किसान बनाएंगे गिरदावरी रिपोर्ट
19-Jul-2018 09:43 AM 1234855
फसल नुकसानी एवं उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली गिरदावरी रिपोर्ट अब किसान स्वयं प्रस्तुत कर सकेंगे। जिसका सत्यापन हल्का पटवारियों द्वारा किया जाएगा। हालांकि पहले गिरदावरी रिपोर्ट पटवारी स्वयं किसानों के खेतों में जाकर तैयार करते थे। इसमें समय और संसाधन दोनों का काफी अपव्यय होता था और शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत करने में महीनों गुजर जाते थे, लेकिन अब शासन ने समय की बचत एवं कार्य में तेज गति लाए जाने के उद्देश्य से यह जिम्मेदारी किसानों को सौंप दी है। किसान स्व-घोषणा पत्र के माध्यम से बोई गई फसलों की जानकारी भरकर देंगे। जिसका सत्यापन बाद में पटवारियों द्वारा किया जाएगा। किसान स्वयं के द्वारा बोई गई फसलों को फार्म एक में भरकर संबंधित तहसीलदार को दिनांक 25 जुलाई तक प्रस्तुत करेगा। जिसका सत्यापन हल्का पटवारी द्वारा दिनांक 5 अगस्त तक किया जाएगा। आपत्तियों का निराकरण 25 अगस्त तक कर दिनांक 30 अगस्त तक अंतिम प्रविष्टि भू-अभिलेख में दर्ज कर दी जाएगी। इस नई व्यवस्था के तहत अब पटवारियों को गांव-गांव जाकर गिरदावरी की रिपोर्ट तैयार करने के लिए दौड़ भाग नहीं करना होगी। पटवारी सिर्फ किसान द्वारा भरे गए स्व घोषणा पत्र का सत्यापन भर करेंगे। फसल गिरदावरी प्रतिवर्ष की जाने वाली एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो वर्ष में दो बार खरीफ एवं रबी सीजन की बुवाई के पश्चात की जाती है एवं भू अभिलेखों में दर्ज की जाती है। यह जानकारी कई मामलों जैसे फसल बीमा, प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई, बैंक ऋण, योजनाओं के लाभ लेने आदि में महत्वपूर्ण होती है। प्रचलित पद्धति में कई बार जानकारी समय से अद्यतन नहीं होने या गलत हो जाने पर किसान प्राप्त होने वाले लाभों से वंचित हो जाते हैं। इसका एक और पहलू यह भी है कि यदि यह जानकारी शासन को समय से प्राप्त हो जाए तो प्रदेश स्तर पर समय रहते फसल प्रबंधन, विपणन आदि से संबंधित तैयारियां करने में पर्याप्त समय मिल जाता है। जिसका लाभ न केवल शासन वरन किसानों को भी प्राप्त होता है। कोई भी किसान स्व घोषणा द्वारा अपनी भूमि पर उगाई गई फसलों की प्रविष्टि कर सकेगा। किसान एप, साफ्टवेयर या निर्धारित वेबसाइट व कॉल सेंटर के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकता है। पटवारी किसान द्वारा दी जाने वाली स्व घोषणा का सत्यापन करेंगे। जानकारी को मान्य करेंगे। अगर किसान द्वारा प्रदान की गई जानकारी सही नहीं है तो पटवारी आवश्यक संशोधन कर सकता है। स्व घोषणा के माध्यम से जमा की गई जानकारी की पुष्टि पटवारी जानकारी प्राप्त होने से सात दिनों की अवधि के भीतर की जाएगी। निरीक्षण उपरांत पटवारी किसान द्वारा घोषित जानकारी को स्वीकार या संशोधित कर सकेंगे। ऐसी भूमि जिसके लिए किसान द्वारा कोई स्व-घोषणा नहीं की गई है या उगाई गई फसलों के वितरण की सूचना नहीं दी गई है कि गिरदावरी पटवारी द्वारा संपन्न की जाएगी। दावे और आपत्तियों की सुनवाई के बाद तहसीलदार द्वारा सूचना को अंतिम रूप दिया जाएगा। वरिष्ठ राजस्व निरीक्षक बैतूल ब्रजलाल वाडिवा का कहना है कि गिरदारवी को लेकर शासन ने नए आदेश जारी किए हैं। जिसके तहत अब किसान स्वयं स्व-घोषणा पत्र के माध्यम से गिरदावरी की जानकारी दे सकता है। हालांकि इसका सत्यापन पटवारी द्वारा ही किया जाएगा। इस व्यवस्था से समय और संसाधन दोनों की बचत होगी। साल में दो बार होती है फसल गिरदावरी प्रक्रिया देश में साल में दो बार फसल गिरदावरी प्रक्रिया होती है। गिरदावरी में खेत की जानकारी, कितने रकबे में कितनी और कौन सी फसल की बोवनी की है, इसकी जानकारी प्राप्त कर भू-अभिलेखों में दर्ज होती है। आंकड़ों के आधार पर जिले का रकबा पता चलता है। प्राकृतिक आपदा के समय प्रभावित किसान को मुआवजे के समय यह रिपोर्ट उपयोगी हो जाती है। अब तक गिरदावरी पटवारियों द्वारा कागजों में दर्ज की जाती थी। अब फसलों की निगरानी गिरदावरी ऐप के माध्यम से होना शुरू हो गई। मैदानी अमले के सामने ओपीटी, मोबाइल नंबर की परेशानी के साथ ही सरकारी जमीन और स्कीम की जमीनों को लेकर भी बड़ी परेशानी आ रही है। जिले में सरकारी जमीन पर ऐप में किस अधिकारी का नंबर दर्ज करें, इसके लिए कलेक्टर या वरिष्ठ अफसरों की ओर से कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए है। वहीं स्कीम यानी आईडीए, हाउसिंग बोर्ड या अन्य विभागों की जमीन के मामले में भी इसी प्रकार की परेशानी आ रही है। दरअसल, इस ऐप से पहले पटवारी गिरदावरी का काम कागजों पर करते थे, किंतु पारदर्शिता लाने के चलते शासन ने ऐप के माध्यम से ऑनलाइन काम शुरू कराया। इसके बाद भी पटवारियों को कागजों पर भी काम करना पड़ रहा है। -सुनील सिंह
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