30-May-2013 07:09 AM
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एक जमाना था जब विदेश जाना दुर्भाग्य माना जाता था लेकिन आज स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। आज उसे भाग्यशाली माना जाता है जिनकी कुण्डली में विदेश यात्रा का योग होता है। युवाओं में

तो विदेश यात्रा का क्रेज बना हुआ है सभी विदेश जाकर नाम, धन और यश कमाना चाहते हैं। कुण्डली में कुछ ऐसे योग होते हैं जो व्यक्ति को विदेश ले जाते हैं। अगर आप भी विदेश जाने के इच्छुक हैं तो देखिए क्या आपकी कुण्डली में विदेश यात्रा के योग हैं।
ग्रह कराते हैं विदेश यात्रा
जब कुंडली के द्वादश स्थान में राहु, मंगल जैसे क्रूर ग्रह बैठे हों तो जातक विदेश यात्रा करता है। तृतीय, नवम और द्वादश इन तीनों भावों का संबंध यात्रा से होता है। जब इनका पारस्परिक संबंध हो तो जातक कई विदेश यात्राएं करता है। जब राहु कुंडली में लग्न, दशम या द्वादश भाव में हो तो जातक विदेश यात्रा करता है।
लम्बी और छोटी यात्रा
लग्न का स्वामी अगर 12 वें भाव में हो तो जातक घर से बहुत दूर या विदेश में रहता है। लग्न, तृतीय व नवें भाव का स्वामी यदि 12वें, द्वितीय, तृतीय अथवा 9 वें भाव में हो तो जातक छोटी विदेश यात्रा करता है। यदि नवम भाव का स्वामी स्वगृही हो और साथ ही नवम भाव में हो व लग्न का स्वामी लग्न में हो तो जातक विदेश भ्रमण करता है। भाग्य भाव में तुला, कुंभ, मकर का शनि भी कई विदेश यात्राएं कराता है। अगर लग्नेश नवम में और नवमेश लग्न में हो तो जातक विदेश का रुख करता है। अष्टमेश के 8 वें भाव में होने से या सूर्य के अष्टम भाव में होने से भी विदेश यात्रा होती है।
विदेश यात्रा में बाधा हो तो क्या करें
विदेश यात्रा की चाहत रखने वाले बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो विदेश जाने के लिए बहुत अधिक प्रयास करते हैं लेकिन कोई न कोई बाधा आ जाती है और वे विदेश यात्रा से वंचित रह जाते हैं। ऐसे लोग यह कहते हैं कि उनकी किस्मत में विदेश यात्रा का योग ही नहीं है। लेकिन, कुछ उपाय ऐसे हैं जिनसे आप विदेश यात्रा में आने वाली बाधा को दूर कर सकते हैं।
मंत्र से बनेगा विदेश यात्रा का योग
विदेश यात्रा में आ रही बाधाएं निम्न उपाय करने से दूर हो जाती हैं। चार से छह रत्ती का गोमेद त्रिधातु में पहनना चाहिए तथा बुधवार से शुरू करके 49 दिन तक कबूतरों को बाजरा दें। तुलसी की माला लेकर इस मंत्र का जप करें -अनन्याश्चितयंतो माये जनापयर्पासने। नेषा नित्या मियुक्तानां योगक्षेम वहांम्यहम्।। मंत्र जप गुरुवार से शुरू करें। विदेश यात्रा की स्थिति बन जाने पर माला किसी नदी में प्रवाहित कर दें।
विदेश में अमीर बनने के योग
विदेश जाकर खूब सारा पैसा कमाने की चाहत बहुत से लोगों की होती है इसके लिए वह काफी प्रयास भी करते हैं। लेकिन, जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति विदेश में जाकर खूब सारा धन कमाए। विदेश में धन उन्हीं को मिलता है जिनकी किस्मत में वहां धन कमाना लिखा होता है। अगर आप भी विदेश में जाकर धन कमाने की ख्वाहिश रखते हैं तो देखिए क्या आपकी किस्मत में है विदेश में धनवान बनना।
परदेश में पैसा
ज्योतिषशास्त्र में विदेश यात्रा या यूं कहिए विदेश जाकर धन कमाने के लिए कुछ ग्रह स्थितियों का उल्लेख किया गया है। कुण्डली में ग्रह स्थितियों की जांच करके यह पता किया जा सकता है कि आपको विदेश जाने का मौका मिलेगा या नहीं हैं। ज्योतिष के नियम के मुताबिक दूसरे भाव का स्वामी विदेश भाव यानी बारहवें घर में होने पर व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपनी प्रतिभा से कामयाबी प्राप्त करता है। यही स्थिति तब भी बनती है जब तीसरे घर का मालिक अर्थात तृतीयेश द्वादश स्थान में होता है।
कुण्डली के बारहवें घर में पाचवें घर का स्वामी बैठा है तो इसे भी विदेष यात्रा का योग बनता है। पंचम भाव में तृतीयेश अथवा द्वादशेश बैठा हो एवं बारहवें भाव में पंचमेश विराजमान है या फिर बारहवें या पांचवें भाव में इन ग्रहों की युति बन रही हो तो विदेश में धन कमाने की अच्छी संभावना रहती है। भग्य भाव का स्वामी जन्म कुण्डली में बारहवें घर में हो एवं दूसरे शुभ ग्रह नवम भाव को देख रहे हों तो जन्म स्थान की अपेक्षा विदेश में आजीविका की संभावना को बल मिलता है।
विदेशी स्रोत से धन
चतुर्थ अथवा बारहवें भाव में से किसी में चर राशि हो और चन्द्रमा से दशवें घर में सूर्य एवं शनि की युति हो तो विदेश जाकर धन कमाने के लिए यह योग भी काफी अच्छा माना जाता है। आपका जन्म मकर लग्न में हुआ है और लग्नेश शनि छठे भाव में बैठा है तो विदेश में जाकर धन कमा सकते हैं अथवा विदेशी स्रोतों से धन का लाभ हो सकता है। इसी प्रकार का फल उन मेष लग्न वालों को मिलता है जिनकी कुण्डली में लग्नेश मंगल छठे घर में विराजमान होता है। विदेश जाकर धन कमाने के लिए एक सुन्दर योग यह है कि शुक्र दूसरे घर में मेष, वृश्चिक, मकर, कुम्भ अथवा सिंह राशि में हो तथा बारहवें घर का स्वामी शुक्र के साथ युति अथवा दृष्टि सम्बन्ध बनाये।
पं.. शर्मा