अपनों की कर्ज माफी
18-Jan-2019 06:56 AM 1234866
राजस्थान सरकार की कर्ज माफी योजना का लाभ लेने के चक्कर में सरकारी अधिकारियों ने किसानों के नाम पर अपने रिश्तेदारों को लोन दिलवा दिया। वहीं कर्ज माफी की सूची में कई ऐसे नाम भी शामिल कर लिए गए, जिन्होंने लोन लिया ही नहीं और वे आर्थिक रूप से सम्पन्न है। उन्हे अधिकारियों ने माफ होने वाली रकम में से हिस्सा देने का लालच दिया। मामले का खुलासा तब हुआ जब कर्ज माफी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए सहकारी विभाग की टीम गांवों में जांच करने पहुंची। यहां टीम की जानकारी में आया कि कर्ज माफी की सूची में ऐसे किसानों के नाम शामिल कर लिए गए जिन्होंने कभी बैंकों से लोन लिया ही नहीं। मामला सार्वजनिक होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए है। सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार ने प्रारंभिक जांच के बाद स्थानीय स्तर के आधा दर्जन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। उधर किसान संगठनों ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से मामले की जांच कराने की मांग की है। सहकारी बैंकों, ग्राम सेवा सहकारी समितियों और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों के नाम पर लोन उठाकर अपने रिश्तेदारों को दिलवा दिया। घोटाले का सबसे पहले आदिवासी जिले डूंगरपुर में सामने आया और फिर उसके बाद प्रतापगढ़, टोंक, भरतपुर और चूरू जिलों में इसी तरह के मामले सामने आए। डूंगरपुर के गामड़ा मल्टीपरपज को-ऑपरेटिव सोसायटी के व्यवस्थापक ने 263 किसानों को आधार कार्ड नहीं होने के कारण लोन नहीं दिया और उनके स्थान पर अन्य लोगों को एक करोड़ 44 लाख रूपए का लोन दे दिया। इसी तरह जेठाणी और गोवाड़ी की सोसायटी में भी 110 किसानों के नाम पर दूसरे लोगों को 70 करोड़ रूपए का लोन दे दिया गया। डूंगरपुर में किसानों से कर्जमाफी के नाम पर करोड़ों का घोटाला पकड़ा है। यह घोटाला गोवाड़ी, जेठाणा व गामड़ा ब्राह्मणिया की कृषि बहुद्देश्यीय सहकारी समितियों (लार्ज एग्रीकल्चर मल्टीपरपज को-ऑपरेटिव सोसायटी) में सामने आया है। भरतपुर जिले के धीमरी, लुहेसर सहित कई गांवों में कॉ-ऑपरेटिव बैंकों के मैनेजरों ने किसानों के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर अपने चहेतों को लोन दे दिया। चूरू जिले के दस गांवों में इसी तरह का मामला सामने आया है। डूंगरपुर के ही सागवाड़ा में सहकारी समिति के व्यवस्थापक ने अपनी बेटी और भांजे को लोन दे दिया। यहां 1719 किसानों के नाम करीब फर्जी तरीके से 8 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने किसानों के सहकारी बैंकों से लिए 50 हजार रु. तक के कर्ज माफी की घोषणा की थी। इसके तहत जिले में कर्ज माफ हुए। फर्जी नाम से उठाए लोन भी माफ हो गए। हंगामे के बाद मामले की जांच शुरू हुई है। पहली कर्ज माफी में ऋण चुकता होने के बाद और अधिक संख्या में फर्जी ऋण जारी किए गए। इनको वर्तमान कर्जमाफी में चुकता करने की साजिश थी। जिस किसान को ऋण देने से मना किया गया था उसके नाम ऋण जारी हो गया। कुछ किसानों को जो राशि कर्ज में दी गई थी, उसके मुकाबले अधिक राशि जारी हुई। उन्हें मालूम ही नहीं था। हाल ही में लाभार्थी कृषकों की सूची ऑनलाइन हुईं। इसके अनुसार 1719 काश्तकारों के नाम 8 करोड़ 30 लाख रुपए का ऋण जारी किया गया था। यह ऋण कर्जमाफी योजना में बिना रुपए जमा कराए चुकता भी हो गया। बाद में पता चला इनमें से अधिकतर ऐसे किसान शामिल हैं, जो यहां हैं ही नहीं और खाड़ी देशों में रोजगार के लिए गए हुए हैं। रजिस्ट्रार नीरज के. पवन ने लोन सुपरवाइजर को निलम्बित करने के आदेश दिए हैं। तीन समिति व्यवस्थापकों के अधिकार छीने गए हैं। मामले की जांच के लिए अतिरिक्त रजिस्ट्रार की निगरानी में टीम गठित की गई है। जांच होने के बाद ही घोटाले की वास्तविक राशि सामने आएगी। सरकार ने दिए जांच के निर्देश नई सरकार के बनते ही राजस्थान में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के घोटाले सामने आने लगे हैं। पूरे देश में जहां किसानों को कर्ज से राहत देने की कवायद जारी है, तो वहीं राजस्थान में किसानों से हुई करोड़ों रुपयों की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। जब सरकार ने किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की तो पहले दौर में 50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ किया गया। लेकिन कर्ज माफी के दूसरे चरण में फर्जी कर्ज माफी के कई मामले सामने आये। जिन्हे वर्तमान दौर में चुकता करने की तैयारी की जा रही थी। हालांकि जब यह मामला गरमाया तो सरकार ने इस पूरे मामले की छानबीन करना शुरु कर दी। सीएम अशोक गहलोत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के निर्देश दिए है। राज्य के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने बताया कि मामले की जांच कराई जाएगी। अधिकारियों से पूरी रिपोर्ट मांगी गई है। सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार नीरज. के पवन ने बताया कि शिकायतों को गंभीरता से लेकर जांच टीम भेजी गई है। -जयपुर से आर.के. बिन्नानी
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