17-Sep-2018 10:09 AM
1234851
पिछले एक दशक में भारत और अमेरिका के रिश्ते काफी बेहतर हुए हैं। बुश, ओबामा के बाद अब ट्रंप प्रशासन भी अपनी अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में भारत को अहम स्थान देने को तैयार है। दिसंबर 2017 में ट्रंप प्रशासन ने अपने पहले राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में भारत को उभरती हुई ग्लोबल पावर बताया है। ट्रंप द्वारा जारी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजी में कहा गया है, हम भारत के एक वैश्विक शक्ति और मजबूत रणनीतिक एवं रक्षा सहयोगी के तौर पर उभरने का स्वागत करते हैं। अमेरिका भारत के साथ अपने रक्षा और सामरिक रिश्तों को आगे बढ़ाएगा।
रक्षा और सामरिक सहयोग को केंद्र में रखकर बातचीत का ऐजेंडा तय किया गया। लगभग पिछले एक दशक में भारत ने अमेरिका से लगभग 15 बिलियन डॉलर के रक्षा उत्पाद खरीदे हैं। इस बातचीत के दौरान मिसाइल सिस्टम, हेलिकॉप्टर और अत्याधुनिक ड्रोन जैसे हथियार अमेरिका से खरीदने को लेकर चर्चा होगी। हाल ही में अमेरिका ने भारत को स्ट्रेटेजिक ट्रेड ऑथराइजेशन-1 (एसटीए-1) कंट्री का दर्जा दिया है। ये दर्जा हासिल करने वाला भारत, जापान और साउथ कोरिया के बाद एशिया का तीसरा देश है। इससे भारत को अमेरिका से उच्च तकनीक के प्रोडक्ट खासतौर से स्पेस और रक्षा क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध होंगे। इसके साथ ही बहरीन स्थित अमेरिकी सेंट्रल नेवल कमांड में एक भारतीय सैन्य अधिकारी की नियुक्ति भी होगी। ये हिंद महासागर में भारत के अहम भूमिका को अमेरिका के द्वारा स्वीकार किया जाना है। इसके अतिरिक्त दोनों देश भविष्य में तीनों सेनाओं (थल, जल, नभ) के मेगा संयुक्त अभ्यास के लिए भी सहमत हो गये हैं।
ट्रंप ने 2018 के अपने पहले ट्वीट में ही पाकिस्तान को जमकर लताड़ा। ट्रंप सरकार ने इस साल पाकिस्तान को दी जाने वाली लगभग 1 बिलियन डॉलर की मदद रोक दी। टू प्लस टू वार्ता के लिए भारत आते वक्त अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो पाकिस्तान पहुंचे और दो टूक शब्दों में आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाई करने को कहा। दोनों देश कम्युनिकेशन कॉम्पटीविलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट के जरिये दोनों देश अत्याधुनिक रक्षा तकनीकि और सूचनाएं शेयर कर सकेंगे। रशिया और ईरान से संबंधित मसलों को लेकर अमेरिका से लगने वाले प्रतिबंध भी ऐजेंडे का हिस्सा है। दोनों देशों के बीच इस स्तर की पहली बातचीत काफी हद तक सफल रही। दोनों देशों ने कम्युनिकेशन कॉम्पटीविलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये जिसके जरिये भारत को अमेरिका से अत्याधुनिक डिफेंस सिस्टम और संवेदनशील सूचनाए मिल सकेंगी।
हर साल होगी 2+2
अब हर साल भारत और अमेरिका के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री (2+2) के बीच बातचीत होगी जिसके जरिये दोनों देश आपसी सैन्य, सामरिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के संतुलन को बनाये रखने के लिए एक दूसरे के साथ तालमेल से काम करेंगे। भारत ऐसे 2+2 वार्ता जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ करता आ रहा है। इससे पहले अप्रैल और जुलाई 2018 में अमेरिका की तरफ से इस प्रस्तावित बातचीत को स्थगित कर दिया गया था। ये वार्ता भारत और अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्री के बीच होगी। जिसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा, कूटनीतिक और सामरिक रिश्तों को एक नई दिशा देना है। इस बार बातचीत में अमेरिका ने भारत की सुरक्षा जरूरतों को समझते हुए रशिया से एस-400 मिसाइल खरीदने की भी अनुमति दे दी। लेकिन ईरान से तेल आयात को लेकर अमेरिका का रूख अभी सख्त है। अमेरिका ने इंडो पैसिफिक क्षेत्र में भारत को अन्य क्षेत्रीय देशों की मदद से महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका निभाने में सहयोग की बात कही। दोनों देशों ने आने वाले समय में आपसी व्यापार को बढ़ाने पर भी जोर दिया। दोनों देश इंफ्रास्ट्रक्चर, पीपुल टू पीपुल कान्टेक्ट, एनर्जी जैसे मसले पर एक दूसरे से सहयोग करेंगे। इस टू प्लस टू बातचीत के जरिये दोनों देशों ने अपसी रिश्ते को एक नई ऊंचाई देने की कोशिश की है जिसमें कामयाबी मिलती दिखाई दे रही है।
- माया राठी