कौन चला रहा है बिहार
21-May-2018 08:21 AM 1234872
कहते हैं कि राजनीति में बिहार जो आज सोचता है, पूरा देश कल वही सोचता है। ऐसे में बिहार की हर एक राजनीतिक करवट का अपना महत्व है। चाहे वो महागठबंधन बनने का हो या टूटने का। ऐसे में यह देखना जरूरी है कि भाजपा के साथ नीतीश कुमार की एक बार फिर से नई दोस्ती का सफर कैसा चल रहा है? जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार के खाते में आई उपलब्धियों में परदे के पीछे इनके नवरत्नों का भी पसीना बहा है। भले ही इन नवरत्नों में कामों का बंटवारा मौखिक ही हो, पर इन्होंने अपने कामों को बखूबी अंजाम देने में रात-दिन का फर्क मिटा दिया। मामला चाहे प्रशासनिक हो या फिर राजनीतिक, दैनिक दिनचर्या से लेकर मेहमानों की खातिरदारी तक के कामों में भी इन नवरत्नों का दिमाग लगता है। देश-दुनिया में बिहार और मुख्यमंत्री की छवि उभारने का जिम्मा भी इन्हीं नवरत्नों के हवाले है। कई मंत्रियों, अधिकारियों एवं मतलबी दरबारियों को भले ही इन नवरत्नों की भूमिका रास न आती हो, पर परदे के पीछे के ये हीरो चाहते हैं कि अपनी पूरी क्षमता से नीतीश कुमार को सहयोग करते रहें, ताकि बिहार देश का नंबर एक राज्य बन सके। नीतीश कुमार के इन नवरत्नों में पहला नाम रामचन्द्र प्रसाद का है। मुख्यमंत्री के खासमखास रामचन्द्र प्रसाद को लोग आरसीपी के नाम से ज्यादा जानते हैं। आरसीपी नीतीश के दरबार के पुराने रत्नों में से एक हैं। कृषि मंत्री, भूतल परिवहन मंत्री और रेलमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के कार्यकाल के दौरान भी आरसीपी इनसे जुड़े रहे। यही कारण है कि लो-प्रोफाइल रहने वाले आरसीपी इस समय नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद सहयोगी हैं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के राजनीतिक एवं सरकारी स्तर पर गोपनीय कार्य के साथ गृह एवं कार्मिक विभाग के अहम फैसलों में भी आरसीपी नीतीश कुमार को सहयोग करते हैं। बड़े अधिकारियों के तबादलों पर भी आरसीपी की नजर रहती है। लेकिन इस समय आरसीपी ने अपना पूरा ध्यान जद (यू) को राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने में लगाया हुआ है। पार्टी की सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन और भाजपा के साथ रिश्तों की कथा-पटकथा आरसीपी ही लिखते हैं। उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रहे आरसीपी साए की तरह नीतीश कुमार के साथ रहते हैं। आरसीपी पर नीतीश कुमार का भरोसा कई मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के लिए जलन का कारण बना हुआ है। आरसीपी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का काम करें या नहीं करें, किन्तु व्यवहार से सबको खुश किए रहते हैं। इससे मुख्यमंत्री को राजनीतिक फायदा भी होता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नवरत्नों में दूसरे नंबर पर चंचल कुमार हैं। मुख्यमंत्री के सचिव चंचल कुमार बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। मधुबनी के रहने वाले चंचल कुमार नालंदा सहित कई जिलों में कई वर्षों तक जिलाधिकारी के रूप में तैनात रहे हैं। रेल मंत्री के पूरे कार्यकाल में वे नीतीश कुमार के साथ रहे। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री शिक्षा, स्वास्थ्य, भवन, सूचना, जनसम्पर्क, विधि, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण, समाज कल्याण, पंचायती राज, पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, वित्त श्रम संसाधन एवं कला संस्कृति विभाग से सम्बन्धित निर्णय लेने में चंचल कुमार की राय को तवज्जो देते हैं। रेल मंत्री के कार्यकाल में नीतीश कुमार का भरोसा जीतने वाले चंचल कुमार कार्यकताओं एवं नेताओं से भी बहुत सहजता से मिलते हैं। इनके अलावा नीतीश कुमार के भरोसेमंद अधिकारियों की टीम में ब्रजेश मेहरोत्रा, आमिर सुबहानी और अतीश चंद्रा भी शामिल हैं। केंद्र सरकार के साथ तालमेल और राज्य के हितों की रक्षा के लिए केंद्रीय मदद का सारा ब्लूप्रिंट ये अधिकारी ही तैयार करते हैं। सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले हरेंद्र कुमार भी नीतीश के खास हैं। लगभग बीस वर्षों से नीतीश कुमार के साथ जुड़े हैं। सुरक्षा के अलावा इनका काम मुख्यमंत्री को समय पर भोजन कराने से लेकर महत्वपूर्ण लोगों से मोबाइल पर बात कराना, दवा खिलाना एवं अन्य सारे घरेलू कार्य को पूरा करना भी है। मुख्यमंत्री इन पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं। अंजनी सिंह और गुप्तेश्वर पांडेय के साथ संजय सिंह भी नीतीश कुमार को बेहद पसंद हैं और इन अधिकारियों ने भी मुख्यमंत्री को कभी निराश नहीं किया है। दोस्ती में अभी भी गांठ कहते हैं कि अगर दोस्ती में एक बार गांठ पड़ जाए तो वह हमेशा के लिए शक के घेरे में आ जाती है। दोस्ती से बंधे लोग कहने को तो अपनी दोस्ती के धर्म का पालन करते और दिखाते नजर आते हैं, लेकिन अंदरखाने की हकीकत यह होती है कि दोस्ती के सूत्र में बंधा हर किरदार दूसरे किरदार को शक की निगाह से देखता है। नीतीश कुमार ने जिस दिन भाजपा के साथ अपना दशकों पुराना रिश्ता तोड़ा, उसी दिन यह बात चर्चा में थी कि देर सबेर वे एक बार फिर अपनी पुरानी दोस्ती को जिंदा जरूर करेंगे। भाजपा के साथ दो बार दोस्ती करने से पहले ही नीतीश कुमार साफ-साफ कहते रहे हैं कि बिहार का विकास इनकी प्राथमिकता है और वे अपना हर कदम इसी सपने को पूरा करने के लिए उठाते हैं। भाजपा के साथ नई सरकार बनाने के बाद जब इनसे लोगों ने महागठबंधन तोडऩे और भाजपा के साथ दोबारा दोस्ती का कारण पूछा, तो उस समय भी नीतीश कुमार ने यह कहकर सबकी बोलती बंद कर दी कि सूबे की जनता ने मुझे विकास के लिए वोट दिया है किसी के भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए नहीं। - विनोद बक्सरी
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