17-Feb-2018 08:00 AM
1234817
छत्तीसगढ़ में इस बार के विधानसभा चुनाव में मोतीलाल वोरा का अहम रोल होगा। आलाकमान को उम्मीद है कि कांग्रेस के यह द्रोणाचार्य इस बार प्रदेश में पार्टी की वापसी करा सकते हैं। इसलिए उन्हें चुनाव समिति में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। उल्लेखनीय है कि मोतीलाल वोरा को कुशल चुनावी रणनीतिकार माना जाता है। उनका राजनीतिक अनुभव भी कई दशक का है। मोतीलाल वोरा कांग्रेस के वरिष्ठ और दिग्गजों के करीबी माने जाते हैं। मोतीलाल वोरा अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं। ऐसे में आलाकमान उनके अनुभवों का फायदा चुनावी रणनीति में उठाना चाहता है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस चुनावी मैदानों में अब इस दिग्गज अनुभवी के पैंतरों पर चाल चलेगी।
कांग्रेस आलाकमान को अपने इस द्रोणाचार्य पर कितना विश्वास है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस बार चुनाव समिति में सांसदों को जगह नहीं दी गई है। हालांकि सूची से सांसदों का नाम नदारद होना बेहद चौकाने वाला है, हालांकि इसके पीछे की वजह से कमेटी को छोटा रखना बताया जा रहा है। चुनाव प्रचार समिति को छोड़ दिया जाये तो, बाकि सभी कमेटी में 10-11 मेंबर को रखा गया है। सिर्फ चुनाव प्रचार समिति में ही सबसे ज्यादा 33 नेताओं को जगह दी गयी है। कमेटी में दो सांसदों ताम्रध्वज साहू और छाया वर्मा को सिर्फ चुनाव प्रचार समिति में बतौर सदस्य शामिल किया गया है।
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मोतीलाल वोरा को प्रदेश चुनाव समिति में शामिल किया गया है। रायगढ़ लोकसभा की पूर्व सांसद पुष्पा देवी सिंह को प्रदेश चुनाव अभियान समिति में लिया गया है। एआईसीसी ने उक्त आदेश जारी किया है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर एआईसीसी महासचिव जनार्दन द्विवेदी द्वारा जारी इस आदेश के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में अब उम्मीदवारों के चयन और टिकट बंटवारे में वोरा की राय अहम होगी। साथ ही टिकट बंटवारे के बाद प्रदेश के नेताओं के असंतोष को दूर करने में भी एआईसीसी का यह निर्णय मददगार साबित होगा। पुष्पा देवी सिंह आदिवासी महिला हैं। रायगढ़ लोकसभा से तीन बार सांसद भी रह चुकी हैं। इस इलाके में इनका अपना प्रभाव है जिसकी चुनाव के लिहाज से अपनी अहमियत है। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों दिल्ली में आलाकमान के साथ प्रदेश के नेताओं की मुलाकात के दौरान भी यह मुद्दा जोर शोर से उठा था। प्रदेश के कुछ नेताओं ने वोरा समर्थकों की नाराजगी का हवाला देते हुए प्रदेश चुनाव समिति में उनको शामिल करने की मांग की थी। ऐसे में एआईसीसी के इस फैसले को वोरा समर्थकों के असंतोष को दूर करने की कवायद के रूप में भी देखा जा रहा है। इससे पहले समिति में भूपेश बघेल के नेतृत्व में 10 सदस्यों के अलावा सभी प्रकोष्ठों व विभागों के अध्यक्षों को शामिल किया गया था। उल्लेखनीय है कि यह पहला अवसर था कि प्रदेश चुनाव समिति में वोरा को शामिल नहीं किया गया था। इसकी उस समय काफी तीखी आलोचना हुई थी। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं। प्रदेश में बीजेपी दशकों से सत्ता में काबिज है। ऐसे में अपने चिर प्रतिद्वंदी को परास्त कर कांग्रेस को दशकों से सत्ता का सूखा मिटाने के लिए सबको साथ लेकर और वरिष्ठजनों के मार्गदर्शन में चलना बेहद आवश्यक हो गया है।
चुनाव समिति में इस बार सांसद गायब
छत्तीसगढ़़ के प्रत्याशी चयन में सांसदों का कोई रोल नहीं होगा। एआईसीसी द्वारा हाल ही में जारी हुई छत्तीसगढ़ कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की सूची से सांसदों का नाम गायब है। ये पहला ऐसा मौका है, जब प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में किसी सांसद का नाम नहीं है। इससे पहले जितने भी चुनाव हुए सभी में प्रदेश इलेक्शन कमेटी में बतौर सांसद मोतीलाल वोरा, मोहसिना किदवई मौजूद रहीं, लेकिन इस बार एक भी सांसद इस कमेटी में नहीं है। इस कमेटी में चेयरमैन भूपेश बघेल हैं, वहीं नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, चरणदास महंत, धनेंद्र साहू, रविंद्र चौबे, सत्यनारायण शर्मा, मोहम्मद अकबर, देवती कर्मा, रामदयाल उईके, शिवकुमार डहरिया और सभी फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष इसमें सदस्य होंगे।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला