कैसे पटेगा एकतरफा सौदा
19-Jul-2017 08:34 AM 1235250
सास-बहू के रिश्ते में मधुरता की उम्मीद के साथ कोई भी पिता अपनी बेटी को दूसरी महिला के हाथ में सौंप देता है, जोकि उसकी बेटी मां की उम्र की होती है। इसमें वह क्यों उस बहू के साथ बराबरी का कंपीटिशन बना लेती है। या यों कहिए कि देने के सिवा सिर्फ लेने का सौदा तय करना चाहती है और यदि वह न मिले तो उसे सरेआम बदनाम करती है ताकि वह दुनिया की नजरों में अपने आप को बेचारी साबित कर सके। क्योंकि वह एक नई लड़की के घर में कदम रखते ही घर में बरसों से चलती आई रामायण को महाभारत में बदल देती है, और सिर्फ स्वयं ही नहीं, घर के अन्य सदस्यों समेत उस पर चढ़ाई करने लगती है? इसी बात पर एक बार ब्रेंडा ने कहा था, एक्चुअली, शी यूज टू बी द क्वीन ऑफ द हाउस, नाऊ शी कैन नौट टोलरेट एनीबडी एल्स इन द हाउस।ÓÓ यानी कल तक सास ही घर की रानी होती थी, सारा राजपाट उसी का था, अब वह किसी और को घर में राज करते कैसे बरदाश्त करे।ÓÓ शायद ब्रेंडा ने सही कहा था, लेकिन क्या इस रिश्ते में खींचातानी की जगह प्यार व मिठास नहीं भरी जा सकती? यदि गहराई से सोचा जाए तो इस मिठास के लिए सास को राजदरबार की रानी की तरह नहीं, एक मालिन की तरह का व्यवहार करना चाहिए। जिस तरह से मालिन नर्सरी से लाए नए पौधे उगा कर, उन्हें सींच कर हरे-भरे पेड़ में बदल देती है, उसी तरह से अगर सास भी पराए घर से आई बेटी को अपने घर की मिट्टी में जड़ें फैलाने के लिए खाद पानी व धूप का पूरा इंतजाम कर दे तो बहू रूपी वह पौधा हराभरा हो सकेगा और निश्चित रूप से मीठे फल मिलेंगे ही। आज की लड़कियां भी चाहे जितनी भी आधुनिकता से भरी क्यों ना हो पर शादी और ससुराल और सास के नाम से सांस अटकती हैं। पर यदि वो ऐसे समय में आत्मविश्वास और विवेक से काम लें तो ससुराल के हर रिश्ते को ताउम्र के लिए अपना बना सकती है। शादी के बाद एक लड़की सिर्फ पत्नी नहीं बल्कि बहू, चाची, ताई, भाभी, देवरानी, बनती है इसलिए उसे उसी के अनुरूप अपने को ढालना चाहिए ताकि हर रिश्ते में आपके प्यार की झलक नजर आए। मनोचिकित्सक प्रांजलि कहती हैं कि आज की आधुनिकता भरी जिंदगी में जब लड़के की शादी की बात आती है तो सभी माता-पिता चाहते हैं कि लड़की ऐसी आए जो पूरे घर को संभालें। आज की लड़कियां भी चाहे जितनी भी आधुनिकता से भरी क्यों ना हो पर शादी और ससुराल और सास के नाम से सांस अटकती हैं। पर यदि वो ऐसे समय में आत्मविश्वास और विवेक से काम लें तो ससुराल के हर रिश्ते को ताउम्र के लिए अपना बना सकती है। वो कैसे? ससुराल में सास का रिश्ता हर रिश्ते से सर्वोपरि होता है। इसलिए सासू मां का दिल जीतने के लिए उनका विश्वास जीतना बहुत जरूरी होता है। एक बहू के रूप में आपको चाहिए कि सास की भावनाओं का सम्मान करें। उनके प्यार भरे व्यवहार में अपनेपन की झलक महसूस करें और उन्हें मां की भांति आदर दें। जब भी उनसे बोलें सोच-समझकर बोले। उनके स्वभाव को जानें, क्योंकि अगर आपको सास के स्वभाव  की अच्छी जानकारी होगी तो रिश्ते में कोई भी दिक्कत नहीं आएगी। बेहतर यही है अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सही व्यवहार से सासू मां का दिल जीतें। एक बात का खास ख्याल रखना चाहिए जिस तरह से आपकी मां आपको कुछ बुरा-भला कह देती है या फिर किसी बात पर डांट-डपट देती है लेकिन आप उनकी बात का बुरा नहीं मानती, ठीक उसी तरह अगर आपकी सासू मां भी आपको कुछ कह दे या किसी बात पर डांट दे तो आप ये ना सोचें कि आपको वह प्यार नहीं करती। अक्सर देखने में आता है जब लड़की मां और सास का भेदभाव अपने मन में पाल लेती है तभी परेशानियां बढ़ती हैं, जो कि गलत है। इसलिए यह भेदभाव मन में नहीं आना चाहिए। सबसे समन्वय बनाकर पाई जा सकती है खुशी ससुराल का मुखिया ससुर होता है इसलिए बहू का कर्तव्य बनता है कि वह ससुर का पूरा ध्यान रखें। उनसे नपे-तुले शब्दों में अपनी बात को कहें। उन्हें पिता की तरह उचित मानसम्मान दें। उनकी दिनचर्या संबंधी आदतों तथा पसंद नापसंद का ध्यान रखें। उनकी इच्छा के विरूद्ध कोई कार्य ना करें। एक पिता की तरह उनकी हर बात को ध्यान से सुनें। देवरानी-जेठानी के रिश्ते में प्रतिस्पर्धा व द्वेष की भावना ना रहे इसके लिए आपस में प्रेम बनाए रखें। जेठानी और देवरानी दोनों एक-दूसरे को छोटी-बहन के समान समझें। यदि एक-दूसरे को किसी की बात का बुरा लग जाता है तो अपनी बेइज्जती समझकर एक-दूसरे से लड़ाई करने की बजाए प्यार से बात करें व माफी मांग लें। छोटी-छोटी बातों में बहस ना करें। घरेलू कार्यों को लेकर झगड़े ना करें। बल्कि एक-दूसरे को पूर्ण सहयोग दें। एक-दूसरे की इच्छाओं और आवश्यकताओं का ध्यान रखें। ननद विवाहित हो या अविवाहित हर दृष्टि से उसका परिवार में महत्वपूर्ण स्थान होता है। उसके प्रति जरा सी अनदेखी पूरे घर को हिला के रख देती है, क्योंकि ननद, बहू और सास के बीच की कड़ी होती है। इसलिए ननद को ननद नहीं, बल्कि बहन की तरह सम्मान देने के साथ-साथ उसे अपना मित्र बनाएं। उसके साथ समय बिताएं। -ज्योत्सना अनूप यादव
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