17-Apr-2017 09:10 AM
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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देशभर में कई प्रोजेक्ट लॉन्च किए जा रहे हैं। रियल इस्टेट कारोबार पिछले एक साल से मंदी का शिकार है और रही-सही कसर नोटबंदी ने तोड़ दी, जिसके चलते अब हर बिल्डर और कॉलोनाइजर सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट लाने में जुट गया है। रियल इस्टेट कारोबारियों की प्रमुख संस्था क्रेडाई ने केन्द्र के आवास एवं शहरी उन्मूलन मंत्रालय के साथ 375 प्रोजेक्टों के एमओयू साइन किए हैं, जिसमें 2 लाख से अधिक सस्ते मकान देशभर में बनाए जाएंगे। इसमें इंदौर का भी एक प्रोजेक्ट शामिल है, जिस पर 140 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 15 से अधिकतम 30 लाख रुपए कीमत के ये सस्ते मकान इंदौर सहित 53 शहरों में बनेंगे।
प्रदेश के सभी नगर निगम सस्ते आवास निर्माण करने जा रहे हैं। इनमें इंदौर नगर निगम भी सस्ते आवासों के तहत 20 हजार से अधिक फ्लैटों का निर्माण करने जा रहा है, जिसके लिए पिछले दिनों 170 एकड़ से अधिक सरकारी जमीन भी प्रशासन ने आवंटित की है। अभी इंदौर में ढेर सारी टाउनशिप और बहुमंजिला इमारतों के प्रोजेक्ट पहले से ही चल रहे हैं और पर्याप्त संख्या में तैयार माल भी पड़ा है, लेकिन मंदी और नोटबंदी के चलते अब निवेशक तो हैं नहीं और वास्तविक खरीददारों के मान से कई गुना अधिक फ्लैट तैयार हो गए हैं। बायपास से लेकर खंडवा रोड, निपानिया, बिचौलीमर्दाना सहित निगम सीमा में शामिल किए गए अधिकांश 29 गांवों और अब सुपर कॉरिडोर पर भी ये प्रोजेक्ट लाए गए हैं। इसी बीच प्रधानमंत्री आवास योजना की घोषणा हो गई, जिसमें 2022 तक सबको मकान उपलब्ध कराए जाना है, जिसके तहत सब्सिडी देने के अलावा बैंक के लोन पर ब्याज दरों में भी छूट दी जाएगी। इंदौर में अभी सस्ते मकानों का अभाव इसलिए है, क्योंकि हाउसिंग बोर्ड और इंदौर विकास प्राधिकरण इस मामले में फिसड्डी साबित हुए और निजी बिल्डरों-कॉलोनाइजरों ने 40 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ या इससे अधिक मूल्य के लग्जरी फ्लैटों का निर्माण अधिक किया है, मगर अब सभी सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट लाने में जुट गए हैं।
पिछले दिनों क्रेडाई ने 375 प्रोजेक्टों का एमओयू केन्द्रीय आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के साथ किया है, जिसके तहत 17 राज्यों के 53 शहरों में 15 से 30 लाख रुपए की कीमत वाले सस्ते मकान यानि ज्यादातर फ्लैट्स बनाए जाएंगे। इनकी कुल संख्या 2 लाख से अधिक रहेगी और इसमें 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश भी किया जाएगा। इस संबंध में अभी पिछले दिनों प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रमुख डेवलपर्स, बैंकरों और औद्योगिक संगठनों के साथ सस्ती आवासीय परियोजना को लेकर बैठक भी की। इसमें रियल इस्टेट कारोबारियों ने सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिए एकल खिड़की मंजूरी की मांग भी की और सस्ती सरकारी जमीनें भी मांगी, ताकि मकानों की लागत कम से कम की जा सके। वहीं दूसरी तरफ केन्द्र सरकार ने कर्ज से जुड़ी सब्सिडी योजना का विस्तार अब शहरों तक कर दिया है, जिसके चलते जिनकी आमदनी 12 से 18 लाख रुपए साल तक है, उन्हें भी आवास ऋण में 4 प्रतिशत और 3 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी। ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी के मकानों के खरीददारों की अब सालाना आमदनी अधिकतम 18 लाख रुपए तक मान्य की जाएगी और उन्हें छूट का लाभ मिलेगा। अभी जो एमओयू क्रेडाई के जरिए साइन किए गए हैं, उसमें पूरे मध्यप्रदेश से इंदौर का एक मात्र प्रोजेक्ट एमओयू अभी साइन हुआ है। हालांकि इसके साथ ही तीन बड़े प्रोजेक्ट फिलहाल आ रहे हैं, जिनमें से दो इंदौर के मूसाखेड़ी और बिजलपुर में और एक प्रोजेक्ट उज्जैन में आएगा। अभी 9 अप्रैल को क्रेडाई के साथ इंदौर के शुभम डवलपर्स के मालिक सुमित मंत्री ने एमओयू साइन किया है। शुभम टॉवर्स के नाम से यह प्रोजेक्ट बिजलपुर में लाया जा रहा है, जो कि लगभग 14 हजार स्क्वेयर मीटर जमीन पर आएगा। इसमें कुल
बिल्टप एरिया साढ़े 46 हजार स्क्वेयर मीटर शामिल रहेगा। इस प्रोजेक्ट में 482 यूनिट्स यानि फ्लेट निर्मित किए जाएंगे और इस पूरे प्रोजेक्ट में 140 करोड़ रुपए का निवेश करना बताया गया है।
42 माह लेट हैं मध्यप्रेदश के हाउसिंग प्रोजेक्ट
पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने लेटलतीफ हाउसिंग प्रोजेक्टों को सबक सिखाने के लिए रियल इस्टेट नियामक कानून यानी रेरा को भी लागू कर दिया है। मध्यप्रेदश की शिवराज सरकार ने भी हूबहू केन्द्र के इस रेरा कानून को अमल में लाने का निर्णय लिया और अभी अगले महीने यानी 1 मई से रेरा कानून लागू हो जाएगा, जिसके चलते रियल इस्टेट कारोबारियों में अच्छी-खासी घबराहट भी है। पिछले दिनों एसोचैम ने देशभर के रियल इस्टेट प्रोजेक्टों की स्टडी करवाई, तो उसमें खुलासा हुआ कि 2300 से ज्यादा प्रोजेक्टों में से 800 से अधिक प्रोजेक्ट ही ठीक-ठाक चल रहे हैं और बाकी सभी प्रोजेक्ट 40 से अधिक माह विलंब से हैं। इसमें मध्यप्रदेश के प्रोजेक्ट 42 माह लेट बताए गए हैं। प्रदेश में ही कई बड़े और महत्वपूर्ण रियल इस्टेट के प्रोजेक्ट जहां लेटलतीफी का शिकार हुए, वहीं उनमें कई तरह के विवाद भी सामने आ रहे हैं।
- विकास दुबे