असली अग्निपरीक्षा
17-Sep-2018 06:15 AM 1234817
बिहार में 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर बवाल मचा है। सूत्रों के मुताबिक 20-20 फॉर्मूले के तहत सीट बंटवारे की बात की जा रही है। इस फॉर्मूले के हिसाब से कहा जा रहा है कि बिहार की 40 लोकसभा सीटों में बीजेपी 20 पर चुनाव लड़ेगी जबकि उसकी सहयोगी जेडीयू, आरएलएसपी और एलजेपी को बाकी की 20 सीटें दी जाएंगी। इस फॉर्मूले के मुताबिक जेडीयू को 12 से 14 सीटें मिल रही हैं। लेकिन सवाल है कि ये फॉर्मूला आया कहां से? बिहार में सीट बंटवारे को लेकर सारी बहस इसी फॉर्मूले के अनुसार की जा रही है। लेकिन किसी को पता नहीं है कि बीच बहस में लाने वाला ये फॉमूला किसके दिमाग की उपज है? अब इसी फॉर्मूले के तहत कुछ जेडीयू नेताओं के हवाले से कहा जा रहा है कि जेडीयू किसी भी कीमत पर 12 से 14 सीटों पर मानने वाली नहीं है। फॉर्मूले के मुताबिक आरएलएसपी को 2 सीटें मिल रही हैं और आरएलएसपी के बगावती अरुण कुमार के गुट को 1 सीट। अब आरएलएसपी कह रही है कि 2 सीटों से उसका क्या होगा? ये तो एक उभरती हुई पार्टी का अपमान है। बस एलजेपी खामोश है। जितनी बताई जा रही है शायद उन 6 सीटों से ज्यादा उनको चाहिए भी नहीं। जेडीयू के नेता कहते हैं हम इस फॉर्मूले को माने ही क्यों? इसका आधार क्या है? जुलाई में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात हुई थी। ऐसा कहा जा सकता है कि दोनों नेताओं के बीच आने वाले चुनाव को लेकर सीटों की बात हुई होगी। लेकिन उस वक्त भी कुछ खुलासा नहीं हुआ था। सीटों का बंटवारा एनडीए के सभी घटक दलों के साथ मिल बैठकर होगा। अभी तक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह न एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान से मिले हैं और न ही आरएलएसपी अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा से। फिर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला कहां से आ गया? जेडीयू सीट शेयरिंग के इस फॉर्मूले को सिरे से नकार देती है। जेडीयू के प्रवक्ता अरविंद निषाद कहते हैं, बिहार एनडीए की बैठक के बिना सीट का बंटवारा कैसे हो जाएगा? पूर्व का गठबंधन ये है नहीं। नया गठबंधन हुआ है। इसलिए सीट का बंटवारा नए सिरे से होगा। 2009 के चुनाव में जेडीयू 25 और बीजेपी 15 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। जेडीयू को 20 सीटों पर जीत मिली थी और बीजेपी 12 सीटें हासिल करने में कामयाब हुई थी। एनडीए को कुल मिलाकर 32 सीटें हासिल हुई थीं। बाकी राज्यों की तुलना में एनडीए का ये सबसे अच्छा प्रदर्शन था, जिसका सारा श्रेय नीतीश कुमार को मिला था। पिछले साल जुलाई में बीजेपी के साथ दोबारा आने के बाद जेडीयू ने पूरी संवेदनशीलता के साथ साझेदारी निभाई है। लेकिन वो अपना बेमिसाल इतिहास भुलाने को तैयार नहीं है। और भुलाए भी क्यों? लेकिन जैसी परिस्थितियां हैं उसमें बीजेपी और जेडीयू साथ बने रहने के लिए दोनों को कुर्बानी देनी होगी। सवाल है कि बड़ी कुर्बानी कौन देगा? सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर बवाल सीट शेयरिंग को लेकर बवाल का एक केंद ्रबिंदु आरएलएसपी है। 2019 के चुनावों की सुगबुगाहट के साथ ही आरएलएसपी दवाब बनाए हुए है। पिछले दिनों उपेन्द्र कुशवाहा के खीर वाले बयान के बाद एक बार फिर चर्चा चल निकली कि एनडीए से अलग होकर वो महागठबंधन में अपनी राह तलाश रहे हैं। एक तरह से सभी लोगों ने मान लिया है कि आरएलएसपी 2 सीटों पर नहीं मानेगी और आखिर में महागठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ेगी। तेजस्वी यादव कई मौकों पर उनके स्वागत में बिछे भी दिखे हैं। लेकिन आरएलएसपी ने हर बार महागठबंधन में शामिल होने से इनकार किया है। आरएलएसपी के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुबोध कुमार कहते हैं, आरएलएसपी को एनडीए से बाहर जाने की बात कैसे की जा सकती है? हमारा चुनाव पूर्व का गठबंधन है। - विनोद बक्सरी
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^