19-Jul-2017 09:14 AM
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मप्र की भाजपा सरकार के संकट मोचक, मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के सबसे चहेते व भाजपाई सियासत के नजरिए से ताकतवर मंत्री नरोत्तम मिश्रा इन दिनों संक्रमणकाल से गुजर रहे हैं। पेड न्यूज मामले में चुनाव आयोग की ओर से तीन साल के लिए अयोग्य घोषित किए गए जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के कारण राष्ट्रपति चुनाव में उनके मतदान करने की सारी संभावनाएं लगभग खत्म हो गई हैं। चुनाव आयोग पहले ही उनको संशोधित मतदान सूची में अयोग्य घोषित कर चुका है। दिल्ली हाईकोर्ट के याचिका खारिज किए जाने के बाद अब विपक्ष सरकार पर नरोत्तम मिश्रा से मंत्री पद से इस्तीफा लेने का दबाव बना रहा है। उधर, सरकार इस संदर्भ में विधि विशेषज्ञों से राय ले रही है।
इस बीच सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है की मानसून सत्र में नरोत्तम मिश्रा के बिना विपक्ष का मुकाबला कैसे कर पाएगी। नरोत्तम संसदीय प्रक्रिया के जानकार होने के साथ ही प्रखर वक्ता भी हैं। साथ ही वे संवेदनशील मौकों पर विपक्ष को भी साधने में माहिर हैं। इसलिए अगर वे मानसून सत्र में विधानसभा में अनुपस्थित रहते हैं तो सत्ता पक्ष कई मामले में कमजोर हो जाएगा। वैसे चुनाव आयोग और अदालत की सख्ती तथा विपक्ष के कड़े तेवर देखकर सरकार भी असमंजश में है।
ज्ञातव्य है कि चुनाव आयोग, मप्र हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के बाद दिल्ली हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिलने के बाद नरोत्तम मिश्रा फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है की दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस इंदरमीत कौर की स्पेशल कोर्ट के समक्ष सुनवाई के दौरान नरोत्तम मिश्रा की तरफ से दलील दी गई थी कि निर्वाचन आयोग ने काफी देर से फैसला लिया और उसे फैसला जल्द सुनाना चाहिए था। कहा गया कि 2008 के विधानसभा चुनाव में छपी खबरें उनके द्वारा सर्कुलेट नहीं की गई थीं। वहीं पूर्व विधायक राजेंद्र भारती की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि निर्वाचन आयोग को जांच तेजी से करना चाहिए, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं है। लंबा समय बीत जाने का ये मतलब नहीं कि भ्रष्ट आचरण माफ किया जा सकता है। पेड न्यूज का फैसला निर्वाचन आयोग की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति ने किया था। नरोत्तम का आरोप था कि चुनाव आयोग ने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर फैसला सुनाते हुए उन्हें चुनाव लडऩे के अयोग्य घोषित कर दिया।
अब दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के साथ ही नरोत्तम पर मंत्री पद से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया है। विपक्ष उनके इस्तीफे पर अड़ा है। उधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत कानूनी मामले पर टिप्पणी करने से इंकार करते हुए कहा कि भाजपा मिश्रा के साथ खड़ी है। उनका कहना है कि मिश्रा के मामले में कानून अपना काम कर रहा है और जो मामला अदालत में हो, उसके बारे में टिप्पणी करना उचित नहीं है। इस मामले में चुनाव आयोग का निर्णय न्यायालय के विचाराधीन है। न्यायालय का अंतिम निर्णय आने तक इंतजार किए जाने की आवश्यकता है, लेकिन पार्टी (भाजपा) मिश्रा के साथ थी, और आगे भी रहेगी। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का कहना है कि चुनाव आयोग नरोत्तम को अयोग्य घोषित कर चुका है। अब हाईकोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी, ऐसे में उन्हें मंत्री बने रहने का अधिकार नहीं है। वे सदन में भी नहीं बैठ सकते। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर हम विधि विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं। हमें ऐसा महसूस होता है कि मिश्रा इस मामले में कहीं दोषी नहीं है इसलिए न्याय प्राप्ति के लिए और क्या-क्या विकल्प हो सकते हैं। उस पर विचार जारी है।
इस्तीफा न हुआ तो कड़ा कदम उठाएगी कांग्रेस
नेता प्रतिपक्ष ने तो यहां तक चेतावनी दी है कि अयोग्य व्यक्ति को सदन में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। यदि वे मंत्री के तौर पर आए तो वह सब कुछ होगा जो अभी तक नहीं हुआ। कांग्रेस विधायक दल का मानना है कि वे अब न तो विधायक और न ही मंत्री के योग्य रहे। मुख्यमंत्री उनका इस्तीफा लें। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री को चाहिए वे मंत्री नरोत्तम मिश्रा का इस्तीफा लें।
-विशाल गर्ग