22-Dec-2018 11:09 AM
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कोयला घोटाले को देश के बड़े घोटालों में से एक माना जाता है। 1.86 लाख करोड़ के इस घोटाले में पटियाला हाउस कोर्ट के स्पेशल सीबीआई जज भारत पराशर ने भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश रचने के मामले में चार लोगों को सजा सुनाई है। पटियाला हाउस कोर्ट ने कोयला मंत्रालय के पूर्व सचिव एच सी गुप्ता के अलावा अन्य चार लोगों को सजा सुनाई है। पूर्व सचिव एच सी गुप्ता के साथ-साथ कोयला मंत्रालय के रिटायर्ड निदेशक के सी समरिया और कोयला मंत्रालय में उस समय के संयुक्त सचिव के एस क्रोफा को भी 3 साल कैद और 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा, निजी कंपनी विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड के प्रमोटर विकास पटनी और उनके सहयोगी आनंद मलिक को 4 साल की सजा सुनाई गई है।
गौरतलब है कि इन खदानों की नीलामी प्रक्रिया में अनियमितताएं बरतीं गईं। कई बड़ी कंपनियों समेत 100 कंपनियों को बिना नीलामी के कोयला खदानें आवंटित की गई थीं। इस मामले की जांच करने के बाद कैग ने कोल ब्लॉक्स के आवंटन पर अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपी थी। इसमें कोयला खदानों में हुए बंदरबांट का खुलासा किया गया था। जिन कपंनियों को खदानें मिली थीं उनमें निजी और सरकारी कंपनियां शामिल थीं। ये बिजली, स्टील और सीमेंट का कारोबार करने वाली कंपनियां थीं। लाभ पाने वाली कंपनियों में टाटा ग्रुप की कंपनियां, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, इलेक्ट्रो स्टील केस्टिंग्स लिमिटेड, द अनिल अग्रवाल ग्रुप फम्र्स, दिल्ली की भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड, जायसवाल नेको, नागपुर की अभिजीत ग्रुप और आदित्य बिरला ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियां शामिल थीं।
दरअसल, विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड कंपनी को पश्चिम बंगाल स्थित मोरिया और मधुजोड़ (उत्तर व दक्षिण) में स्थित कोयला खदानों का नियमों के विपरीत जाकर आवंटन किया था। इस मामले में सीबीआई ने सितंबर 2012 में केस दर्ज किया था। फैसला सुनाने के बाद सभी पांच लोगों को हिरासत में ले लिया गया है। हालांकि, दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने पूर्व केंद्रीय कोयला सचिव एचसी गुप्ता तथा अन्य दो सरकारी कर्मचारियों को जमानत दे दी है। विकास मेटल पॉवर लिमिटेड को कोल ब्लॉक आवंटित किए जाने के मामले में दोषी करार देकर सजा सुनाई गई तीनों सरकारी अधिकारियों को एक लाख रुपये का एक जमानती पेश करना होगा तथा इसी रकम का निजी मुचलका देना होगा।
पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने सभी दोषियों को अधिकतम सजा देने की अपील की थी। भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश रचने के मामले में अधिकतम सजा 7 साल है। सीबीआई ने कोर्ट से ये भी कहा था कि दोषियों ने हर प्रयास किया था कि गवाह कोर्ट तक न पहुंच पाए। नेशनल इनटरेस्ट में देखे तो 1 लाख 86 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया गया था। ईडी ने भी मामले में जांच की थी।
सीबीआई ने कोर्ट से ये भी कहा था कि कोयला घोटाले की गंभीरता को इससे आका जा सकता है सीबीआई ने 55 एफआईआर दर्ज किया था। बहरहाल, सभी दोषियों ने कोर्ट से कम से कम सजा देने की मांग की थी। दोषियों ने कोर्ट से कहा था कि 1 लाख 86 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान गलत है क्योंकि उन्होंने खदान की लीज नहीं दी थी आज भी कोयला खदान सरकार के पास है।
पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता ने कोर्ट से ये भी गुजारिश की कि उनको कम से कम सजा दी जाए क्योंकि वो बीमार रहते है और अपने घर मे अकेले कमाने वाले। उनके बच्चे अभी भी पढ़ाई कर रहे हैं। तो वही निजी कंपनी विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड के प्रमोटर विकास पटनी ने कोर्ट से अपील की कि उनकी कंपनी पर जुर्माना कम से कम लगाया जाए क्योंकि कंपनी घाटे में चल रही है मुकदमा दर्ज होने के बाद से कंपनी पर वित्तीय संकट मंडराने लगा था जो आज तक उबर नहीं पाया। गौरतलब है कि पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता पर कोयला घोटाले के 12 मुकदमे दर्ज हैं।
- धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया