18-Oct-2018 09:08 AM
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शायद इदलिब सीरिया के युद्ध का आखिरी पड़ाव है या शायद यहां से युद्ध एक नया रूप लेगा और सीरिया के लोगों के लिए नई मुसीबतें खड़ी होंगी। इदलिब प्रांत में तीस लाख आम नागरिक और करीब 90 हजार विद्रोही लड़ाके रहते हैं। कहा जाता है कि इनमें से 20 हजार कट्टर जिहादी चरमपंथी हैं।
सीरिया का ये युद्ध आठ साल पहले शुरू हुआ था। यहां की सरकार कहती है कि ये सीरिया को खत्म करने की एक विदेशी साजिश है। लेकिन युद्ध के शुरुआती दिनों में जब मैं विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों में पहुंचा था तो वहां प्रदर्शनकारी आजादी के नारे लगा रहे थे। उन्होंने कहा कि वो यहां की सरकार से छुटकारा चाहते हैं, ना कि अपने देश की तबाही। वो बात बहुत पुरानी हो गई है। अब ये युद्ध बहुत बदल गया है। इस संघर्ष के अब कई पहलू हैं।
विद्रोहियों ने नए गठबंधन बनाए, फिर उन्हें तोड़कर दूसरे नए गठबंधन बना लिए। सरकार अलग-अलग तरह के विद्रोहियों में फर्क नहीं करती। राष्ट्रपति बशर-अल-असद उन सभी को चरमपंथी कहते हैं। लेकिन ऐसे कई विद्रोही लड़ाके हैं जो चरमपंथी नहीं हैं, उन्हें पश्चिम के देशों से कोई मदद नहीं मिली है। ये युद्ध और विद्रोह असद सरकार और इस्लामिस्ट, कई बार जिहादियों और नागरिक सेना के बीच की जंग बन गई।
2016 में रूस ने इस युद्ध में हस्तक्षेप किया। रूस का साथ मिलने के बाद असद सरकार ने विद्रोहियों के ठिकानों का तेजी से सफाया कर दिया। ये सब बातचीत, धमकियों और सेना के भारी इस्तेमाल से हुआ। 2016 की शुरुआत में अलप्पों में मिली जीत सरकार के लिए बड़ी सफलता रही। इसके बाद असद सरकार की जीत का रथ तेजी से आगे बढ़ा। अब सिर्फ इदलिब ही वो बड़ा इलाका है जिस पर विद्रोहियों का कब्जा आज भी है। हयात तहरिर अल-शाम इदलिब में मौजूद एक प्रमुख समूह है। इस समूह में ना सिर्फ सीरियाई बल्कि विदेशी जिहादी भी शामिल हैं। ये अल-नुसरा फ्रंट का एक नया रूप है। अल-कायदा से जुड़े इस समूह को संयुक्त राष्ट्र और मध्य पूर्व और पश्चिम के कई देशों ने चरमपंथी संगठन का दर्जा दिया है। हमने दोनों तरफ की फ्रंट लाइन देखी है। दोनों ओर वो लोग बंदूकें लिए खड़े हैं जो युद्ध शुरू होने के वक्त बच्चे थे।
इस युद्ध ने सीरिया की पीढ़ी का भविष्य बदलकर रखा दिया। इस जंग में जान-माल का भारी नुकसान हुआ। कई लोगों की जानें गईं। करीब पांच लाख लोग मौत के मुंह में चले गए। ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। जीत के करीब पहुंच चुकी राष्ट्रपति असद की सरकार सत्ता में बनी रहेगी। लेकिन इस जीत की सीरिया को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। जिसकी वजह से असद सरकार को भी भारी दबाव का सामना करना पड़ा।
मानवाधिकार समूहों का कहना है कि सीरियाई सरकार के सुरक्षाबलों ने युद्ध में लोगों को सबसे ज्यादा मारा। लेकिन सीरिया की सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया है। उसका कहना है कि वो अपने ही लोगों को क्यों मारेंगे। इदलिब के गांव के गांव बर्बाद हो गए और एक रेगिस्तान में बदलकर रह गए। इन वीरान गांवों में जाने पर एक ही बात दिमाग में आती है कि यहां रहने वाले लोगों का क्या हुआ होगा। वो सभी यहां से चले गए हैं। उनमें से कुछ लोग तो दूसरे देश भाग गए होंगे और कुछ मर गए होंगे। अब यहां लड़ाई खत्म हो गई है और पीछे खाली और टूटे भूतिया शहर रह गए हंै। इस युद्ध में आधी आबादी यानी 1.2 करोड़ लोगों ने अपने घर खो दिए।
इन दिनों इदलिब के अंदर और बाहर की बंदूकें शांत हैं। सीरिया अरब आर्मी अपने रूसी और ईरानी सहयोगियों के साथ इलाके पर चढ़ाई करने वाले थे। इस संघर्ष में इदलिब में बहुत खून-खराबा होता। लेकिन रूस और तुर्की के बीच प्रांत के आस-पास डिमिलिट्राजेशन जोन बनाने की सहमति के बाद ये चढ़ाई टाल दी गई। सभी विद्रोही गुटों को कहा गया है कि वो भारी हथियार जोन से बाहर रहें। हयात तहरीर अल-शाम जैसे समूहों को भी 15 अक्टूबर तक अपने लड़ाकों को वहां से हटाने के लिए कहा गया है।
लोगों के मन में बड़ी जंग होने का डर
पूरे सीरिया में जंग खत्म होने का माहौल है। लेकिन इदलिब के लोगों के मन में अब भी एक बड़ी जंग होने का डर बना हुआ है। विदेशी ताकतें अब भी देश के कई इलाकों में बम बरसा रही है। अगर वो एक दूसरे के आमने-सामने आ जाते हैं तो इस जंग के और गहराने के आसार हैं। कुर्दों भी जल्दी हार नहीं मानने वाले हैं। ऐसे में ये जंग दोबारा शुरू हो सकती है। जंग के केंद्र में राष्ट्रपति असद और उनके सहयोगी हैं। कई सालों तक असद के सत्ता से बाहर होने की अटकलें चलती रहीं। लेकिन उनके सहयोगी रूस और ईरान की मदद से बचते रहे हैं।
- बिन्दु माथुर