18-Jun-2018 09:14 AM
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केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) की गतिविधियों के बारे में जानकारी मांगी है। गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत सिमी पर लगाया गया प्रतिबंध 31 जनवरी 2019 को खत्म हो रहा है। संगठन के गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने की पुष्टि होने पर केन्द्र सरकार इस पर पुन: प्रतिबंध लगा सकती है। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव एससीएल दास की तरफ से राज्यों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार अगर पाती हैं कि सिमी अब भी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल है, तो कानून के तहत गैरकानूनी गतिविधि का मामला स्वत: दर्ज किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने कहा कि सिमी की गतिविधियों पर नजर रखना आवश्यक है।
उल्लेखनीय है कि भारत में आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में वर्ष 2002 में भारत सरकार द्वारा सिमी को प्रतिबंधित कर दिया गया था। अगस्त 2008 में, एक विशेष न्यायाधिकरण द्वारा सिमी पर प्रतिबंध हटा लिया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त 2008 को प्रतिबंध को पुन: बहाल कर दिया था। जानकारों के मुताबिक प्रतिबंधित लगने के बाद सिमी इंडियन मुजाहिदीन नाम से भारत में आतंकी गतिविधियों को अजाम देता रहा है।
स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया या सिमी एक प्रतिबंधित संगठन है, जिसकी शुरुआत 1977 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुई थी। आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता की वजह से 2002 में भारत सरकार ने सिमी को प्रतिबंधित कर दिया था। अगस्त 2008 में अदालत ने सिमी से प्रतिबंध हटा दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त 2008 को ये प्रतिबंध बहाल किया।
प्रतिबंधित स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी को अधिकारों के नाम पर स्थापित किया गया, मजहबी जहर के सहारे उसे पनपने का अवसर मिला, बाद में वह विध्वंस और बर्बादी का कारण बना और अब यह जिहादी संगठन रहस्यमय तरीके से खामोश है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत ने हाल ही में सिमी के आका सफदर नागौरी और उसके साथियों को केरल के वागामोन के थांगलपारा में दिसंबर 2007 में हथियार प्रशिक्षण केंद्र आयोजित करने के आरोप में सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई है।
दरअसल सफदर नागौरी आतंक की देसी फसल तैयार करने वाला वह शख्स है, जिसने भाड़े से संचालित पाकिस्तानी आतंकवाद को देसी जिहाद में बदल दिया। 25 अप्रैल, 1977 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में बने स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया को देसी जिहाद के सांचे में ढालने का जिम्मा सफदर नागौरी ने बेहद शातिराना अंदाज में अंजाम दिया था। बाद में इस शख्स ने इसे थामकर इंडियन मुजाहिदीन बना दिया। सिमी ने संगठनात्मक तौर पर अपने को मजबूत करते हुए देश के विभिन्न इलाकों के बेहद पढ़े-लिखे युवाओं को भी अपने से जोड़ा।
आज यह जानना भी बेहद जरूरी है कि सिमी अपने आकाओं के बगैर समाप्त होने के कगार पर है या पूरा संगठन किसी रणनीति के तहत काम कर कर रहा है। इस समय सिमी के लोग छोटे-छोटे समूहों में भिन्न-भिन्न नामों से काम कर रहे हैं। प्रतिबंध के बावजूद किसी खास उद्देश्य को लेकर ये छोटे-छोटे गुट मिलकर बड़ी आतंकी कार्रवाई को अंजाम देने का सदैव माद्दा रखते हैं। सिमी और इंडियन मुजाहिदीन के स्लीपर सेल बहुत ही खतरनाक हैं। इसके तार पाकिस्तान सहित कई दूसरे देशों के आतंकी गुटों से जुड़े हैं। सिमी पर हिज्बुल मुजाहिदीन से भी संबंधों के आरोप हैं और आइएसआइ से भी इसके रिश्ते जगजाहिर रहे हैं।
इंदौर में था सिमी का ट्रेनिंग कैंप
प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के सरगना सफदर नागौरी सहित सिमी के 11 आंतकियों को साल 2008 में इंदौर के माणिकबाग क्षेत्र के श्याम नगर से पकड़ा गया था। इन आतंकियों से हुई पूछताछ के बाद पुलिस ने सिमरोल के पास बने एक फार्म हाउस पर भी दबिश दी थी और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की थी। इस फॉर्म हाउस का उपयोग आतंकी अपने ट्रेनिंग केम्प के तौर पर भी करते थे। विस्फोटक के अलावा यहां से बड़ी मात्रा में देशद्रोही साहित्य भी बरामद किया गया था। सफदर और उसके साथियों को अहमदाबाद की साबरमती जेल में रखा गया था। बता दें कि नागौरी उज्जैन का रहने वाला था।
-विकास दुबे