घिर गए लालू
19-Jul-2017 07:38 AM 1234829
दो दशक बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव एक बार फिर संकट में घिरे नजर आ रहे हैं। चारा घोटाले में फंसने के बाद लालू को मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था। जेल भी जाना पड़ा और घोटाले में सजा भी हुई। चुनाव लडऩे पर रोक लगी सो अलग। रेलवे के होटलों की बिक्री घोटाले मामले में लालू यादव, उनके परिजनों और परिचितों के यहां सीबीआई छापों के साथ धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले भी दर्ज हुए। 1997 के चारा घोटाले में लालू अकेले फंसे थे लेकिन अब वे स्वयं, उनकी पत्नी और पुत्र उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और पुत्री भी फंसे हैं। उनके एक पुत्र तेजप्रताप पेट्रोल पंप आवंटन मामले में तो पुत्री मीसा भारती प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग के निशाने पर हैं। इन छापों को केन्द्र सरकार कानूनी कार्रवाई करार दे रही है तो लालू भाजपा पर उन्हें फंसाने का आरोप लगा रहे हैं। सीबीआई के अनुसार राबड़ी देवी पर यह आरोप है कि उन्होंने लालू के रेल मंत्री और अपने मुख्यमंत्री रहते हुए अपने नाम से 18 फ्लैट लिखवाए। सुशील मोदी ने अपने आरोपों में यह दावा किया है कि 18,652 स्क्वायर फीट में बने यह फ्लैट राबड़ी देवी के नाम पर हैं। सीबीआई ने राबड़ी देवी पर भी एफआइआर दर्ज किया है। सीबीआई एफआइआर के अनुसार आईआरसीटीसी डील में भी राबड़ी को भी फायदा पहुंचा है। लालू यादव के बड़े पुत्र कभी बांसुरी बजाकर, तो कभी जलेबी बनाकर सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में चर्चा का विषय बने रहते हैं। जानकारों की मानें, तो तेज प्रताप के पास योग्यता के रूप में राजनीतिक विरासत का होना बहुत बड़ा फैक्टर है। तेज प्रताप अपने दम पर पार्टी के किसी कोने को संभालने में सक्षम नहीं हैं। स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर अभी तक काम-काज भी सामान्य रहा है। सुशील मोदी के खुलासे की मानें तो तेज प्रताप को भाजपा सांसद रमा देवी ने जमीन दान में दी थी। 13 एकड़ जमीन 1992 में तेज प्रताप को गिफ्ट में मिली। उस समय तेज प्रताप की उम्र महज तीन साल कुछ महीने रही होगी। आरोपों के मुताबिक, यह जमीन तेज प्रताप द्वारा किये गये सेवा के नाम पर दी गयी। जमीन मुजफ्फरपुर के कुढऩी में है। साथ ही, यह भी आरोप है कि तेज ने गलत जमीन आवंटन के दस्तावेज देकर पेट्रोल पंप का आवंटन कराया और अपने मॉल की मिट्टी को बिना टेंडर चिडिय़ा घर को देकर मिट्टी घोटाले को अंजाम दिया। तेजस्वी यादव इस परिवार के एक अहम किरदार हैं। इसी वर्ष राजगीर में आयोजित पार्टी की बैठक में लालू यादव ने मंच से यह इशारा भी कर दिया, कि उनके बाद उनकी राजनीतिक विरासत को तेजस्वी ही संभालेंगे। तेजस्वी बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। तेजस्वी को लालू यादव ने अभी राजनीति में प्रोजेक्ट करने का काम ही शुरू किया था, तब तक सीबीआई ने अपने एफआइआर में उनका नाम जोड़ दिया। सीबीआई की एफआइआर के मुताबिक लालू के रेल मंत्री बनने के बाद सुजाता होटल्स के मालिक हर्ष और विनय कोचर, लालू के करीबी प्रेमचंद्र गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता और आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने एक साथ मिलकर कथित तौर पर वित्तीय और आपराधिक साजिश रची और इसी साजिश के तहत विनय कोचर ने 25 फरवरी, 2005 को पटना में तीन एकड़ की कीमती जमीन को महज 1.47 करोड़ रुपये में डिलाइट मार्केटिंग को बेच दी। जो सर्किल रेट से काफी कम थी। एफआईआर के मुताबिक इस कंपनी का मालिकाना हक पीसी गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के पास था, जो हकीकत में लालू यादव की बेनामी कंपनी थी। इसके लाभार्थी तेजस्वी यादव के अलावा लालू का पूरा परिवार भी है। पार्टी को एकजुट रखने का संकट लालू यादव एक हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति के अलावा चारा घोटाले के आरोपों से लगातार दो चार हो रहे हैं। 16 मई को आयकर विभाग ने लालू की बेनामी संपत्ति के 22 ठिकानों पर छापेमारी की, जबकि 7 जुलाई 2017 को 12 ठिकानों पर जिसमें पुरी, गुरूग्राम  दिल्ली, पटना, रांची और  भुनेश्वर के ठिकानों पर की गयी। उधर, हाल में राज्यसभा सांसद बनी बेटी मीसा भारती और दामाद शैलेश पर भी करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप है। मीसा व शैलेश पर आरोप है कि उन्होंने शैल कंपनियों के जरिये आने वाले पैसों से दिल्ली में फॉर्म हाउस खरीदे। वित्तीय गड़बड़ी को लेकर आयकर विभाग मीसा भारती से पूछताछ कर चुका है। कुल मिलाकर, इस बड़े सियासी परिवार के सामने चुनौती यह है कि इस संकट के समय पार्टी को एकजुट कैसे रखा जाये। लालू को यह आशंका पहले से है कि वह जेल जा सकते हैं। - विनोद बक्सरी
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