19-Jul-2017 08:59 AM
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दरअसल, मप्र में लगातार चौथी बार सरकार बनाने के लिए अतिविश्वास से भरी सरकार और भाजपा संगठन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आईना दिखाया है। संघ ने जबलपुर में महाकोशल, इंदौर में मालवा और भोपाल में मध्यप्रांत की बैठक में संगठन और सरकार के सामने उनकी असफलताओं की तस्वीर पेश की। जिसमें साफ-साफ कहा गया कि मंत्री नाकाम है, अधिकारी बेलगाम हैं और पदाधिकारी बदजुबान हैं, ऐसे में प्रदेश में लगातार चौथी बार सरकार कैसे बन पाएगी? संघ ने इस दौरान सरकार को मैदानी हकीकत से भी रूबरू कराते हुए कहा कि जिसे देखो वह अपनी ब्रांडिंग में लगा हुआ है। इससे भाजपा के खिलाफ माहौल बन रहा है और सरकार की 13 साल की मेहनत पर पानी फिर रहा है। 2003 से लेकर अब तक के कार्यकाल का बखान व ब्रांडिंग पर करोड़ों रुपए की फिजूलखर्ची पर संघ ने कहा, सरकार सिर्फ कागजी ब्रांडिंग कर खुश हो रही है, जबकि मैदानी स्तर पर असंतोष बना हुआ है। जरूरत है, योजनाओं से लोगों को सरलता से जोडऩे का प्रबंध करें।
लंबे समय बाद भोपाल में सत्ता-संगठन के समन्वय के लिए संघ द्वारा बुलाई गई समन्वय बैठक में माहौल बेहद गरम नजर आया। सरकार की नीतियों को लेकर ब्यूरोक्रेसी की कार्यप्रणाली पर लगभग सभी अनुषांगिक संगठनों ने सवाल उठाए। सभी का यह कहना था कि ब्यूरोक्रेसी बेलगाम हो गई है और मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती जा रही है। निरंकुश अफसर जनप्रतिनिधियों को उपेक्षित कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। संघ से जुड़े नेताओं के इन तल्ख तेवरों के बीच संघ के वरिष्ठ नेताओं के अलावा खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बैठक में मौजूद थे। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान मुख्यमंत्री प्रत्येक संगठन नेता की बात को गौर से सुनकर नोट करते रहे। गौरतलब है कि बैठक में संघ ने चुनिंदा पार्टी नेताओं और मंत्रियों को बुलवाया था। सूत्रों ने बताया कि बैठक में बाकी सभी लोग तो देर शाम तक मौजूद रहे लेकिन मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ दोपहर बाद सीएम हाउस पहुंच गए। जहां उन्होंने एक महत्वपूर्ण बैठक में संघ के नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों की समीक्षा की।
समन्वय बैठक में संघ के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने किसान आंदोलन को लेकर 162 पन्नों की रिपोर्ट संघ को सौंपी है। संघ ने इसे भाजपा को सौंप दिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मालवा में अफसरों की लापरवाही से उत्पादन का सही आंकलन नहीं हो पाया जिसके कारण समय रहते समर्थन मूल्य पर खरीदी की व्यवस्था नहीं हो पाई। इसके अलावा इस रिपोर्ट में भी समन्वय पर सवाल उठाए गए हैं। बैठक में संघ नेताओं ने भाजपा में अनुशासन की लगाम ढीली होने का मुद्दा भी उठाया। संघ का कहना था कि पिछले कुछ दिनों में नेताओं के बीच हुए आपसी विवाद से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। किसी नेता का नाम लिए बगैर संघ के एक आला नेता ने प्रदेश भाजपा संगठन को ऐसे मामलों पर तत्काल एक्शन लेने और इन पर विराम लगाने के निर्देश दिए। संघ का कहना था कि इस तरह के विवाद अगर बढ़े तो चुनावी साल में इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। संघ ने यह भी साफ कर दिया कि कोई नेता कितना भी बड़ा हो अगर वह पार्टी की लक्ष्मण रेखा पार करता है तो उस पर कार्यवाही होनी चाहिए। संघ ने यह भी कहा कि संगठन को इसके लिए आचार सहिंता तय करना चाहिए।
मंत्री और जनप्रतिनिधियों की सार्वजनिक बयानबाजी और असंसदीय भाषा के इस्तेमाल पर संघ ने नाराजगी जताई। बगैर किसी का नाम लिए बोला गया कि इस तरह के प्रकरण व्यक्ति विशेष का कॅरियर तो खराब करते ही हैं, संगठन को भी इसका नुकसान उठाना पड़ता है। संघ का इशारा गौरीशंकर बिसेन और सांसद बोध सिंह भगत के मामले की तरफ रहा।
ज्ञातव्य है कि जबलपुर में पिछले दिनों संपन्न हुई संघ के महाकौशल प्रांत की बैठक में मंत्रियों की परफार्मेंस पर चिंता जताई गई। बैठक में कहा गया की कई मंत्रियों के कार्य संतोषजनक नहीं हैं। अगर समय रहते मंत्री अपनी कार्यप्रणाली नहीं सुधारेंगे तो इसका विपरीत असर पड़ेगा। बताया जाता है कि महाकौशल, मालवा और मध्यभारत प्रांत की समन्वय बैठकों के बाद सत्ता और संगठन में बदलाव की संभावना है। सूत्रों की माने तो मंत्रियों और पार्टी नेताओं के कामकाज का संघ ने बैठक से पहले ही फीडबैक ले लिया था। तीनों प्रांतों की समन्वय बैठक में उसने इस फीडबैक से सीएम और संगठन के आला नेताओं को अवगत करा दिया है।
इंदौर में संपन्न मालवा प्रांत की बैठक में भी किसान आंदोलन और जीएसटी को लेकर बने माहौल का मुद्दा संघ की भाजपा सहित अन्य अनुषांगिक संगठनों की बैठक में उठा। दो मुद्दों पर जनाक्रोष के बाद अब संघ समय-समय पर अपने अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारियों से फीडबैक भी लेगा। चीन द्वारा देश विरोधी हरकतों को देखते हुए संघ चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए चरणबद्ध अभियान चलाएगा। संघ पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, वो अच्छी हैं, उसे लेकर हव्वा न बने और भ्रम की स्थिति न रहे। कार्यकर्ता यह न सोचे कि लोगों ने टीवी पर देख लिया होगा। अखबारों में पढ़कर समझ लिया होगा। कार्यकर्ता सरकार की नीतियों को जनता के बीच लेकर जाएं और उसे सरल शब्दों में समझाएं।
संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों के साथ सरकार की समन्वय बैठक में संघ पदाधिकारियों ने सरकार को जमकर लताड़ लगाई। कानून और व्यवस्था पर आरएसएस के प्रांत सह प्रचारक राजमोहन सिंह ने ग्वालियर में आरएसएस कार्यकर्ता पर हुई पुलिसिया कार्रवाई को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार है और हमारे ही कार्यकर्ता पर रासुका लगा दिया। सिंह ने प्रेजेंटेशन देते हुए प्रदेश में जगह-जगह सांप्रदायिक तनाव के दौरान आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हुई कार्रवाई के बारे में बताया। इस पर राजस्व मंत्री उमाशंकर भार्गव ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सरकार पर भरोसा रखना चाहिए। कई बार उत्तेजना के कारण हमारे लोग प्रतिक्रिया कर देते हैं, जिससे कार्रवाई की स्थिति बनती है। बैठक के दौरान संघ ने सरकार से पूछा कि प्रदेश में किसान बेहद नाराज हैं। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए सरकार के पास क्या योजनाएं हैं? संघ ने कहा कि सरकार के साथ-साथ संगठन भी पूरे आंदोलन को भांप नहीं पाया। इतना बड़ा आंदोलन कैसे खड़ा हो गया?
संघ का मानना है कि प्रदेश में भाजपा के निचले स्तर पर समन्वय ठीक नहीं है। यही वजह है कि जिलों में अक्सर राजनीतिक एवं प्रशासनिक विवाद सामने आ रहे हैं। चुनावों के पहले इन्हें दूर करने के लिए संघ पहली बार विभागस्तर पर समन्वय बैठकें करेगा। इसमें संबंधित विभाग से जुड़े विधायक, मंत्री और पार्टी पदाधिकारियों को बुलाया जाएगा। इसी सिलसिले में भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति 22 जुलाई को भोपाल में ही आयोजित की गई है। इसमें संघ की तीनों प्रांतों की बैठक से मिले फीडबैक के बारे में प्रदेश पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों को अवगत कराया जाएगा।
किसान आंदोलन सरकार की सबसे बड़ी विफलता
हिंसक हुए किसान आंदोलन को आरएसएस ने एक बार फिर सरकार की लापरवाही से जोड़ा है। सत्ता और संगठन को चेताया कि यदि अब लापरवाही हुई तो इसका असर मिशन 2018 और 2019 के परिणामों पर पडऩा तय है। राजधानी के होशंगाबाद रोड स्थित वृंदावन गार्डन में हुई मध्यभारत प्रांत की बैठक में संघ के तीनों प्रांतों के प्रमुख अरूण जैन ने किसान आंदोलन पर चिंता व्यक्त की। इस बैठक में संघ ने माना की किसान आंदोलन सरकार की सबसे बड़ी विफलता थी। संघ का मानना है कि किसान आंदोलन भाजपा नेताओं की किसानों के संवादहीनता के कारण इतने बड़े पैमाने पर फैला। संघ का यह भी मानना है कि जहां समय रहते संगठन नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने किसानों से संवाद कर लिया वहां हालात कन्ट्रोल में रहे। बैठक में प्रदेश में पिछले दिनों हुआ किसान आंदोलन चर्चा में रहा। संघ नेताओं का कहना था कि प्रदेश में किसानों के लिए पिछले ग्यारह सालों में खूब काम हुए हैं पर हम इन कामों को उनके बीच असरदार तरीके से पहुंचा नहीं पा रहे हैं। यही वजह है कि विरोधी दल को इस मसले पर राजनीति करने का मौका मिल गया है। बैठक में अनुषांगिक संगठनों का सहयोग लेकर किसानों के बीच जाकर काम करने की रणनीति तैयार की गई।
-रजनीकांत पांडे