आत्मनिर्भर महिलाओं की नई दुनिया
17-Oct-2017 08:57 AM 1234916
महिलाएं आत्मनिर्भर कैसे होती हैं? इसका जीती-जागती मिसाल देखना है तो आपको छत्तीसगढ़ आना पड़ेगा। एक नगर, एक कस्बा या एक गांव में एक आत्मनिर्भर महिला की संख्या आप अंगुलियों पर नहीं गिन पाएंगे। कहीं पूरा का पूरा गांव महिलाओं के आत्मनिर्भरता की पहचान बन गया है तो कहीं समूह आत्मनिर्भर है। कुछ ऐसी जगह भी है जहां अपने हुनर के बूते छत्तीसगढ़ से पार जाकर स्वयं के जीवन को खुशहाल बना लिया है। इन सबकी दास्तां सुनने और सुनाने के लिए वक्त चाहिए। आज हम एक छोटी सी कहानी में इनकी सफलता से आपका परिचय कराते हैं। इन सफलताओं की कड़ी में पहला नाम है एक छोटे से गांव जिगनिया की कुमारी सनेश्वरी। सनेश्वरी पहाड़ी को लाईवलीहुड कॉलेज बलरामपुर ने गारमेन्ट मेकिंग में तराश कर हुनरमंद बनाया और आज वह फ्रांनटीयर निटर प्राईवेट लिमिटेड तिरूपुर तमिलनाडु में 8500 रूपये प्रति माह वेतन के साथ आवासीय सुविधा भी मिल रही है। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के विकासखण्ड कुसमी के ग्राम जिगनिया की रहने वाली 20 वर्षीय कुमारी सनेश्वरी पहाड़ी कक्षा 11वीं तक पढ़ी है। पेशे से किसान पिता भागचंद गांव में रहकर खेती किसानी करते हैं और किसी तरह अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। सनेश्वरी के गांव में सुख-सुविधाओं का अभाव था। सपने बड़े थे और हौंसला भी कम नहीं था। जरूरत थी तो एक अवसर की और सनेश्वरी को अवसर मिला लाईवलीहुड कॉलेज में। लाईवलीहुड कॉलेज में सनेश्वरी को कपड़ा कटिंग, सिलाई और गारमेन्ट मेकिंग के बारे में बारीकी से सीखा। प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपरान्त सनेश्वरी पहाड़ी को रोजगार के रूप में फ्रांनटियर निटर प्राईवेट लिमिटेड तिरूपुुर तमिलनाडु में प्रतिमाह 8500 रूपये वेतन एवं आवासीय सुविधा मिल रही है साथ ही वह अपनी पढ़ाई को भी आगे जारी रखे हुए है। सनेश्वरी की यह कामयाबी दूसरी बच्चियों के लिए मार्गदर्शक साबित हो रही है। वे भी सनेश्वरी की तरह अपना भविष्य बनाना चाहती हैं। ऐसे हुनर और हौंसलों से भरपूर बच्चों को लाइवलीहुड कॉलेज हाथोंहाथ ले रहा है। अब आपको उन ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की सफलता से अवगत कराते हैं जिनके लिए शहर में व्यापार करना आसान नहीं है लेकिन इनके हौंसलों के आगे चुनौती छोटी पड़ जाती है। सारी झिझक खत्म हो जाती है। इस बात का प्रमाण है कुदालगांव की सूरज महिला ग्राम संगठन। इस संगठन से जुड़ी महिलाएं आमचो बस्तर बाजारÓ का संचालन करने लगी है जो उनके आत्मविश्वास का परिचय देती हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सूरज महिला ग्राम संगठन बेलबेटल, लौहशिल्प, बांस शिल्प, टेराकोटा, शीशल उत्पाद, कोसा उत्पाद, बस्तर वन उत्पाद, काष्ठ शिल्प, कौडी शिल्प के साथ ही बस्तर से जुड़ी साहित्य का विक्रय कर रही हैं। आमचो बस्तर बाजार में स्थानीय लोगों के साथ ही प्रदेश के बाहर से आने वाले पर्यटक निरंतर पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही यहां विदेशों से आने वाले पर्यटक भी पहुंचते हैं। आज भारत ही नहीं विश्वभर में आमचो बस्तर बाजार की चर्चा है। ईंट निर्माण ने बनाया आत्मनिर्भर आमचो बस्तर बाजार में छत्तीसगढ़ की कला नमूदार हो रही है तो नारायणपुर नगर की महिलाएं राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की सहायता से ईंट निर्माण गतिविधि संचालित कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। महालक्ष्मी स्व. सहायता समूह की अध्यक्ष बबीता बेसरा ने बताती हैं कि समूह गठित करने के पहले सभी महिलायें ईट निर्माण में मजदूरी कर परिवार के भरण-पोषण में मदद करती थी। इस दौरान राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के प्रबंधक रितेश पाटीदार ने सभी महिलाओं का समूह गठित कर बचत, साझा ऋण सहित छोटी आर्थिक गतिविधि संचालित करने की समझाईश दी जिससे इन महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई। अपनी छोटी सी बचत की 10 हजार रुपये के साथ इन महिलाओं ने ईंट निर्माण करने की ठानी। वहीं समूह के सदस्यों ने अपनी ईट निर्माण के लिए 50 हजार रुपये बैंक ऋण लेने का आवेदन आजीविका मिशन परियोजना में जमा किया। इस दौरान समूह की महिलाओं ने स्वयं के पास उपलब्ध रुपयों से ईंट निर्माण प्रारंभ कर दिया। बैंक ने भी उन्हें ऋण देकर उनके काम को आगे बढ़ाने में मदद की है। इस महिला समूह को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय निर्माण के लिए ईंट आपूर्ति का काम मिला है। -ज्योत्सना अनूप यादव
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