बागी बिगाड़ेंगे गणित
02-Nov-2018 07:56 AM 1234818
राजस्थान में बगावत कोई नई बात नहीं है। प्रदेश में इस बार कांग्रेस का माहौल दिख रहा है। ऐसे में हर नेता टिकट की चाह में लगा हुआ है। जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा वे भाजपा में जाने को तैयार हैं। ऐसे में कांग्रेस के नेता बीजेपी के लिए भी चुनौती से कम नहीं क्योंकि उन्हें टिकट देकर बीजेपी अपने आधिकारिक उम्मीदवार को किनारे करने का रिस्क नहीं लेना चाहती। ऐसी स्थिति में बागी उम्मीदवार नेता पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों की टिकट मिलने की संभावनाएं कम कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सत्तारूढ़ बीजेपी में भी कई उम्मीदवार टिकट न मिलने पर बागी होंगे, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। राज्य में चार विधानसभा चुनावों को देख चुके राजनीतिक विश्लेषक रामेश्वर राजपुरोहित ने कहा, चूंकि राजस्थान में दोनों दल कड़ी टक्कर के लिए तैयार हैं, इसलिए दोनों पार्टियां अपनी हिस्सेदारी और उम्मीदवारों को सर्वश्रेष्ठ रखेंगी। ऐसे में टिकट न मिलने पर नाराजगी होगी, जिसके परिणामस्वरूप बागी होकर कई उम्मीदवार अपनी पार्टियों के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। दरअसल, पांच साल तक सत्ता से बाहर रही कांग्रेस में बीजेपी की तुलना में ज्यादा बागी उम्मीदवारों के सामने आने की संभावना है। वरिष्ठ नेता इस चुनौती के लिए पार्टी को तैयार कर रहे हैं। कांग्रेस के महासचिव अशोक गहलोत ने कहा, हर कोई टिकट नहीं ले सकता है, लेकिन पार्टी के लिए काम करने वाले लोगों को हम उचित रूप से समायोजित करेंगे। 2013 में, कांग्रेस को बगावत के चलते 17 नेताओं को निष्कासित करना पड़ा था, जबकि बीजेपी ने 16 को बाहर किया था। इन बागी उम्मीदवारों ने न केवल कुछ सीटें जीतीं, बल्कि कई अन्य सीटों में पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार की जीत की संभावनाओं को भी नुकसान पहुंचाया था। जानकारों का कहना है कि 2013 के चुनाव में 26 ऐसी सीटें थीं जहां जीत का मार्जिन 5,000 वोटों से कम का था। ऐसी सीटों पर, बागी नेता परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। यह तो तय है कि राजस्थान में बागियों को संभाल पाने वाली पार्टी ही इन सीटों पर फायदे में रहेगी। राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एंटी इनकंबेंसी के अलावा बागी नेता भी पार्टी की सत्ता में वापसी की संभावनाओं में अडंगा बन रहे हैं। पार्टी के दो बड़े नेता घनश्याम तिवाड़ी और मानवेंद्र सिंह पहले ही पार्टी को अलविदा कह चुके हैं और अब टिकटों के बंटवारे के बाद कुछ और लोग बागी तेवर अपना सकते हैं। मानवेंद्र सिंह कांग्रेस के साथ हाथ मिला चुके हैं और राजपूतों के वर्चस्व वाले इलाकों में बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसी तरह छह बार के विधायक और पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी ने अपनी अलग पार्टी, भारत वाहिनी पार्टी बनाई है। ये दोनों ही नेता राज्य में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर रहे हैं। ्र राजस्थान में बीजेपी के अंदर विद्रोह का पुराना इतिहास रहा है। 2003, 2008 और 2013 के चुनावों में कई वरिष्ठ नेता बागी हो गए थे और 2008 में तो पार्टी को विद्रोह के कारण ही हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी 2013 विधानसभा चुनाव बहुमत के साथ जीतने के बावजूद अपने नेताओं की बगावत की वजह से लूणकरणसर, वल्लभनगर और मांडवा सीटें हार गई थी। 2008 में वसुंधरा और मीणा की तकरार 2008 में जब प्रदेश में बीजेपी सरकार का कार्यकाल खत्म ही होने वाला था तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और किरोड़ी लाल मीणा के बीच मतभेद पैदा हो गए। घनश्याम तिवाड़ी, ललित किशोर चतुर्वेदी, जसवंत सिंह, महावीर प्रसाद जैन, कैलाश मेघवाल और किरोड़ी लाल मीणा ने वसुंधरा का विरोध किया था। हालांकि सिर्फ मीणा ने ही पार्टी छोड़ी थी। बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था और मीणा बहुल पूर्वी राजस्थान में पार्टी को उम्मीद के हिसाब से सीटें नहीं मिली थी। पार्टी 2008 में सिर्फ 78 सीटें जीत पाई थी और अगर पार्टी में विद्रोह ना होता तो पार्टी फिर से सरकार बना सकती थी। बाद में किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) का बीजेपी में विलय करा दिया और वापस आ गये। -जयपुर से आर.के. बिन्नानी
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^