पुराने पापÓ बनंगेे मुसीबत
04-Sep-2018 09:38 AM 1234807
उत्तर प्रदेश में अधिकारियों, सरकारी कर्मियों और राजनेताओं के पुराने पापÓ अब उनके लिए मुसीबत ला सकते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार को लेकर अचानक जो कड़े तेवर दिखाए हैं उनके कारण पुराने अपराधों की जांच में तेजी से फैसले होने की उम्मीदें बंधी हैं। उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे अधिकारी, कर्मचारी और राजनीतिक लोग बरसों से विजिलेंस, ईओडब्ल्यू, सीबीसीआईडी आदि की आड़ में कानूनी कार्रवाई से बचते रहे हैं। एक बार किसी आपराधिक मामले की जांच इस तरह की एजेंसियों के पास चली गई तो फिर बरसों तक वह ठंडे बस्ते में पड़ी रहती है। पंद्रह-बीस बरस तक धूल खाते मामलों में अगर जांच पूरी हो भी गई तो शासन से उस पर मुकदमा दर्ज कराने की अनुमति ही नहीं मिल पाती। यानी अपराधियों के कानूनी शिकंजे से बचे रहने का यह सबसे आसान रास्ता बन गया है। लेकिन अब यही रास्ता कानून से बचे रहने का नहीं बल्कि कानून के शिकंजे में फंसने का रास्ता बनने जा रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में भ्रष्टाचार और अन्य आपराधिक मामलों की जांच करने वाली प्रमुख एजेंसियों की समीक्षा की है। इसमें उन्होंने जांच पूरी होने के बावजूद मुकदमे दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार से अनुमति न मिलने वाले तमाम मामलों को ठीक 60 दिन के भीतर निपटाने के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अपने आदेश में कहा है कि भ्रष्टाचार के मामले तेजी से निपटाए जाएं और भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा है कि बड़े अफसरों और नेताओं पर ऐसी कार्रवाई हो जो दूसरों के लिए एक नजीर बने और पहले बड़े अफसरों वाले मामलों को निपटाया जाए। उत्तर प्रदेश में अभी तक भ्रष्टाचार और आम आपराधिक मामलों के 522 प्रकरण ऐसे पाए गए हैं जिनमें जांच एजेंसियों ने जांच पूरी तो कर ली है लेकिन, सरकारी अधिकारी होने के नाते आरोपितों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति नहीं मिलने से कानूनी कार्रवाई ठप है। ऐसे मामलों में कई मामले तो 20 साल से भी अधिक समय से शासन की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। मुकदमे चलाने की अनुमति के लिए इंतजार कर रहे 522 मामलों में सबसे अधिक 300 मामले आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्ल्यू से जुड़े हैं जिनमें वर्षों से अभियोजन की अनुमति नहीं मिल सकी है। इनमें से 200 मामले तो सिर्फ खाद्यान्न घोटालों से जुड़े हैं। इन घोटालों के कई मामलों में खाद्य आपूर्ति से जुड़े अधिकारी और तत्कालीन मंत्री भी आरोपित रहे हैं। इसी तरह सतर्कता विभाग की जांच पूरी होने के बाद शासन की अनुमति न मिलने के कारण लटके मामलों की संख्या 159 है। इनमें चिकित्सा विभाग के 34 अफसर आरोपित हैं। राजस्व और सिंचाई विभाग के आरोपी अधिकारियों की संख्या 20-20 है। विजिलेंस विभाग के अधीन लटके हुए 159 मामलों में आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, पीपीएस संवर्गों से जुड़े लगभग 100 अधिकारी आरोपित हैं। शासन की अनुमति के लिए अटके मामलों में 23 मामले सीबीसीआईडी, 20 मामले एसीओ और 20 मामले एसआईटी से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इन सभी मामलों में 60 दिन में कार्रवाई पूरी करने के आदेश के बाद अब यह उम्मीद बढ़ गई है कि इनमें अब जल्द ही कानूनी कार्रवाई शुरू हो सकेगी। इन सभी मामलों में से ज्यादातर मामले बड़े अधिकारियों और प्रभावशाली राजनेताओं से जुड़े हुए हैं। ऐसे में उनके सिर पर लटकी तलवार अब धारदार दिखने लगी है। उनकी ओर से बचाव के लिए गोटियां भी बिछाई जाने लगी हैं। हालांकि मुख्यमंत्री के आदेश के अनुरूप सभी 522 मामलों में दो महीने के भीतर कार्रवाई होने की इस राह में बाधाएं भी कम नहीं हैं। मुख्यमंत्री के आदेश के मुताबिक दो महीने में 522 मामले निपटाने के लिए राज्य के गृह विभाग को हर दिन औसतन 10 फाइलें निपटानी पड़ेंगी। यह बहुत आसान नहीं होगा। एक तो इनमें से अनेक मामले जटिल हैं और कई आरोपित अफसरों ने खुद को निर्दोष बताते हुए शासन को आरोप मुक्त करने की अर्जी दे रखी है। अभियोजन की अनुमति देने से पहले गृह विभाग को इन अर्जियों पर भी विचार करना होगा। फिर प्रभावशाली आरोपित लोगों की ओर से आखिरी वक्त तक अपने को बेदाग साबित करने के लिए हर तरह के हथकंडे भी अपनाए जाएंगे। बहरहाल, पहली बार राज्य में सरकार ने भ्रष्टाचार को लेकर जिस तरह का कड़ा रुख दिखाया है उसके कारण भ्रष्टाचारियों में खलबली तो मच ही गई है। अवैध संपत्ति से जुड़े मामलों में होगी कार्रवाई राज्य सरकार ने आयकर विभाग से राज्य के उन अफसरों के नाम मांगे हैं जिनके खिलाफ आयकर विभाग में जांच चल रही है या कार्रवाई हो चुकी है। राज्य में मार्च 2017 से अब तक चार वरिष्ठ अधिकारियों पर आयकर छापे की कार्रवाई हो चुकी है। छापों के बाद आयकर विभाग तो जुर्माना और टैक्स वसूली का काम करता है लेकिन, आय से अधिक संपत्ति के मामलों में कार्रवाई राज्य सरकार को करनी होती है। राज्य की विभिन्न सेवाओं के 22 से अधिक नौकरशाहों के खिलाफ आयकर विभाग में मामले चल रहे हैं। 2500 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति से जुड़े इन मामलों में भी अब राज्य सरकार कार्रवाई कर सकती है, इसीलिए आयकर विभाग से जानकारी मांगी जा रही है। -मधु आलोक निगम
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