22-Jul-2017 07:47 AM
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मप्र में जून की गर्मी में हुए किसान आंदोलन ने सुस्त पड़ी कांग्रेस में भी गर्मी ला दी है। इस आंदोलन के दौरान कांग्रेसी नेता जिस तरह एक सूर में बोलते नजर आए उससे तो एक बात तो तय हो गई हैं कि उन्हें अहसास हो गया है कि अब गुटबाजी नहीं जुगलबंदी जरूरी है। वर्ना वनवास खत्म नहीं होने वाला। शायद यही वजह है की अब मध्यप्रदेश कांग्रेस की राजनीति में दिग्गज नेताओं की जुगलबंदी के चर्चे जोर पकड़ रहे हैं। लेकिन इस जुगलबंदी में भी सामुहिकता नजर नहीं आ रही है।
जुगलबंदी में भी नेता अलग-अलग दिख रहे हैं। यथा प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव के साथ नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की जोड़ी काफी सक्रिय दिख रही है, तो सिंधिया और सुरेश पचौरी की जुगलबंदी की चर्चा चारों ओर है। इसके अलावा जिस जोड़ी की जुगलबंदी की चर्चा सबसे जोरों पर है, वो है कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जुगलबंदी। राजनीतिक पंडित इसे अलग-अलग नजरिए से देख रहे हैं। कोई नेताओं के अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थ की चर्चा कर रहा है, तो कोई इसे कांग्रेस की रणनीति बताकर हर मोर्चे पर भाजपा को घेरने की चाल की तरह देख रहा है। पर कांग्रेस के लिए अच्छी बात ये है कि ये नेता जोडिय़ों में भले हैं, लेकिन जमीन पर कांग्रेस के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं।
मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह इन दिनों एक ही सुर में एक साथ सक्रिय नजर आ रहे हैं। कहीं भी दौरा हो या हो कोई कार्यक्रम, अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की ये जोड़ी एक साथ नजर आती है। मप्र कांग्रेस की राजनीति को लंबे समय से जानने वाले ये मानकर चल रहे हैं कि दोनों नेता अपने पिताओं की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। अर्जुन सिंह और सुभाष यादव का तालमेल काफी बेहतर था और इन दोनों नेताओं की आपस में बनती थी। ऐसा ही दोनों नेताओं के बेटों के साथ देखने मिल रहा है। इनकी जुगलबंदी को लेकर सियासी पंडित मानते हैं कि दोनों पार्टी की तरफ से महत्वपूर्ण पद पर हैं और ऐसे में इन दोनों की केमेस्ट्री ही नदारद रहेगी, तो हाईकमान सवाल खड़े कर सकता है। दूसरी तरफ ये भी चर्चा है कि चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार होते हैं। ऐसे में इन नेताओं ने पार्टी पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए ये जुगलबंदी की है।
युवा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी की जुगलबंदी की चर्चा भी काफी जोरों पर है। कांग्रेस का कोई भी आयोजन हो, दोनों नेताओं की नजदीकी चर्चा का विषय रहती है। हाल ही में सिंधिया के सत्याग्रह में सुरेश पचौरी की सक्रियता देखने लायक थी। सत्याग्रह के दौरान पचौरी अपने समर्थकों के साथ कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करते नजर आए। उनके समर्थकों का हुजूम सिंधिया के समर्थकों के साथ ताल से ताल मिलाता नजर आया। सिंधिया समर्थक भी अब सुरेश पचौरी के हर आयोजन में मौजूदगी दिखाते नजर आते हैं।
प्रदेश में इन दिनों कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जुगलंबदी की चर्चा सबसे ज्यादा है। लेकिन इस जुगलबंदी की सबसे खास बात यह है कि अन्य जोडिय़ों की तरह ये नेता अपनी जुगलबंदी का प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, क्योंकि दोनों नेता राजनीति में काफी परिपक्व हैं और इन जोडिय़ों को तोडऩे और नए सिरे से जोडऩे का माद्दा रखते हैं। जहां तक अरूण और अजय की जोड़ी की बात है, तो इस जोड़ी को कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के संरक्षण में काम कर रही जोड़ी के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं हाईकमान से इन नेताओं की नजदीकी बाकी सभी नेताओं से काफी ज्यादा है। पिछले दिनों सोनिया गांधी मप्र की भावी रणनीति को लेकर इन दोनों नेताओं से अलग-अलग चरणों में लंबा विचार विमर्श कर चुकी हैं। वैसे भी लंबे समय से कमलनाथ को कांग्रेस की कमान सौंपे जाने की चर्चा है और इसके पहले भी ये जोड़ी अजय सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनवाकर बाकी तमाम जोडिय़ों को अपनी ताकत का एहसास करा चुकी है। राजनीतिक पंडित भी मानते हैं कि सिंधिया एक आकर्षित करने वाला चेहरा हो सकते हैं, लेकिन चुनाव लडऩे के लिए जरूरी फंड का इंतजाम कमलनाथ कर सकते हैं, तो मैनेजमेंट दिग्विजय सिंह कर सकते हैं।
लेकिन इससे कांग्रेस की परेशानी कम होती नजर नहीं आ रही है। अब कांग्रेस की राजनीति में गुटों की चर्चा कम हुई है, तो जुगलबंदी की चर्चा जोरों पर है। भाजपा इस जुगलंबदी को गुटबाजी की नजर से ही देख रही है। लेकिन भाजपा को एक बात समझ नहीं आ रही है कि ये नेता भले ही जोड़ी बनाकर सक्रियता
दिखा रहे हों, लेकिन मध्यप्रदेश में इन सभी नेताओं की अपनी-अपनी तरह से सक्रियता बढ़ गयी है।
अब लहार में जुटेंगे कांग्रेस दिग्गज
13 सालों से सत्ता का वनवास काट रही कांग्रेस इन दिनों काफी सक्रिय नजर आ रही है। कभी गुटबाजी से पीडि़त कांग्रेसी अब सड़क पर संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। चुनावी मोड में आई कांग्रेस अब सरकार को घेरने के साथ पार्टी में एकता का संदेश देने के प्रयास में जुट गई है। लगातार ऐसे कार्यक्रम हो रहे हैं जिससे कार्यकर्ताओं में यह संदेश जाए कि गुटबाजी अब नहीं है। सभी एक हैं, इसलिए एक के बाद एक ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं जिसमें पार्टी के दिग्गज नेता एक मंच पर नजर आएं। भोपाल में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सत्याग्रह किया तो अरूण यादव ने धार जिले के मोहनखेड़ा में किसान सम्मेलन किया। इसमें सभी पार्टी के दिग्गज नेता एक मंच पर नजर आए। अब भिण्ड जिले के लहार में सभी दिग्गज नेता जुटेंगे। इस सम्मेलन में कमल नाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मोहन प्रकाश, अरूण यादव, अजय सिंह, विवेक तन्खा, सुरेश पचौरी आदि नेता भाग लेंगे।
- भोपाल से अरविंद नारद