी है मोदी की यह रैली भाजपा की आने वाली चुनावी रणनीति का संकेत भी है। इस रैली की खास बात यह है कि मोदी ने एक बार भी एक शब्द ऐसा नहीं बोला जिससे लगे कि वे देश में हिंदू-मुस्लिम धु्रवीकरण की राजनीति करना चाहते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और प्रधानमंत्री को विशेष तौर पर लपेटा। इससे यह संकेत मिला कि भाजपा ने भले ही उन्हें प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट नहीं किया हो, लेकिन वे बड़ी भूमिका के लिए स्वयं को तैयार कर रहे हैं। इस रैली ने कांग्रेस की बौखलाहट बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में सियासत का रंग बदल सकता है। इस रैली से भाजपा को कर्नाटक में भी लाभ हो सकता है। दक्षिण भारत में भाजपा पैर जमाने के प्रयास में है और जिस तरह तेलगु देशम, अन्नाद्रमुक की तरफ मोदी ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है उससे प्रतीत होता है कि मोदी स्वयं को सेक्युलर रोल में रखते हुए पार्टी के बाहर भी समर्थन जुटाना चाहते हैं।
मोदी खुद अपनी छबि कट्टर हिन्दु नेता की बजाय विकास वादी नेता बनाने के लिए सचेत हैं। उसका कारण यह है कि मोदी किसी भी स्थिति में हिन्दु बनाम मुस्लिम का विवाद अब पैदा नहीं करना चाहते। मगर मोदी का नाम सामने आते ही यह पुराना विवाद फिर जागृत हो जाता है। उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव के समय मोदी ने हिन्दुत्व और मंदिर पर बात करने से साफ इंकार कर दिया था और कहा था कि वे केवल विकास की बाते करेंगे। लेकिन विकास की बाते मोदी के मुॅह से दूसरे राजनीति दल सुनना नहीं चाहते क्योंकि इसमें उन्हें घाटा है लिहाजा वे मोदी को हिन्दुत्व में ही उलझाए रखना चाहते है और हिन्दुत्व से ज्यादा मोदी को गुजरात दंगों में उलझाए रखने में दूसरी सियासी पार्टियों का हित है क्योंकि विकास के मुद्दें पर मोदी ने अपनी छबि बहुत मजबूत बना ली है। नीतिश सहित अन्य नेताओं ने मोदी की साम्प्रदायिकता की छबि को ही हमेशा निशाना बनाया है और गुजरात दंगों के लिए उन्हें बार-बार कठघरे में खड़ा किया है। मोदी की यह छबि अब भाजपा के लिए भी चुनौती बन चुकी है। भाजपा को मोदी की इसी छबि के साथ आगामी चुनावी की वैतरणी पार करनी होगी जो शायद एक कठिन लक्ष्य हो सकता है। शिवराज जैसे नेताओं का अचानक सेक्युलर आवरण से ढंक जाना कहीं न कहीं इसी रणनीति का हिस्सा है। मोदी कह चुके है कि मुसीबत के समय कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता के आवरण में छिप जाती है। लेकिन अब तो भाजपा के बड़े नेता भी उसी आवरण में छुपने लगे हैं इस पर मोदी का क्या कहना है?
सतिन देसाई

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^