पायलट की परीक्षा
18-Jun-2018 09:45 AM 1234806
राजस्थान में कांग्रेस के पास भाजपा से सत्ता छीनने का मौका है। राज्य की वसुंधरा राजे सरकार कुशासन एवं भ्रष्टाचार के साथ ही गुटबाजी और पार्टी हाईकमान से टकराव के कारण सुर्खियों में है। राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की आरएसएस के साथ ही पार्टी हाईकमान और स्थानीय प्रभावशाली नेताओं से नहीं बनती है। ऐसे में कांग्रेस को वहां बीजेपी की गुटबाजी का भी लाभ मिल सकता है। कांग्रेस हाईकमान राजस्थान की बाजी जीतने के लिए पार्टी के अनुभवी एवं युवा नेता सचिन पायलट को आगे किया है। गुर्जर समुदाय से होने के साथ ही सचिन युवाओं में भी काफी लोकप्रिय हैं। ऐसे में यह समय पायलट की परीक्षा का है कि वे कैसे कांग्रेस को एकजुट कर सत्ता पाते हैं। वसुंधरा राजे की एकाधिकार और वर्चस्ववादी मानसिकता और सरकार की नगण्य उपलब्धि के कारण आम कार्यकर्ता पार्टी से दूर हुए हैं। वसुंधरा राजे की राजसी पृष्ठभूमि और संघ से दूरी के चलते राज्य में लगातार उनका आधार कमजोर हुआ है। सिर्फ राज्य सरकार ही नहीं केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के खाते में भी उपलब्धियों के नाम पर कुछ खास नहीं है। ठोस उपलब्धियों के अभाव में अब बीजेपी सरकार जातीय-धार्मिक तनाव पैदा कर ध्रुवीकरण करने में लगी है। लेकिन बीजेपी की नीतियों के कारण राज्य में जाट, गुर्जर और राजपूत समुदाय बीजेपी से दूरी बना रहे हैं। इसके चलते बीजेपी नेतृत्व के हाथ पांव फूल गए हैं। 2015 में वसुंधरा राजे ने भारी बहुमत से सरकार बनायी थी। तब राजस्थान की जनता ने उन पर विश्वास जताते हुए 45.2 प्रतिशत मतों के साथ 163 सीटों पर विजयी बनाया था। दिसंबर 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 33.1 प्रतिशत मत और 21 सीटें ही मिली थीं। उसके बाद बीजेपी को लोकसभा चुनाव में भी भारी बहुमत मिला। राजस्थान की जनता को यह उम्मीद थी कि इस बार केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार जनता की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। लेकिन बीते साढ़े चार साल में वसुंधरा सरकार ने जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। राज्य में जातीय तनाव के साथ ही कानून-व्यवस्था की हालत पतली रही। किसान, मजदूर, व्यापारी और मध्य वर्ग परेशान रहे। राज्य के विकास पर ध्यान देने की बजाए राज्य सरकार केंद्रीय नेतृत्व से टकराव में अपने अहम को तुष्ट करती रही। सचिन कहते हैं- बीजेपी के मंत्री और विधायक काम के कारण नहीं बल्कि अल्पसंख्यकों पर बेबुनियाद आरोप लगाकर चर्चा में रहे। गोमांस के नाम पर मुसलमानों की हत्या और किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज से वसुंधरा का दामन दागदार हुआ। किसान आत्महत्या और फसल की कीमत तय करने की मांग को लेकर राज्य में किसान आंदोलन खड़ा हुआ। वसुंधरा सरकार ने किसानों की मांग पर सुनवाई करने की जगह किसानों पर पुलिसिया कार्रवाई करके आंदोलन को कुचलने की साजिश रची। अब जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो बीजेपी धार्मिक और जातीय भावनाओं को भड़का कर गोलबंदी करने में जुट गई है।ÓÓ देश और प्रदेश की राजनीति में इस समय बदलाव की आहट है। भारी बहुमत से आयी मोदी सरकार जन आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतरी है। राजस्थान में भी वसुंधरा सरकार की साख और नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। न सिर्फ विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष के नेता भी वसुंधरा सरकार पर हमलावर हैं। ऐसे में बीजेपी के किले में दरार देखी जा सकती है। राजस्थान की जमीनी राजनीति से मिल रहे संकेतों को कांग्रेस पढऩे में कामयाब रही है। वसुंधरा सरकार के कुशासन के खिलाफ कांग्रेस ने कमर कस ली है। अलवर और अजमेर लोकसभा सीट तथा मांडलगढ़ विधानसभा सीट कांग्रेस ने बड़े अंतर से भाजपा से छीन ली थी। उप चुनावों में मिली जीत से यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस राजस्थान में बीजेपी के खिलाफ विकल्प बन गई है। कांग्रेस राजस्थान के चप्पे-चप्पे पर बीजेपी के कुशासन के खिलाफ संघर्ष करने में लगी है। कांग्रेस नेतृत्व ने राजस्थान में सचिन पायलट के लिए राह आसान करने के लिए राज्य के प्रमुख नेता अशोक गहलोत को पार्टी में संगठन महासचिव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस राज्य में गुटबाजी की आशंका को खत्म करने की पूरी कोशिश कर रही है। पार्टी आलाकमान ने एक तरह से सचिन पायलट का रास्ता साफ कर दिया है। मिला है फ्री हैंड राजस्थान कांग्रेस की कमान सचिन पायलट ने उस समय संभाली थी जब 2013 के चुनाव में पार्टी का पूरी तरह से सफाया हो गया था। अब पार्टी ने सचिन पायलट को फ्री हैंडÓÓ देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी अब युवाओं को तरजीह दे रही है। सचिन पायलट कहते हैं कि सिर्फ राजस्थान ही नहीं कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरे देश में टक्कर देगी। राहुल गांधी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए वह कहते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एकमात्र व्यक्ति हैं जो 2019 में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर सकते हैं और भाजपा को सत्ता से हटा सकते हैं। भाजपा सवालों के जवाब देने से भाग रही है, लेकिन राहुल गांधी उसे जवाबदेह बनने के लिए विवश कर रहे हैं। -जयपुर से आर.के. बिन्नानी
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