आम उपभोक्ता पर भार
18-Jun-2018 09:49 AM 1234807
चुनावी साल में सरकार विभिन्न वर्गों को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अब सरकार ने असंगठित श्रमिकों और गरीबी रेखा के नीचे आने वाले बिजली उपभोक्ताओं के बिल माफ करने का फैसला लिया है। कैबिनेट में मुख्यमंत्री जन कल्याण योजना के पंजीकृत श्रमिकों के लिए सरल बिजली बिल स्कीम और मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी स्कीम को मंजूरी दी गई। सरकार ने करीब 88 लाख उपभोक्ताओं के बिजली बिल माफ करने के लिए हरी झंडी दे दी। इसके तहत 5179 करोड़ रुपए के बकाया बिल माफ होंगे। बकायादारों से फिर राशि न मांगी जाए इसके लिए सरकार एक सर्टीफिकेट देगी। जिसमें यह लिखा रहेगा कि इनकी कोई राशि बकाया नहीं है। इस स्कीम के तहत निर्धन वर्ग को केवल 200 रुपए मासिक बिल का भुगतान करना होगा। फ्लैट रेट योजना में पंजीकृत श्रमिकों को वास्तविक मासिक बिल का भुगतान करना होगा, जो अधिकतम 200 रुपए तक होगा। यदि किसी का मासिक बिजली बिल 150 रुपए आता है, तो उसे बिल की वास्तविक राशि 150 रुपए ही जमा करनी होगी। ज्यादा बिल आने पर शेष राशि सरकार देगी। उधर, बिजली विभाग के गणित को जानने वाले लोगों का कहना है कि चुनावी बेला में सरकार के निर्देश पर विद्युत वितरण कंपनियां गरीबों को सस्ती बिजली तो देगी, लेकिन उसका डिफरेंस आम उपभोक्ताओं के बिल से वसूला जाएगा। क्योंकि बिजली कंपनियां पहले से ही कर्ज से दबी हुई हैं। वर्तमान में कंपनियों पर करीब डेढ़ हजार करोड़ रूपए का कर्ज है। वहीं चुनावी स्कीम से सरकार पर करीब 1800 करोड़ रुपए का भार आएगा। हितग्राहियों के 30 जून तक के बिल माफ किए जाएंगे। 1 जुलाई से योजना लागू होगी। उपभोक्ताओं को अगस्त से 200 रुपए राशि का भुगतान करना होगा। इसमें वे पंखा, टीवी, और लाइट जला सकेंगे। एसी, हीटर, एक हजार वॉट से अधिक के उपभोक्ता अपात्र होंगे। सरचार्ज की पूरी राशि और मूल बकाया राशि का 50 फीसदी बिजली कंपनियां वहन करेंगी। मूल बकाया की शेष 50 प्रतिशत राशि वितरण कंपनियों को सब्सिडी के रूप में सरकार देगी। यह राशि करीब एक हजार करोड़ रुपए होगी। उधर, इस योजना में कई तरह के झोल भी हैं। योजना के अनुसार अगर 1000 रूपए से अधिक का बिजली बिल आया तो उसका पूरा भुगतान करना होगा। इसलिए श्रमिकों को सचेत भी रहना होगा। प्रदेश भर में एक करोड़ लोगों को योजना का लाभ मिलने का अनुमान है। योजना एक जुलाई 2018 से लागू होगी। एक से सात अप्रैल तक श्रमिक पंजीयन अभियान चलाकर किए गए थे। बता दें, कि इस योजना में उन सभी श्रमिकों का पंजीयन किया गया है, जो आयकरदाता नहीं हैं और जिनके पास दो हैक्टेयर से कम जमीन है। असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को योजना के अंतर्गत दोहरी सौगात दी गई। जिसके अंतर्गत पंजीकृत श्रमिकों के एक जुलाई 2018 के पूर्व की सभी विद्युत बकाया राशि को माफ कर दिया गया है। श्रमिकों को एक जुलाई 2018 के बाद आने वाली बिजली राशि का ही भुगतान करना होगा। योजना की खास बात यह है कि 200 रुपए से एक हजार तक की विद्युत राशि आती है, उन्हें केवल 200 रुपए का भुगतान करना होगा। शेष राशि का अंतर यानी 800 रुपए सरकार या असंगठित कामगार बोर्ड वहन करेगा। यहां यह भी जानना जरुरी है कि यदि किसी व्यक्ति का विद्युत बिल 200 रुपए से कम राशि का आता है, तो उसे उक्त राशि ही भुगतान करना होगा। उदाहरण के लिए यदि किसी श्रमिक का बिल 150 रुपए आता है तो उसे 150 रुपए ही देना होगा। यदि श्रमिक का बिल एक हजार रुपए से अधिक आता है, तो उसे पूरी बिल की राशि का भुगतान करना होगा। 1300 करोड़ के बिल ऐसे होंगे एडजेस्ट बिजली विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में गरीबों के साथ एससी और एसटी वर्ग के करीब 13 लाख उपभोक्ता ऐसे हैं जिन्होंने पिछले दो से चार साल तक के बिजली बिल जमा नहीं किए हैं। ऐसे 13 लाख उपभोक्ताओं पर सरचार्ज मिलाकर करीब 1300 करोड़ के बिल पेडिंग हो गए हैं। बिजली कंपनियों ने ऐसे उपभोक्ताओं की लाइट काटने की तैयारी कर ली थी, लेकिन चुनावी साल होने से सरकार ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया। सरकार बिल एडजेस्ट करके ऐसे लोगों को हर महीने पचास या सौ रुपए जमा करने का ऑफर देगी। हालंकि बिल एडजेस्ट होने के बाद लोग मंथली राशि जमा करेंगे इसके आसार कम ही हैं। जो राशि जमा होगी वो बिजली कंपनियों के खातों में जाएगी, बाकी बची राशि सरकार अपने खजाने से बिजली कंपनियों को देगी। इधर, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि गरीबों के बिजली बिल माफ नहीं होने वाले, ऐसी छूट सिर्फ चुनाव तक मिलेगी। चुनाव के बाद फिर लंबे-लंबे बिल जारी किए जाएंगे। 2013 के चुनाव से पहले भी सरकार ने पेडिंग बिजली बिलों को लेकर यही पेंतरा अपनाया था, तब सरकार ने ऐसे लोगों को दीनदयाल मानकर पेडिंग बिल माफ किए थे, और इसके पीछे तर्क दिया गया था कि आगे से उपभोक्ताओं से सख्ती से वसूली की जाएगी। लेकिन बिल माफ होने के बाद भी लोगों ने आगे से बिल जमा नहीं किए और आज यह रकम बढ़कर 1300 करोड़ हो गई है। -सिद्धार्थ पांडे
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