तारापुर पॉवर प्लांट में रेडिएशन से बढ़ा खतरा
15-Jun-2013 07:40 AM 1234931

जिस परमाणु ऊर्जा के लिए सरकार हर हद से गुजरने के लिए तैयार दिखती है। उस तरह का एक प्लांट महाराष्ट्र के एक गांव में मौत की वजह बन गया है। तारापुर का प्रसिद्ध एटॉमिक एनर्जी प्लांट की वजह से लोग पल-पल मरने को मजबूर है। हर तरफ मौत की बीमारियां दिखती हैं। लोग बेबस है और सरकार नाकाम।
मुम्बई से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर ठाणे जिले में तारापुर है, जहां देश का सबसे पुराना परमाणु पॉवर प्लांट है। जिससे पूरे महाराष्ट्र में बिजली की सप्लाई होती है। तारापुर अटॉमिक पॉवर स्टेशन से सटा घिवली गांव है। इस गाँव में रहने वाले पहले मजदूरी किया करते थे, लेकिन पिछले कुछ बरसों से लगातार तारापुर परमाणु प्लांट पर सवाल खड़े हो रहे हैं। खासतौर से जापान के फुकुशीमा हादसे के बाद इन सवालों में और इजाफा हो गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि रेडिएशन की वजह से लोगों को कैंसर हो रहा है। इस गांव में तकरीबन 15000 की आबादी वाली इंसानी बस्ती है। कई लोग पहले मजदूरी किया करते थे। लेकिन रेडिएशन की चपेट में आने के बाद अब गांव में दूसरे काम करते है। अविनाश का घर न्यूक्लियर पॉवर प्लांट का बाऊंड्रीवाल से बिल्कुल सटकर है और यही वजह है कि रेडिएशन का असर अविनाश पर इस कदर हुआ कि उनके दोनों हाथों की उंगलियां अब ज्यादा काम नहीं कर पाती है। पिछले कई सालों में रेडिएशन ने अविनाश के शरीर के व्हाइट ब्लड सेल को कमजोर कर दिया जिसके चलते बिमारियों से उसकी लडऩे की ताकत यानी उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता लगातार घटती गयी। इससे उसके हाथों की उंगलियां सिकुडऩे लगी और हड्डियां कठोर होने लगी है।
बाकी लोगों के हालात भी कुछ कम बदतर नहीं है। गांव की ही मधु का कहना है कि उसके परिवार ने हाल ही में 8 साल के मासूम को खोया है। मधु की मानें तो उसके भांजे को रेडिएशन के चलते फेफड़ों में कैंसर ने जकड़ लिया था। इतने सब के बावजूद आज मधु और उसका भाई भी पॉवर प्लांट में काम करते हैं और नौकरी खोने के डर से ज्यादा कुछ बोलना नहीं चाहते। वहीं इस गांव में ऐसे कई लोग हैं जो अपनी बीमारी के बारे में बात नहीं करना चाहते हैं। उनको डर है कि रेडिएशन के बारे में बात करने से प्लांट प्रशासन उन्हें नौकरी से निकाल न दे। अकेले घिवली गांव में सालाना तकरीबन 10-15 लोग कैंसर से मरते हैं लेकिन रेडिएशन का खतरा इस कदर है कि डॉक्टर भी अपनी इस गांव में जाने से कतराते हैं। लोगों को इलाज के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर शहर में जाकर अपना इलाज करवाना पड़ता है। रेडिएशन ने अपनी चपेट में सिर्फ इंसानों को ही नहीं लिया है। पॉवर स्टेशन के कूलिंग प्लांट से निकलनेवाले गर्म पानी को जिस समंदर में छोड़ा जाता है उस समंदर के किनारे से न सिर्फ जंगल गायब होते जा रहे हैं बल्कि समंदर के भीतर मछलियां भी दम तोडऩे लगी हैं।

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