17-Oct-2017 08:51 AM
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फुटबॉल देश में क्रिकेट की लोकप्रियता को ध्वस्त कर सकता है। फीफा अंडर -17 वल्र्डकप ने यह साबित कर दिया है। वल्र्ड कप में अपने तीनों मुकाबले हारने के बाद भारतीय टीम भले ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई है, लेकिन टीम का प्रदर्शन लोगों के दिलों दिमाग पर छा गया है। भारतीय फुटबॉल टीम के जोरदार प्रदर्शन की चारों ओर तारीफ हो रही है, क्योंकि उसे अपने से मजबूत अमेरिका, कोलंबिया से हारने के बाद गुरुवार को घाना से भी मात मिली। भारतीय टीम ने अपने तीनों मुकाबलों से यह साबित कर दिया कि टीम का डिफेंस कितना मजबूत है। पहले मैच में भारत ने अमरीका जैसी अटैकिंग टीम को तीस मिनट तक गोल से महरुम रखा। जबकि दूसरे मैच में कोलंबिया को गोल के लिए 48 मिनट तक भारतीय खिलाडिय़ों से जूझना पड़ा। ऐसे ही तीसरे मैच में भी भारतीय डिफेंस ने 42 मिनट तक अपने खिलाफ गोल नहीं होने दिया।
फीफा का भारत में यह पहला आयोजन है। इस आयोजन में जिस तरह से भारतीय दर्शकों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया वो यह बताने को काफी है कि निकट भविष्य में भारत फुटबाल का स्तर बढऩे वाला है। खास कर राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में जिस तरह से लोगों की भीड़ जुटी वह काबिल-ए-तारीफ है।
फीफा विश्व कप से भारतीय टीम को सबसे बड़ी सफलता यह मिली कि भारतीय खिलाडिय़ों को दुनिया की दिग्गज टीमों के साथ दो-दो हाथ करने का मौका मिला। युवा भारतीय खिलाडिय़ों के लिए यह मौका शानदार रहा। इसका फायदा भारतीय टीम को आने वाले समय में देखने को मिलेगा। जब अंडर 17 से ये खिलाड़ी भारतीय फुटबाल टीम में शामिल होकर टूर्नामेंट का हिस्सा बनेंगे।
उधर, भारतीय टीम के कोच भारत के प्रदर्शन से बेहद संतुष्ट हैं। टीम के मुख्य कोच लुइस नोर्टन दे माटोस ने कहा कि बेशक उनकी टीम फीफा अंडर-17 विश्व कप में एक भी मैच नहीं जीत पाई हो, लेकिन मेजबान टीम को मिला अनुभव उनके लिए भविष्य में काफी कारगर साबित होगा। माटोस ने कहा कि अंडर-17 विश्व कप का स्तर आई-लीग और इंडियन सुपर लीग से कहीं ऊपर का था। उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ों ने इस टूर्नामेंट से काफी कुछ सीखा है जो उनके साथ तब भी रहेगा जब वह देश की सीनियर टीम के लिए खेलेंगे। माटोस ने मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, वह (भारत की अंडर-17 फुटबाल टीम के खिलाड़ी) दूसरों की तरह ही चतुर हैं। यह विश्व कप आई-लीग और आईएसएल से काफी बेहतर था, क्योंकि मैं जानता हूं कि जब आईएसएल टीम स्पेन में चौथी श्रेणी की टीम से खेलने जाती है वो हार जाती हैं।Ó
टीम के प्रदर्शन की तारीफ करते हुए माटोस ने कहा, इस स्तर पर दो मुश्किल मैचों के बाद मैं जानता था कि घाना के खिलाफ मैच मुश्किल होगा। मेरे मुताबिक, घाना ग्रुप में सबसे मजबूत टीम है। उनके खिलाड़ी काफी तेज हैं वो सभी मैच का रूख बदल सकते हैं।Ó उन्होंने कहा, हम शारीरिक रूप से काफी थके हुए थे। जब आप शारीरिक रूप से थके होते हैं तो आपका दिमाग काम करना बंद कर देता है और आप छोटी-छोटी गलतियां करते हो। मुझे अपनी टीम पर गर्व है।Ó कोच ने कहा, दोनों टीमों के बीच काफी बड़ा अंतर था।Ó कप्तान अमरजीत सिंह ने कहा, अनुभव काफी अच्छा था। हम दुनिया की शीर्ष टीमों के खिलाफ खेल रहे थे और घाना तो दो बार की चैम्पियन थी। हमने उनसे काफी कुछ सीखा।ÓÓ उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन उनमें प्रतिस्पर्धा अनुभव की कमी थी जो उनके जीतने के जज्बे पर हावी हो गयी। अमरजीत ने कहा, हमने टीम बैठकें की और हमने ठान लिया था कि हम शत प्रतिशत नहीं बल्कि 200 प्रतिशत देंगे। हम वहां जीतने के लिये गये थे क्योंकि हमें इतना समर्थन मिल रहा था और हम अच्छा करना चाहते थे और प्रशंसकों के सामने शानदार प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन हममें अनुभव की कमी थी।ÓÓ उन्होंने कहा, हमने 10 साल का होने के बाद फुटबॉल खेलना शुरू की, लेकिन अन्य टीमों के खिलाडिय़ों ने पांच या छह साल की उम्र से खेलना शुरू कर दिया था। इसलिए इससे काफी फर्क पड़ता है।
फुटबॉल के प्रति देश के युवाओं में उत्साह बढ़ा है। फिर चाहे बात इंग्लिश प्रीमियर लीग की हो या फिर ला लीगा की। स्कूल के छात्रों से भरे स्टेडियम में फुटबॉल मैच देखने का अपना अलग ही रोमांच है। साथ ही ये बहुत कुछ सिखाता भी है। बस अपने आंख और कान खुले रखिए फिर देखिए कैसे बदलते भारत में युवाओं के खेल के प्रति बदलती रूचि का नजारा दिखाई देता है।
-आशीष नेमा