21-May-2018 09:14 AM
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उत्तर कोरिया के अपना परमाणु परीक्षण केंद्र बंद करने के ऐलान के बाद दक्षिण कोरिया और अमेरिका से उसके संबंधों में सुधार की उम्मीद बनी है। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई इन के बीच बातचीत के बाद यह फैसला सामने आया। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई इन ने जानकारी दी कि उत्तर कोरिया अगले महीने से अपना परमाणु परीक्षण बंद कर देगा। इस बात की तस्दीक के लिए वह अमेरिकी प्रतिनिधियों और मीडिया को न्योता देगा। उत्तर कोरियाई नेता किम ने भी अपने बयान में कहा कि अमेरिका बेशक हमारे बारे में अच्छी राय नहीं रखता, मगर हम परमाणु हमला करने के पक्षधर नहीं हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस फैसले का स्वागत किया है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति और उत्तर कोरियाई नेता की मुलाकात की योजनाएं भी बनाई जाने लगी हैं। इस फैसले को इसलिए ऐतिहासिक कहा जा सकता है कि इससे उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच नजदीकी बढ़ेगी और परमाणु हमले को लेकर जताई जा रही आशंकाएं समाप्त हो जाएंगी।
जबसे उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया अलग हुए, दोनों के रिश्ते लगातार कड़वे होते गए थे। उत्तर कोरिया को रूस और चीन का समर्थन हासिल है, तो दक्षिण कोरिया को अमेरिका का। इस तरह दोनों देश दो ध्रुवों में बंटी दुनिया की राजनीति का मोहरा बने हुए हैं। दक्षिण कोरिया कल-कारखानों और दूसरे विकास कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित कर लगातार तरक्की करता गया, पर उत्तर कोरिया भयंकर गरीबी से घिरता गया। दक्षिण कोरिया के प्रति उसमें इतनी नफरत भरती गई कि उत्तर कोरिया उसे किसी भी तरह समाप्त करने पर आमादा था। इसी नफरत के चलते उसने अपने परमाणु कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया और साम्यवादी देशों के बिखराव के बाद पाकिस्तान से नजदीकी कायम कर खतरनाक परमाणु हथियारों का जखीरा तैयार कर लिया। अमेरिका लगातार दबाव डालता रहा कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियार बनाने का सिलसिला बंद करे। यहां तक कि पिछले दिनों राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उसे धमकाया कि अगर वह परमाणु हथियार बनाना बंद नहीं करता, तो उसे हमले के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। इस पर उत्तर कोरियाई नेता ने जवाब दिया कि अगर अमेरिका ने उसकी तरफ आंख उठाने की भी कोशिश की तो वह अपने घातक परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा। किम जोंग उन के तीखे तेवर से दुनिया भर में परमाणु हमले के बुरे नतीजों को लेकर आशंका व्याप्त हो गई। ऐसे में उत्तर कोरिया का ताजा रुख राहत का संकेत है।
उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु हथियारों को विराम देने का मन बनाया है, तो जाहिर है उसका तरक्की के दूसरे रास्तों पर भरोसा बढ़ा है। यह वक्त का तकाजा भी है। अब दुनिया के तमाम देश हथियारों के बजाय अर्थव्यवस्था को मजबूत करके ताकतवर बनने में यकीन करते हैं। उत्तर कोरिया जितने समय तक दक्षिण कोरिया और अमेरिका से लोहा लेने के लिए ताकत जुटाने का प्रयास करेगा, उतनी देर तक वहां के लोगों की मुश्किलें बनी रहेंगी। इसलिए अगर वह दक्षिण कोरिया के साथ संबंध बेहतर बनाने का प्रयास करता है, तो उसकी तरक्की के रास्ते खुलेंगे। दोनों देशों के एक होने की उम्मीद करना जल्दबाजी होगी, मगर इससे यह जरूर होगा कि दो ध्रुवीय तनातनी में फंसे रह कर हथियारों की होड़ के बजाय दोनों कोरिया कारोबार और दूसरे विकास कार्यक्रमों की तरफ अपना ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
दोनों नेताओं ने कहा कि पतझड़ के मौसम में मून प्योंगयोंग का दौरा करेंगे। दोनों नेताओं ने ‘नियमित बैठकों और सीधे फोन वार्ता करने पर भी सहमति जताई। इस तथाकथित पनमुंजोम घोषणा ने इस दिन को ऐतिहासिक बना दिया क्योंकि महज कुछ महीनों पहले तक इस पर कोई सोच भी नहीं सकता था जब उत्तर कोरिया लगातार मिसाइलों का परीक्षण कर रहा था और उसने अपना छठा परमाणु परीक्षण किया था। किम ने दक्षिण कोरिया की जमीन पर कदम रखते हुए कहा, वह ‘बहुत भावुक हो रहे हैं। कोरिया युद्ध के करीब 65 वर्ष बाद दक्षिण कोरिया की भूमि पर कदम रखने वाले किम पहले उत्तर कोरियाई शासक हैं।
सहयोग का नया संकल्प कितना मजबूत?
शिखर सम्मेलन के लिए पनमुंजम के युद्धविराम संधि के अधीन आने वाले गांव के दक्षिणी किनारे पर स्थित ‘पीस हाउस बिल्डिंग में दाखिल होने से पहले किम के आमंत्रण पर दोनों नेता एक साथ उत्तर कोरिया में दाखिल हुए। किम ने बैठक की शुरुआत होने के बाद मून से कहा , ‘मैं यहां एक नए इतिहास का प्रारंभिक संदेश देने के दृढ़ संकल्प के साथ आया हूं। शिखर वार्ता के बाद उन्होंने कहा कि दोनों कोरिया यह सुनिश्चित करेंगे कि वह ‘दुर्भाग्यपूर्ण इतिहास को नहीं दोहराएंगे। पूर्व में दोनों कोरिया के बीच वर्ष 2000 और 2007 में प्योंगयोंग में शिखर सम्मेलन हुआ था और इसका समापन भी ऐसे ही सोहाद्र्रपूर्ण रूप से हुआ था लेकिन इस दौरान हुये समझौतों का नतीजा सिफर रहा।
- बृजेश साहू