18-Jun-2018 09:40 AM
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विगत दिनों छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में सर्चिंग के दौरान नक्सली कैंप में एमएमसी जोन की तैयारी और बालाघाट, डिंडोरी, मंडला व सिंगरौली में उनकी सक्रियता के दस्तावेज मिले हैं। इन दस्तावेजों में कुछ स्थानों पर लाल निशान भी लगे हैं। इससे नक्सली वारदात की आशंका जताई गई है। पिछले दिनों कवर्धा के तरेगांव जंगल के धुमाछापर गांव के पास नक्सलियों की बैठक की सूचना मिलने पर जवान सर्चिंग के लिए निकले तभी दोनों का आमना-सामना हुआ और फायरिंग में एक माओवादी की मौत हो गई। इससे माओवादियों में बौखलाहट है। बताया जा रहा है कि मारा गया माओवादी प्लाटुन 3 का सदस्य है। करीब छह माह पहले राजनांदगांव के साल्हेवारा क्षेत्र में भी प्लाटुन 3 का एक माओवादी मारा गया था। प्लाटुन 3 मप्र और महाराष्ट्र में सक्रिय है। इससे साफ है कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के ही माआवोदी कवर्धा जिले की ओर बढ़ रहे हैं। माओवादियों के एक साथी के मारे जाने के बाद माओवादियों में बौखलाहट है। इससे वे किसी भी घटना को अंजाम दे सकते हैं, जिसकी आशंका पुलिस को भी है।
दुर्ग रेंज के आईजी जीपी सिंह ने बताया कि एक माओवादी के मारे जाने से पहली सफलता मिली है, लेकिन माओवादी बौखलाएं होंगे। इसके कारण संभलकर रहना होगा। तीनों प्रदेश को मिलाकर वे एमएमसी जोन के नाम से इस क्षेत्र का विस्तार करने की तैयारी है। बालाघाट-मंडला रेंज के आईजी केपी व्यंकटेंश राव कहते हैं कि बालाघाट रेंज में नक्सल गतिविधियों को लेकर पुलिस हमेशा सतर्क रहती है। नक्सलियों के खिलाफ पुलिस की रणनीति साफ है और यदि नक्सली अपनी रणनीति बदलकर घटना को अंजाम देने का प्रयास करते हैं तो उनकी रणनीति के तहत ही उन्हें जवाब दिया जाएगा।
उधर, कान्हा का कोर जोन नक्सलियों के लिए सेफ जोन बन गया है। इस बात से भले ही पार्क प्रबंधन इंकार कर रहा हो लेकिन यहां नक्सलियों ने कब्जा जमा लिया है। इस बात की पुष्टि पुलिस विभाग के आला अफसर भी कर रहे हैं। बालाघाट पुलिस अधीक्षक जयदेवन एके के मुताबिक पांच दिनों से कान्हा नेशनल पार्क के बफर व कोर एरिया में नक्सलियों की मौजूदगी की खबर मिलने के बाद से लगातार पुलिस सर्चिंग कर रही है। छत्तीसगढ़ के कवर्धा समेत बालाघाट जिला पुलिस बल, हॉक फोर्स व सीआरपीएफ का बल जंगल में नक्सलियों की तलाश कर रहा है।
जानकारों के अनुसार मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में लगातार पकड़े जा रहे नक्सली या उनके सहयोगी तो यही सिद्ध करते हैं कि मध्यप्रदेश के कई जिले इनकी आरामगाह का रूप ले चुके हैं। इन जिलों में मुख्य रूप से बालाघाट, अनूपपुर, मंडला व सिंगरौली शामिल हैं। इन जिलों से पिछले लंबे समय से लगातार या तो नक्सली पकड़े जाते रहे हैं या उनके आने की सूचना मिलती रही है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ पुलिस के लोगों का कहना है कि समीपस्थ राज्य में किसी घटना को अंजाम देने के बाद या बिना कोई घटना किए भी पुलिस की चिंता से मुक्त होने के लिए नक्सली इन क्षेत्रों में आते हैं। इतना ही नहीं सूचनाएं तो यहां तक कहती हैं कि बालाघाट के जंगलों में कई बार यह नक्सली आराम करने आते हैं, इस दौरान यह पेड़ों व जंगलों में रहने वाले बैगाओं के साथ भी रह लेते हैं। जिससे यह पुलिस से सुरक्षित बने रहते हैं। इसके बाद मामला शांत होने पर ये आसानी से यहां से निकल भी जाते हैं।
प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश
देश में माओवादी कितने खुंखार होते जा रहे हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश करने लगे है। दरअसल,भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुलिस पे पांच लोगों को गिरफ्तार किया तो उनमें से एक रोना जैकब विल्सन के मुनिरका फ्लैट से पुलिस ने ऐसा पत्र बरामद किया जो किसी का भी होश उड़ाने वाला है। पुणे पुलिस के मुताबिक इस में राजीव गांधी की हत्या जैसी योजना का जिक्र है - और निशाने पर हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। ये खुलासा उस वक्त हुआ है जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जान से मारने की धमकी मिल रही है। इसे नक्सलियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई से जोड़ कर देखा जा रहा है। पुलिस को मिले पत्र का मजमून कुछ ऐसा है - मोदी 15 राज्यों में बीजेपी को स्थापित करने में कामयाब हुए हैं...अगर ऐसा ही रहा तो सभी मोर्चे पर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी होंगी...कॉमरेड किसन और कुछ अन्य सीनियर कॉमरेड ने मोदी राज को खत्म करने के लिए कुछ मजबूत कदम सुझाए हैं। हम राजीव गांधी जैसे हत्याकांड पर विचार कर रहे हैं...ये आत्मघाती जैसा लगता है और अधिक संभावना है कि हम असफल हो जाएं, लेकिन हमें लगता है कि पार्टी हमारे प्रस्ताव पर विचार करे... उन्हें रोड शो में टारगेट करना एक असरदार रणनीति हो सकती है...बाकी अगले पत्र में।
-अक्स ब्यूरो