सूखे के मुहाने पर बुंदेलखण्ड
31-Aug-2017 06:33 AM 1234828
बुंदेलखंड की बदहाली को दूर करने के लिए सरकार जितने कदम उठाती है क्षेत्र की बदहाली और बढ़ती जाती है। क्षेत्र के विकास की सारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही हैं। आलम यह है कि हजारों करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी एक बार फिर बुंदेलखण्ड सूखे के मुहाने पर है। बारिश कम होने से बांधों का जलस्तर घटता जा रहा है। इससे मप्र के हिस्से के बुंदेलखंड में आने वाले जिलों के लोगों में बेचैनी बढऩे लगी है। यह स्थिति इसलिए निर्मित हुई है कि बुंदेलखंड पैकेट से निर्मित नलजल योजनाएं ठप हो गई हैं। दरअसल, बुंदेलखंड पैकेज के तहत निर्मित 90 फीसदी नलजल योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार हुआ था। इस भ्रष्टाचार की रिपोर्ट सरकार को भेजी गई, लेकिन दोषी अफसरों के खिलाफ अभी तक कार्रवाई नहीं हो पाई है। उल्लेखनीय है कि केंद्र्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने मप्र के बंदेलखंड क्षेत्र के 6 जिलों के विकास के लिए 3700 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज दिया था। जिसके तहत 9 विभागों द्वारा अलग-अलग विकास कार्य कराए गए, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ। कागजी योजनाओं को अमलीजामा पहनाकर पूरे पैकेज को डैमेज कर दिया गया। जिसका परिणाम है कि आज बुंदेलखंड के जिले सूखे की कगार पर हैं। बुंदेलखंड पैकेज के तहत जिन 9 विभागों द्वारा अलग-अलग विकास कार्य कराए सभी में भ्रष्टाचार हुआ है, लेकिन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग ने तो सारे रिकार्ड ही तोड़ दिए। दरअसल, विभाग द्वारा 6 जिलों में 100 करोड़ की लागत से 1287 नलजल योजनाएं तैयार की। इनमें से 997 योजनाएं शुरू ही नहीं हो पाईं। सीटीई रिपोर्ट के बाद पीएचई ने बुंदेलखंड पैकेज से जुड़े 15 अफसरों पर आरोप तय कर दिए हैं। इस संदर्भ में राज्य सरकार को 100 पेज की रिपोट भेज दी गई है। जिसमें 78 करोड़ रुपए की बर्बादी के लिए सीधे तौर पर अफसरों को जिम्मेदार बताया है। सरकार को भेजी रिपोर्ट में सागर संभाग के तत्कालीन अधीक्षण यंत्री सीके सिंह समेत 6 जिलों के कार्यपालन यंत्रियों पर आरोप तय किए हैं। रिपोर्ट में उल्लेख है कि अफसरों ने बुंदेलखंड पैकेज के तहत योजनाएं तैयार करने में अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया। यही कारण है कि 1287 में से 997 नलजल योजनाएं पूर्णत: व्यर्थ रही। अफसरों ने न तो सामान की गुणवत्ता परखी, न भौतिक सत्यापन किया, न साइट विजिट की, न ही पाइन लाइन बिजली पंपों की गुणवत्ता परखी। अफसरों ने कार्यालय में बैठकर ही काम पूरा कर दिया। यदि अफसर जिम्मेदारी निभाते तो बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्र की तस्वीर बदल गई होती। बुंदेलखंड पैकेज में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले समाजसेवी पवन घुवारा हाईकोर्ट तक गए। हाईकोर्ट के आदेश पर जांच हुई। घुवारा का आरोप है कि अभी तक सरकार ने उन्हें जांच की कोई जानकारी नहीं दी है। मुख्य सचिव को कई बार पत्र लिखे। उन्होंने कहा कि मप्र में 3700 करोड़ रुपए के पैकेज में 80 फीसदी से ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है। जनता को कोई फायदा नहीं मिला। देश में पहली बार किसी पिछड़े क्षेत्र के लिए पैकेज दिया। अब भविष्य में ऐसा पैकेज किसी को मिलने वाला नहीं है। राज्य सरकार ने अभी तक केंद्र के बुंदेलखंड पैकेज का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजा है। सूखने लगे तालाब, खाली हो रहे बांध पथरीले भू भाग वाले बुंदेलखंड में तालाब सूखने लगे हैं, वहीं बांध तेजी से खाली हो रहे हैं। करीब साढ़े चार लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में यहां बोई गई खरीफ की फसल वर्षा जल के अभाव में चौपट होने की कगार पर है। सूखे की आशंका के मद्देनजर इलाके से बड़ी संख्या में किसानों का पलायन शुरू हो गया है। मौके की नजाकत भांप कर विभिन्न जिलों से प्रशासन द्वारा इस संबंध में राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रेषित की गई है। सरकारी आकड़ों के अनुसार अब तक महज 198 मिमी बारिश हुई है। परिणाम स्वरूप सिंचाई के लिए वर्षा जल पर आश्रित रहने वाले इलाके का अधिकांश कृषि क्षेत्र अपनी प्यास नहीं बुझा सका और खरीफ में इस पर बोए गए दाने अंकुर निकलने के साथ ही कुम्हलाने लगे। पानी के अभाव में कई क्षेेत्रों में तो बीज ही अंकुरित नहीं हुए। -अवधेश कुमार
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^