02-Apr-2018 07:23 AM
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भाजपा हाल ही में राज्यसभा की 59 सीटों पर हुए चुनाव में से 28 सीटें जीतकर 69 सांसदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। 10 राज्यों के 33 उम्मीदवार निर्विरोध चुने जा चुके थे। जबकि 7 राज्यों उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल की 26 सीटों पर वोटिंग हुई। यूपी में सबसे ज्यादा 10 सीटें थीं। भाजपा ने गोरखपुर-फूलपुर उपचुनाव में मिली हार का बदला ले लिया। अपने सभी 9 उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रही। राज्य में 25 साल बाद बना सपा-बसपा गठबंधन बसपा प्रत्याशी आंबेडकर को जिता नहीं पाया। क्रॉस वोटिंग के चलते शुरू में चुनाव आयोग ने मतगणना पर रोक लगा दी। बाद में द्वितीय वरीयता के वोटों से 10वीं सीट पर जीत का फैसला हुआ। इसमें भाजपा के 9वें उम्मीदवार अनिल अग्रवाल विजयी रहे। उन्होंने बसपा के भीमराव अंबेडकर को हराया।
भाजपा पहली बार राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। पार्टी के 38 वर्ष के इतिहास में पहली बार सदन में उसके 69 सदस्य हो गए हैं। भाजपा का गठन 1980 में हुआ था। हालांकि भाजपा की अगुआई वाला राजग अभी भी 245 सदस्यीय उच्च सदन में बहुमत से दूर ही रहेगा। सदन में बहुमत के लिए 126 का आंकड़ा चाहिए। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के कुल सदस्य 50 हो जाएंगे। बसपा ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा पर धन और सत्ता के बल पर धांधली करने का आरोप लगाया। पार्टी महासचिव सतीश मिश्रा ने कहा कि भाजपा दलित विरोधी है, इसलिए उसे भीमराव अंबेडकर के नाम से भी चिढ़ है। यही वजह है कि उसने पार्टी प्रत्याशी को हराने के लिए हर हथकंडा अपनाया।
मिश्रा ने कहा कि सपा और कांग्रेस को जितने वोट मिलने चाहिए, उससे एक अतिरिक्त वोट मिला है। बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि भाजपा ने निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से धांधली कराई।
बसपा प्रत्याशी अनिल सिंह ने उन्हें बिना दिखाए वोट डाला, जिसे रद्द किया जाना चाहिए, पर सरकार के इशारे पर आरओ ने वैध कर दिया। भाजपा के पक्ष में पड़े दो वोट अमान्य थे। एक में दो जगह 1-1 लिखा था और दूसरे में एक के साथ अन्य निशान था, पर इन्हें भी वैध करार दिया गया। सतीश मिश्रा ने कहा कि पार्टी के दो मतदाताओं को जेल से नहीं आने दिया गया। जबकि, इन्हीं चुनाव में दूसरे राज्यों में जेल से आकर विधायक ने वोट डाले। जेल में बंद विधायक मुख्तार अंसारी के लिए संबंधित कोर्ट गए, जहां से अनुमति मिल गई। लेकिन, पार्टी को बिना बताए भाजपा हाईकोर्ट से इस आदेश पर एकतरफा स्टे ले आई।
उधर, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि राज्यसभा को उच्च सदन कहा जाता है। भाजपा के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद संसद में प्रवेश करते हुये संसद की सीढिय़ों के पैर छूकर वादा किया था कि लोकतंत्र के इस मंदिर को कलंक से दूर रखेंगे। राजनीति का अपराधीकरण तो रोका नहीं जा सका, राज्य सभा में क्रास वोटिंग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में साफ है कि भाजपा की करनी और कथनी में फर्क है। आदर्शवाद का उबटन अब उतर चुका है। भाजपा का जोड़ तोड़ वाला चेहरा साफ दिख रहा है।
क्रास वोटिंग में दिख रहा सत्ता का चरित्र
16 राज्यों में राज्यसभा के लिये खाली हुई 58 सीटों के लिये हुये चुनाव में हर दल क्रास वोटिंग का तलबगार दिखा। सबसे चाल चरित्र और चेहरा की बात करने वाली भाजपा के चेहरे पर लगा उबटन उतर गया। चुनावी जोड़तोड़ के लिये कभी कांग्रेस को पानी पीकर कोसने वाली भाजपा आज खुद उसी राह पर चलते हुये कांग्रेस से दो कदम आगे निकल गई है। राज्यसभा के इन चुनावों को देखते साफ लगता है कि देश में संविधान की मंशा, चुनावी सुधार, दलबदल कानून और स्वच्छ राजनीति बेमानी बातें हैं। यह ठीक उसी तरह है जैसे कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर झूठी गवाही देना। राज्यसभा के चुनाव में पूरे देश में सबसे अधिक चर्चा उत्तर प्रदेश की रही। राज्यसभा चुनावों के पहले उत्तर प्रदेश में सरकार चला रही भाजपा गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के उपचुनाव में बुरी तरह से हार गई थी। अपनी इस हार का बदला लेने के लिये बौखलाई भाजपा ने राज्यसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी उम्मीदवार भीमराव अम्बेडकर को हराने के लिये हर बल को आजमा लिया। राज्यसभा के एक प्रत्याशी को चुनाव जीतने के लिये 37 विधायकों के वोट चाहिये थे। कांग्रेस, बसपा और सपा के पास बचे हुये 29 वोट हैं। ऐसे में उसे 8 वोट निर्दलीय या दूसरे विधायकों से चाहिये थे। भाजपा के पास अपने 8 प्रत्याशियों को वोट देने के बाद 28 वोट बच रहे थे। अब यह तय हो गया कि 10 वोटों का इंतजाम करने के लिये क्रास वोटिंग जरूरी हो गई। इसके लिये विधायकों में तोडफ़ोड़ और क्रास वोटिंग हर दांव को आजमा लिया गया।
-ऋतेन्द्र माथुर