19-Aug-2017 05:34 AM
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दिल्ली में बवाना विधानसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अग्रिपरीक्षा होगी। उपचुनाव को लेकर दिल्ली की राजनीति एक बार फिर से गरमाने लगी है। उपचुनाव 23 अगस्त को है। बवाना उपचुनाव को लेकर भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। भाजपा ने इस चुनाव में बवाना से आम आदमी पार्टी के विधायक रहे वेद प्रकाश को अपना उम्मीदवार बनाया है। वेद प्रकाश ने पिछला चुनाव आम आदमी पार्टी के टिकट पर जीता था, लेकिन वेद प्रकाश ने एमसीडी चुनाव के ठीक पहले विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। ऐसे में भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। भाजपा ने बवाना सीट जिताने की जिम्मेदारी पार्टी नेताओं में बांटी है।
दूसरी तरफ, बवाना चुनाव को देखते हुए नेताओं का पाला बदलने का खेल भी शुरू हो गया है। बवाना से भाजपा के विधायक रहे और पिछले चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी गुग्गन को आम आदमी पार्टी ने अपने पाले में कर लिया है। आम आदमी पार्टी ने पहले से ही यहां से भाई रामचंद्र को प्रत्याशी बना रखा है, लेकिन गुग्गन के पार्टी में शामिल होने के बाद चर्चा चल रही है कि अब उन्हें ही आप का प्रत्याशी बनाया जाएगा। वहीं, कांग्रेस ने बवाना उपचुनाव के लिए पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार को मैदान में उतारा है। एमसीडी चुनाव और हाल के रजौरी गार्डेन उपचुनाव में कांग्रेस ने बढिय़ा प्रदर्शन किया था। स्वराज इंडिया पार्टी और बीएसपी जैसी पार्टियां भी बवाना उपचुनाव में मुख्य राजनीतिक पार्टियों का गणित बिगाडऩे में लग गई हैं। भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के मुकाबले कांग्रेसी नेताओं ने बाहरी दिल्ली के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को चुनाव की कमान सौंपने की मांग बढ़ती जा रही है। जबकि, कांग्रेस नेताओं का एक खेमा सज्जन कुमार को आगे किए जाने के पक्ष में नहीं है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक बड़ा तबका आप और भाजपा से मुकाबले के लिए सज्जन को मजबूत विकल्प मान रहा है।
बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले बवाना विधानसभा क्षेत्र में लगभग तीन लाख 87 हजार वोटर हैं। इनमें सिर्फ सवा लाख वोटर 25 गांवों में रहते हैं। झुग्गी-झोपड़ी कॉलोनियों में रहने वाले वोटरों की तादाद भी एक लाख के आस-पास है। दिल्ली देहात से ताल्लुक रखने वाले भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. साहिब सिंह वर्मा और कांग्रेस के सज्जन कुमार का बाहरी दिल्ली में अच्छा वर्चस्व रहा है। कई सालों तक इस क्षेत्र में कांग्रेस का कब्जा रहा। साहिब सिंह वर्मा ने जब से यहां से भाजपा से चुनाव लडऩा शुरू किया कांग्रेस की जड़ें हिलनी शुरू हो गईं। पिछले दो-तीन दशक से हार-जीत भले ही इन दोनों दिग्गजों में से किसी की होती रही, लेकिन बाहरी जनता के लिए दोनों प्रिय बने रहे। 2007 में साहिब सिंह वर्मा के आकस्मिक निधन के बाद काफी दिनों के बाद उनके पुत्र प्रवेश वर्मा ने इस क्षेत्र में फिर से भाजपा के लिए आधार बनाना शुरू कर दिया है। साल 1993 से अस्तित्व में आई दिल्ली विधानसभा के लिए हुए छह चुनावों में से तीन बार कांग्रेस ने दो बार भाजपा ने और एक बार आम आदमी पार्टी ने बवाना सीट से जीत हासिल की है। कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेंद्र कुमार के बारे में कहा जाता है कि वह सज्जन कुमार के काफी करीबी हैं। सुरेंद्र कुमार ने कांग्रेस का मोर्चा मजबूती से थाम रखा है लेकिन, पार्टी की गुटबाजी कम होने का नाम नहीं ले रही है।
आम आदमी पार्टी ने भी बवाना उपचुनाव को लेकर प्रचार तेज कर दिया है। गुग्गन सिंह के आप में शामिल होने के मौके पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब कोई एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाता है तो कई तरह की बातें कही जाती हैं। गुग्गन सिंह बवाना से ही विधायक रह चुके हैं और वह आम आदमी पार्टी में इसलिए जुड़े हैं क्योंकि वह क्षेत्र का विकास चाहते हैं। आपको बता दें कि गुग्गन सिंह भाजपा से नाराज चल रहे थे, उनकी नाराजगी टिकट बंटवारे को लेकर थी क्योंकि उनकी जगह भाजपा ने वेदप्रकाश को टिकट दे दिया था। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल विधानसभा उपचुनाव पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। पिछले एमसीडी चुनाव के 40 सीटों पर और रजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में आम आम आदमी पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी। ऐसे में आप बवाना सीट को हर हाल में जीतना चाहती है।
क्या जनता का विश्वास जीतेगी
आप
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद इस विधानसभा क्षेत्र पर नजर बनाए हुए हैं। देश की जनता को भले ही लगे कि यह दिल्ली में महज एक सीट के लिए चुनाव हो रहा है, लेकिन दिल्ली की इस एक सीट का उपचुनाव अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं। क्योंकि आने वाले समय में इस हार-जीत का दिल्ली की सियासत पर काफी फर्क पडऩे वाला है। शायद यही वजह है की केजरीवाल इनदिनों अपना अधिक समय जनता के बीच गुजार रहे हैं। अब सवाल उठता है कि अपनी हरकतों के कारण जनता का विश्वास खो चुकी आप इस उपचुनाव में जनता का विश्वास जीत पाएगी या फिर उसे हार का सामना करना पड़ेगा।
-कुमार विनोद