22-Jul-2017 08:04 AM
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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रहार कार्यक्रम के कारण वहां के नक्सलियों में भगदड़ मच गई है। पुलिस और सुरक्षा बल के लगातार प्रहार से बैकफुट पर पड़े नक्सली अब मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के बीच जंगलों में नया जोन बनाने की तैयारी में जुटे हैं। इसका खुलासा राजनांदगांव जिले में हुई एक मुठभेड़ के बाद बरामद दस्तावेजों से हुआ है। इस जोन में मध्यप्रदेश के बालाघाट और महाराष्ट्र के गोंदिया जिलों के साथ छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, कवर्धा तथा मुंगेली जिलों को शामिल किया गया है। 25 पेज के नक्सल दस्तावेज में इसे महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ कॉन्फ्लुएंस (एमएमसी) जोन कहा गया है।
बताया जा रहा है कि नवंबर 2015 में बस्तर के दरभा डिविजन के कमांडर सुरेंद्र को प्रमोट कर जोनल कमांडर बनाया गया और एमएमसी कॉरिडोर की कमान सौंपी गई। इससे पहले 2006-07 में नक्सलियों ने बलांगीर, बरगढ़, महासमुंद (बीबीएम) डिविजन का गठन किया था। गोंदिया, राजनांदगांव, बालाघाट (जीआरबी) एक छोटा डिविजन है। जीआरबी के करीब 20-30 नक्सली भी अब एमएमसी जोन में शामिल हो गए हैं। पुलिस अफसरों का अनुमान है कि एमएमसी में कुल मिलाकर करीब 80 नक्सली हैं। इस टुकड़ी को उन्होंने विस्तार प्लाटून नाम दिया है।
हिंदी में प्रिंटेड दस्तावेज में लिखा है कि विस्तार के लिए ग्रामीणों में राजनीतिक चेतना जगानी पड़ेगी। ग्राम समितियों को हमारी योजना और रणनीति से परिचित कराने की जरूरत है। फरवरी में मुठभेड़ के दौरान हमने कुछ दस्तावेज गंवा दिए, जिससे पुलिस को हमारी योजना पता चल गई है। इसके बाद फोर्स ने अपनी रणनीति बदली है। जगह-जगह कैंप बना रहे हैं। अभी हाल ही में मप्र में हुए किसान आंदोलन के दौरान भी नक्सलियों ने पर्चा बांटकर किसानों को समर्थन देने की बात कही थी। उधर बालाघाट में पिछले कुछ दिनों से नक्सलियों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। बालाघाट पुलिस को जंगलों में नक्सलियों की सक्रियता की खबर मिली है और उसने सर्चिंग तेज कर दी है। नए नक्सल जोन को लेकर तीनों राज्यों में हड़कम्प मचा हुआ है। जानकारी के अनुसार अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए नक्सली प्लाटून, कंपनी, डिविजन, रेंज और जोन कमेटी बनाते हैं। जोन कमेटी को राज्य कमेटी माना जाता है। इसके अंतर्गत दो-तीन रेंज शामिल होते हैं। रेंज में चार-पांच डिविजन आते हैं। जोन कमेटी के गठन का मतलब है इस इलाके को नक्सली बस्तर की तरह अपना मजबूत गढ़ बनाना चाहते हैं। कवर्धा, राजनांदगांव और बालाघाट के जंगल बस्तर के जंगलों जैसे ही हैं। रास्ते नहीं हैं और अंदरूनी इलाकों में सरकार की पहुंच न के बराबर है। इसलिए नक्सलियों ने इन क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। दुर्ग रेंज के आईजी दीपांशु काबरा कहते हैं कि नक्सली दस्तावेजों से पता चला है कि वे कवर्धा, मुंगेली जैसे नए इलाकों में एक नया जोन बना रहे हैं। हमने उस इलाके में नए कैंप खोले हैं। कुछ मुठभेड़ भी हुई हैं। डीआरजी की दो नई बटालियन भी वहां तैनात की जा रही है। उधर बालाघाट एसपी अमित सांघी ने भी जिले में नक्सली ग्रुप के मूवमेन्ट की बात मानी है।
बनाया नया संगठन, सीमावर्ती इलाकों में हुआ सक्रिय
मध्यप्रदेश के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे इलाकों में एक नए नक्सली संगठन के सक्रिय होने की सूचना है। सीमावर्ती बालाघाट जिले में पुलिस इस नए नक्सली संगठन कवर्धा-कबीरधाम से चुनौती मिल रही है। बालाघाट के पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ने जहां नए नक्सली ग्रुप के मूवमेंट को कैसे स्वीकार किया है, वहीं साथ ही उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के इस ग्रुप में शामिल होने की किसी भी आशंका से इनकार किया है। जानकारी के अनुसार नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले के मलाजखंड, टाडा व दड़ेकसा में दलम सक्रिय हैं। इसके अलावा कभी-कभी दूसरे राज्य से भी नक्सलियों की उपस्थिति दर्ज होती रही है, जो समय-समय पर पुलिस को चुनौती देते रहे हैं। नक्सलियों की इस उपस्थिति के चलते बालाघाट के जगंलों में जिला पुलिस बल के अलावा हॉकफोर्स और सीआरपीएफ की तैनाती भी की गई है। हाल के दिनों में जिले की सीमा में कवर्धा-कबीरधाम के नाम से एक नए नक्सली संगठन का नाम सामने आ रहा है। इस संगठन के संदर्भ में ज्ञात हुआ हैं कि यह इस समय बालाघाट के सीमांत क्षेत्र गढ़ी, छग के कवर्धा बार्डर से लगे हुए चिल्पी और मंडला जिले के मोतीनाला के आसपास सक्रिय है। सूत्रों के मुताबिक इस संगठन ने ग्रामीणों से अपने बच्चों को शामिल करने की अपील करते हुए कुछ गांवों में बैठकें भी की हैं।
- श्यामसिंह सिकरवार