शनि साढ़ेसाती के तीन चरण
01-May-2013 09:12 AM 1234890

शनि साढेसाती में शनि तीन राशियों पर गोचर करते है। तीन राशियों पर शनि के गोचर को साढ़ेसाती (स्द्धड्डठ्ठद्ब स्ड्डस्रद्ग स्ड्डह्लद्ब) के तीन चरण के नाम से भी जाना जाता है। अलग- अलग राशियों के लिये शनि के ये तीन चरण अलग - अलग फल देते हैं। शनि की साढ़ेसाती के नाम से ही लोग भयभीत रहते हैं। जिस व्यक्ति को यह मालूम हो जाए कि उसकी शनि की साढ़ेसाती चल रही है, वह सुनकर ही मानसिक दबाव में आ जाता है। आने वाले समय में होने वाली घटनाओं को लेकर तरह-तरह के विचार उसके मन में आने लगते है। शनि की साढ़ेसाती को लेकर जिस प्रकार के भ्रम देखे जाते हैं। वास्तव में साढ़ेसाती का रुप वैसा बिल्कुल नहीं है।  आईये शनि के चरणों को समझने का प्रयास करते है।
साढ़ेसाती चरण-फल विभिन्न राशियों के लिये
साढ़ेसाती का प्रथम चरण  - वृ्षभ, सिंह, धनु राशियों के लिये कष्टकारी होता है। द्वितीय चरण या मध्य चरण- मेष, कर्क, सिंह, वृ्श्चिक, मकर राशियों के लिये अनुकुल नहीं माना जाता है। व अन्तिम चरण- मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, मीन राशि के लिये कष्टकारी माना जाता है।
इसके अतिरिक्त तीनों चरणों के लिये शनि की साढ़ेसाती निम्न रुप से प्रभाव डाल सकती है-
प्रथम चरण
इस चरणावधि में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। आय की तुलना में व्यय अधिक होते है। विचारे गये कार्य बिना बाधाओं के पूरे नहीं होते हैं। धन विषयों के कारण अनेक योजनाएं आरम्भ नहीं हो पाती है। अचानक से धन हानि होती है। व्यक्ति को निद्रा में कमी का रोग हो सकता है। स्वास्थ्य में कमी के योग भी बनते है। विदेश भ्रमण के कार्यक्रम बनकर -बिगड़ते रहते हंै। यह अवधि व्यक्ति की दादी के लिये विशेष कष्टकारी सिद्ध होती है। मानसिक चिन्ताओं में वृ्द्धि होना सामान्य बात हो जाती है। दाम्पत्य जीवन में बहुत से कठिनाई आती है। मेहनत के अनुसार लाभ नहीं मिल पाते है।
द्वितीय चरण
व्यक्ति को शनि साढ़ेसाती की इस अवधि में पारिवारिक तथा व्यवसायिक जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं। उसे संबन्धियों से भी कष्ट होते है। उसे लम्बी यात्राओं पर जाना पड़ सकता है। घर -परिवार से दूर रहना पड़ सकता है। रोगों में वृ्द्धि हो सकती हंै। संपति से संम्बन्धित मामले परेशान कर सकते है। मित्रों  का सहयोग समय पर नहीं मिल पाता है। कार्यो के बार-बार बाधित होने के कारण व्यक्ति के मन में निराशा के  भाव आते हंै। कार्यों को पूर्ण करने के लिये सामान्य से अधिक प्रयास करने पड़ते हैं।  आर्थिक परेशानियां भी बनी रह सकती हंै।
तीसरा चरण
शनि साढेसाती के तीसरे चरण में व्यक्ति के भौतिक सुखों में कमी होती है। उसके अधिकारों में कमी होती है। आय की तुलना में व्यय अधिक होते है। स्वास्थ्य संबन्धी परेशानियां आती हैं। परिवार में शुभ कार्य बाधित होकर पूरे होते है। वाद-विवाद के योग बनते है। संतान से विचारों में मतभेद उत्पन्न होते है। संक्षेप में यह अवधि व्यक्ति के लिये कल्याणकारी नहीं रहती है। जिस व्यक्ति की जन्म राशि पर शनि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण चल रहा हो, उस व्यक्ति को वाद-विवादों से बचके रहना चाहिए।
शनि का प्रभाव कम
करने के उपाय
*    शनि की साढ़ेसाती तथा ढैय्या के प्रभाव को कम करने के हमारे ग्रन्थों में अनेक उपचार बतलाये गये हैं। जिनके प्रयोग से इसके कुप्रभाव से बचा जा सकता है। ये उपचार इस प्रकार हैं -
*    शनि के वैदिक या बीज मंत्र का 23000 की संख्या में जाप करें।
*    शनिवार के दिन हनुमान जी की आराधना, चालीसा का पाठ, सुन्दर काण्ड का पाठ करें।
*    शनिवार के दिन तेलदान, शनि स्तोत्र का पाठ करें।
*    नीलम रत्न धारण करना भी लाभकारी होता है परन्तु पहले किसी ज्योतिषी का परामर्श अवश्य ले लें।

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