17-Sep-2018 08:47 AM
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मप्र की सत्ता में 15 साल बाद वापसी की उम्मीद पाले कांग्रेस पूरी तरह सक्रिय हो गई है। इस बार पार्टी जनता का विश्वास पूरी तरह हासिल करना चाहती है। इसके लिए वह वचन पत्र जारी करेगी। विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का वचन पत्र लगभग तैयार है। जल्द ही कांग्रेस इसे अंतिम रूप देकर जारी करेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इसमें उन तमाम मुद्दों को जोड़ा है जो मतदाताओं से सीधे जुड़े हैं और उनके बजट के इर्द-गिर्द हैं। संभावना है कि 17 सितंबर को राहुल गांधी के भोपाल आने पर उन्हें वचन पत्र दिखाकर और जरूरत पडऩे पर फेरबदल कर इसकी घोषणा कर दी जाएगी। इसके पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया इसकी समीक्षा करेंगे।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ वचन पत्र को लेकर पूरी तरह सक्रिय हैं। उन्होंने प्रदेशभर से आए प्रस्तावों के आधार पर वचन पत्र को तैयार किया है। माना जा रहा है कि भाजपा को घेरने के लिए इस वचन पत्र में कई वादे किए गए हैं। पार्टी के पदाधिकारियों के मुताबिक कांग्रेस वचन पत्र को जल्द से जल्द घोषित करना चाहती है। ऐसा इसलिए ताकि जनता से सीधे जुड़े मुद्दों से यह बताया जा सके कि भाजपा ने अब तक उनके लिए क्या नहीं किया और कांग्रेस का उनके लिए क्या एजेंडा है।
पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि कांग्रेस ने सत्ता में आने पर राम वन गमन पथ के निर्माण को भी अपने एजेंडे में शामिल किया है। गौरतलब है कि कमलनाथ ने भी कहा है कि कांग्रेस इस पथ पर यात्रा निकालेगी और सरकार बनने पर इस पथ का निर्माण भी करवाएगी। इसी के साथ कमलनाथ व्यापमं परीक्षा की फीस पहले ही अभ्यर्थियों को वापस किए जाने की बात कह चुके हैं। धार्मिक पर्यटन के लिए भी विशेष प्रयास किए जाएंगे। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में किसानों, युवा, महिला, रोजगार और नए उद्योगों की स्थापना जैसे बिंदुओं को शामिल किया है। महिला सुरक्षा को लेकर भी कांग्रेस लगातार फोकस कर रही है। इसी के साथ युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिए जाने पर भी विचार किए जा रहा है। मंदसौर में किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर हुई राहुल गांधी की सभा के दौरान उन्होंने मतदाताओं से जो वादे किए थे वे भी वचन पत्र में शामिल किए गए हैं। इनमें किसानों की कर्जमाफी के साथ अन्य बिंदुओं को भी शामिल किया गया है। वचन पत्र में बिजली बिल आधा करने जैसे लोक-लुभावन और सभी से जुड़े बिंदु को भी जोड़ा गया है।
उधर पार्टी बसपा और अन्य दलों के साथ गठबंधन की कवायद में जुटी हुई है। जानकारों का कहना है कि मप्र में कांग्रेस सत्ता के करीब पहुंच पाएगी की नहीं यह बसपा तथा अन्य दलों के साथ समझौते पर टिकी है। हालांकि अभी तक कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन सीटों के बंटवारे को लेकर अधर में लटका हुआ है। अगर कांग्रेस और बसपा में गठजोड़ होगा तभी भाजपा को चौथी बार सरकार बनाने से रोका जा सकता है। अगर 2013 के विधानसभा चुनाव के परिणामों का आंकलन करें तो राज्य की 230 सीटों में से बसपा ने 84 सीटों पर बेहतरीन प्रदर्शन किया था। वह चार सीटें जीती थी, 12 पर दूसरे स्थान पर थी और 68 सीटों पर तीसरे पर। इनमें से 49 सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस और बसपा के वोट मिलकर भाजपा से ज्यादा हो जाते हैं। यानी यदि पिछले चुनाव में कांग्रेस और बसपा का गठबंधन होता तो कांग्रेस की सीटें 58 से बढ़कर 107 हो जातीं। साथ ही भाजपा को मिली 165 सीटें घट कर 116 रह जातीं। ये नतीजे तो तब आए जब दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ लड़े थे। यदि इस बार इन दोनों पार्टियों में तालमेल हो जाता है तो परिणाम की कल्पना की जा सकती है।
सीट बंटवारे का आधार
संभावित गठबंधन में कांग्रेस का दावा 58 जीती हुई और 147 रनर अप वाली सीटों यानी 205 सीटों पर है। वह 25 सीटें भाजपा के लिए छोडऩा चाहती है हालांकि बसपा केवल सोलह सीटों पर पहले और दूसरे नंबर पर थी। यदि ये दोनों दल सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को तीन-तीन सीटें दें, तो बसपा या कांग्रेस या दोनों को ही अपनी सीटों में से हिस्सा देना होगा। कांग्रेस केवल बसपा के साथ तालमेल करना चाहती है, गोगपा या सपा के साथ नहीं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने समझौता नहीं होने पर राज्य की 90 सीटों पर लडऩे का ऐलान भी कर दिया है। सपा 25 सीटों पर लडऩे को तैयार है और बसपा 30 पर। सपा चुनाव समिति के सदस्य डा. सुनीलम का कहना है कि यदि कांग्रेस सीटों के बंटवारे पर जल्द फैसला नहीं करती तो बाकी तीनों दल तीसरे मोर्चे के रूप में लड़ेंगे।
- अरविंद नारद