31-Aug-2017 06:37 AM
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छत्तीसगढ़ सरकार ने दावा किया है कि प्रदेश में कुपोषण को दूर करने के लिए सरकार संगठित तरीके से काम कर रही है। सरकार 24.68 लाख बच्चों व महिलाओं के पोषण आहार के लिए 460 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है। एक बारगी तो यह रकम बड़ी लगती है लेकिन जब हितग्राहियों की संख्या के आधार पर विश्लेषण करे तो पता चलता है कि सरकार प्रति बच्चे या महिला के पोषण के लिए एक दिन में महज 5.10 रुपए ही खर्च कर रही है। फिर क्या था चारों तरफ सरकार की फजीहत शुरू हो गई है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार उपलब्धियां गिनाने के लिए आंकड़ेबाजी का सहारा ले रही है। उसकी पोल कई बार खुल चुकी है।
उल्लेखनीय है कि सरकारी दावों के अनुसार छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में 2017 में 24.68 लाख बच्चों व महिलाओं के लिए साल भर में कुल 460 करोड़ रुपए आवंटित किये गये हैं। यानी की प्रत्येक के लिए एक साल में 1863 रुपयों का प्रावधान है। इस प्रकार से प्रतिदिन प्रति बच्चे व महिलाओं पर पूरक पोषण आहार के लिए महज 5.10 रुपए खर्च किया जा रहा है। प्रदेश के करीब 50 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन जिसमें चावल, मिक्स दाल, सब्जी, सोया तेल और नाश्ते में रेडी-टू-ईट, उबला भीगा देशी चना, गुड़, भुना हुआ मूंगफली देने का दावा किया जा रहा है लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्र तो खुलते ही नहीं। हद तो ये कि हर सोमवार मीठा दूध बांटने की योजना सरकार ने शुरू की है, लेकिन सोमवार को भी सैकड़ों केंद्र नहीं खुलते। इसे खुद राज्य सरकार ने बड़ी समस्या के तौर पर लिया है लेकिन कभी इसके लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। उल्लेखनीय है कि नवा जनत के साथ ही समेकित बाल विकास योजना, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, सुपोषण चौपाल, वजन त्योहार, फुलवारी व सबला योजना जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के माध्यम से 10 वर्षों में कुपोषण के स्तर में 10 प्रतिशत की कमी का दावा भी है। महतारी जतन व अमृत योजना 1 हजार 333 करोड़ रुपए का प्रावधान भी अलग है।
छह माह से तीन वर्ष के सामान्य बच्चों को 135 ग्राम, छह माह से तीन वर्ष की आयु तक के गंभीर कुपोषित बच्चों को 211 ग्राम और गर्भवती माताओं को 165 ग्राम रेडी-टू-इट फूड दिया जा रहा है। इसके अलावा 20 ग्राम मुर्रा लड्डू और साथ में डबल फोर्टिफाइड नमक दिया जा रहा है। पर कुपोषण पर सरकार अब भी गंभीर नहीं नजर नहीं आ रही। तभी तो सरकार 2017 में बच्चों पर 5.10 रुपए खर्च कर कुपोषण दूर करना चाह रही है। हालांकि पिछले साल के प्रति दिन प्रति बच्चे 4.80 रुपए से यह 30 पैसा ज्यादा है, लेकिन महंगाई के लिहाज से देखे तो इतने रुपए खर्च कर सुपोषित करना असंभव सा लगता है।
गैर सरकारी संगठन जन स्वास्थ्य सहयोग के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य में पांच वर्ष से कम आयु के 65 फीसदी बच्चे कुपोषण से प्रभावित है और इनमें से 50 फीसदी बच्चों की मौत की वजह कुपोषण ही है, लेकिन सरकार तो इस बात पर ही खुशियां मना रही है कि नवाजतन योजना के कारण 2012 से लेकर 2016 के बीच प्रदेश के 91259 बच्चें कुपोषण से बाहर आए। महिला बाल विकास मंत्री रमशीला साहू अपने भाषणों में इन आंकड़ों को कई बार बता चुकी हैं। विभाग के अधिकरियों ने तो यह आंकड़ा रट भी लिया है। तभी तो वे कहते हैं कि नवाजतन योजना में चार चरण सफलतापूर्वक पूरे कर लिये गये है। भारत सरकार के आंकड़ों की मानें तो राज्य के 17 जिले जिनमें ज्यादातर आदिवासी बाहुल्य वाले हैं, में कुपोषण सबसे ज्यादा है। जो दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है।
- रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला