02-Aug-2018 08:10 AM
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जातिगत आरक्षण का विरोध करते हुए मध्य प्रदेश में सक्रिय हुई सपाक्स (सामान्य, पिछड़ा, अल्पसंख्यक वर्ग समाज) संस्था इन दिनों हस्ताक्षर अभियान चला रही है। इस हस्ताक्षर अभियान के तहत अपनी मांगों पर 1 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपेगी। सपाक्स के सरंक्षक हीरालाल त्रिवेदी ने बताया कि यह हस्ताक्षर अभियान प्रदेश के सभी जिलों में अन्दर ग्रामीण क्षेत्रों तक एक माह तक चलेगा। इसी के साथ जन-जन को सपाक्स की विचारधारा से अवगत कराया जा रहा है। साथ ही सदस्यता अभियान चलाकर अधिक से अधिक लोगों को संगठन से जोड़ा जा रहा है।
दरअसल विधानसभा चुनाव में उतरने से पहले संगठन अपनी ताकत बढ़ाने में जुटा हुआ है। संगठन ने ऐलान किया है कि वह प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। 14 जुलाई से शुरू हुआ यह अभियान 14 अगस्त तक चलेगा। माह के दौरान पूरे प्रदेश से एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर कराये जायेंगे। अभियान को सफल बनाने की लिए जिला स्तर पर दलों का गठन किया गया है। उसके बाद राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंप निवेदन किया गया है कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था पूर्णरूप से समाप्त की जाए, अन्य पिछड़ा वर्ग की भांति अनुसूचित जाति - जनजाति के लिए भी क्रिमिलयेर लागू हो, एट्रोसिटी एक्ट में मान. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश यथावत लागू हो, जिन लोगों ने मान. न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के लिए देश की संपत्ति को हानि पहुंचाई, उन पर कड़ी कार्यवाही की जाए, और इस देश में शिक्षा का समान अधिकार लागू है , तदनुरूप शिक्षा में भेदभाव पूरी तरह बंद हो।
विधानसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी बढऩे लगी है। भाजपा, कांग्रेस की तरह सपाक्स समाज भी चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं। सदस्यता अभियान के साथ सपाक्स समाज ने चुनावी तैयारी भी तेज कर दी है। संगठन के संरक्षक सेवानिवृत्त सूचना आयुक्त एचएल त्रिवेदी ने बताया कि सपाक्स समाज पार्टी के नाम से राजनीतिक संगठन के पंजीयन के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही घोषणा पत्र बनाने का काम भी हाथ में लिया है। समाज के वरिष्ठ व अनुभवी लोगों से राय लेकर इसे बनाया जा रहा है। संगठन से जुड़े आइएएस और आइपीएस अफसरों के चुनाव लडऩे के बारे में त्रिवेदी ने बताया कि आरक्षण में सुधार के लिए जो लोग साथ आ रहे हैं, उनकी इच्छा पर चुनाव लडऩे का मौका दिया जाएगा। बाकी जनजागरण के काम में लगे रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि सपाक्स के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. केएस तोमर ने ऐलान किया है कि प्रदेश की सभी 230 सीटों पर पर अपने प्रत्याशी उतारे जाएंगे। सपाक्स के प्रांतिय अध्यक्ष तोमर का कहना है कि हमारा संगठन विधानसभा और लोकसभा में अपनी बात रखने के लिए चुनाव लड़ेगा। सपाक्स समाज अपने प्रत्याशी अक्टूबर महीने तक घोषित कर देंगे। हम सिर्फ अपने मुद्दों के लिए लड़ रहे हैं। त्रिवेदी ने बताया कि मप्र के 37 जिलों में संगठन खड़ा हो गया है। इस महीने से हर जिले में संगठन काम करने लगेगा।
उधर सपाक्स में लगातार अधिकारी-कर्मचारी के साथ ही आमजन जुड़ते जा रहे है। अभी हाल ही में सरकार के खिलाफ मुखर रहने वाले सेवानिवृत्त आइपीएस अफसर विजय वाते और केडी पाराशर ने सपाक्स समाज का दामन थाम लिया। ये दोनों सपाक्स समाज से जुडऩे वाले पहले आइपीएस अफसर हैं। वाते प्रदेश के कई जिलों में पुलिस अधीक्षक रहे और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वे साहित्य से भी जुड़े रहे और कई किताबें लिखी। आरक्षण की व्यवस्था में सुधार को लेकर आंदोलन चला रहे सपाक्स समाज से अब तक 12 आइएएस अफसर जुड़ चुके हैं। समाज के अन्य क्षेत्रों से भी लोगों को जोडऩे की संगठन की ओर से कोशिश जारी है।
उधर सपाक्स की ताकत को बढ़ता देख अन्य राजनीतिक दल भी पशोपेश में हैं। उनका मानना है कि सपाक्स चुनाव जीते या न जीते लेकिन वह कई उम्मीदवारों की जीत का गणित बिगाड़ सकती है।
दो लाख से अधिक पहुंची सदस्यों की संख्या
प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुकी सपाक्स समाज संस्था में सदस्यों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उसकी संख्या 2 लाख के पार पहुंच गई है। सबसे खास बात यह है कि संस्था में ऐसे अधिकारी शामिल हो रहे हैं जो पूर्व में सरकार में जिम्मेदार पदों पर रह चुके हैं। रिटायर्ड आईपीएस केडी पारासर को ग्वालियर सपाक्स समाज संस्था की जिम्मेदारी भी दे दी गई है। इसके पहले भी दर्जनों आईएएस और आईपीएस संस्था से जुड़ चुके हैं। अब यह रिटायर्ड अधिकारी संस्था में सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं। बता दें कि सपाक्स संस्था पदोन्नति में आरक्षण देने से हो रहे नुकसान को बताने राजधानी से जिला मुख्यालय और तहसील तक अभियान चला रही है। हालांकि सपाक्स संस्था मान्यता नहीं मिलने से नाराज है और सरकार के खिलाफ मुहिम छेडऩे की तैयारी कर रही है। संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद संस्था को मान्यता देने का भरोसा दिलाया था। लेकिन, फाइल को कुछ अधिकारी अटका रहे हैं। इस कारण मान्यता नहीं मिल रही है।
-रजनीकांत पारे