तेंदूपत्ते पर नक्सलियों और डकैतों की नजर
17-Apr-2018 08:05 AM 1235199
इस बार प्रदेश में तेंदूपत्ता की अच्छी फसल होने का अनुमान है। इसको देखते हुए सरकार ने इस साल 22 लाख मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य तय किया है। जिससे सरकार को करीब 14 अरब, 58 करोड़, 38 लाख रुपए की आय होने की उम्मीद है। तेंदूपत्ता प्रदेश के महाकौशल और बुंदेलखंड अंचल में बड़े पैमाने पर होता है। यही वजह है कि इन क्षेत्रों में इस काम से जुड़ी समितियों, ठेकेदारों और व्यापारियों से लेवी वसूलने के लिए नक्सलियों और डकैतों ने भी वन क्षेत्रों में डेरा जमाना शुरू कर दिया है। वन क्षेत्रों में नक्सलियों और डकैतों की हलचल बढऩे की सूचना पर पुलिस ने भी अपनी सतर्कता बढ़ा दी है। वन क्षेत्रों में लगातार पुलिस गस्त की जा रही है। प्रदेश में तेंदूपत्ता का संग्रहण मई से शुरू होगा। जानकारों का कहना है कि प्रदेश के वन क्षेत्र से करीब 30 लाख मानक बोरा से अधिक तेंदूपत्ते की तुड़ाई होगी। जिसकी कमाई माफिया नक्सलियों और डकैतों तक पहुंचेगी। इसलिए वन क्षेत्रों में इनकी गतिविधियां बढ़ गई हैं। जानकारी के अनुसार तेंदूपत्ता से एक माह के अंदर डकैतों की इतनी कमाई हो जाती है कि वे सालभर उससे अपना खर्चा चलाते हैं। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के डकैतों का भी रुझान इन दिनों मप्र की ओर बढ़ जाता है। मप्र और यूपी के तराई में इन दिनों 4-6 गिरोह सक्रिय हैं। जिनमें कुख्यात दस्यु सरगना साढ़े पांच लाख का इनामी बबली कौल, एक लाख 30 हजार के इनामी गौरी यादव, 80 हजार के इनामी महेंद्र पासी के अलावा अंजनी मल्लाह, रजुआ गैंग भी सक्रिय है। प्रदेश में डकैत पिछले एक दशक से भी अधिक समय से लेवी वसूल रहे हैं। इस साल तेंदूपत्ता और महुंए की फसल अच्छी आने के साथ ही डकैत तेंदूपत्ता तुड़ाई का ठेका लेने वाले ठेकेदारों से रंगदारी वसूलने के लिए सक्रिय हो गए। डकैतों ने रीवा जिले के जवा एवं त्योंथर तहसील सेमरिया के जंगल, सतना जिले के मझगवां, नागौद, ऊंचेहरा, यूपी के चित्रकूट, मानिकपुर, बांदा, कर्वी एवं हड़हाई के जंगलों में सक्रिय हो रहे हैं। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो पत्ता खरीदने वाले व्यापारी मप्र में लाखों रुपए लेवी के रूप में देते रहे हैं। यह लेवी उन्हें डकैतों, माओवादियों और माफिया को देनी पड़ती थी। इससे उनके जान-माल के नुकसान की आशंका न के बराबर रहती है। पिछले एक दशक का इतिहास देखें तो डकैत बिना शोर शराबे और मारपीट के तेंदूपत्ता ठेकेदारों से लेवी वसूलते हैं। दस्यु ददुआ, ठोकिया, रागिया और बलखडिय़ा ने मप्र के जंगलों में ठेकेदारों से खूब लेवी बटोरी। इनके मारे जाने के बाद अब नए गैंग सक्रिय हो गए हैं। वहीं सिंगरौली, सीधी, शहडोल, उमरिया, मंडला, बालाघाट, डिंडौरी, अनूपपुर में नक्सली सक्रिय हैं। जानकारी के अनुसार जैसे ही तेंदूपत्ते की फसल तैयार होती है, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से नक्सली मप्र का रुख कर देते हैं। हैरानी की बात यह है कि वन विभाग पूर्व में यह आंकलन नहीं कर पाता है कि किस क्षेत्र में तेंदूपत्ता अधिक संग्रहित होगा लेकिन माफिया, नक्सलियों और डकैतों को इसका अनुमान पहले ही लग जाता है। इसलिए वे कमाई वाले क्षेत्रों में सबसे अधिक सक्रिय रहते हैं। 6 जिलों में डकैत तो 8 में नक्सली प्रदेश में तेंदूपत्ता उत्पादक सिंगरौली, सीधी, शहडोल, उमरिया, मंडला, बालाघाट, डिंडौरी, अनूपपुर में नक्सली सक्रिय हैं वहीं सतना, रीवा, छतपरु, सीधी, पन्ना, टीकमगढ़ में डकैतों की उपस्थिति देखी जा रही है। सीधी ऐसा जिला है जहां नक्सली और डकैत दोनों सक्रिय हैं इनके अलावा शिवपुरी, श्योपुर, कटनी, सागर, सोहागपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, बैतूल, खंडवा, होशंगाबाद, खरगोन, झाबुआ व जबलपुर में भी तेंदूपत्ता बहुतायत में होता है। उपरोक्त सभी जिलों में माफिया अधिक कमाई करते हैं। राज्य लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष महेश कोरी कहते हैं कि सरकार द्वारा इस बार तेंदूपत्ता संग्रहण मजदूरी 1250 से बढ़ाकर 2000 रुपए प्रति मानक बोरा करने की मांग की गई है। इस निर्णय से लगभग 33 लाख संग्राहकों को लगभग 165 करोड़ की अतिरिक्त आमदनी होगी। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में उत्पादित तेंदूपत्ता की गुणवत्ता सबसे अच्छी होती है। इसलिए देशभर के बीड़ी उद्योगों में इसकी मांग होती है। इस कारण हर साल प्रदेश में तेंदूपत्ते की तस्करी होती है। - धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया
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