स्वर्णिम काल की ओर भारतीय क्रिकेट
02-Feb-2017 10:10 AM 1234825
पिछले दिनों इंग्लैंड के खिलाफ हुई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज ने भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल कुंबले को काफी ज्यादा मुश्किल में डाल दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि इस सीरीज में 4-0 से जीत हासिल करने के बाद भी उनकी यह परेशानी ज्यों की त्यों बनी हुई है। अक्सर कोच और कप्तान किसी खिलाड़ी द्वारा अच्छा प्रदर्शन न करने से परेशान रहते हैं लेकिन इन दोनों की परेशानी खिलाडिय़ों के अच्छे प्रदर्शन ने बढ़ा दी है। इस सीरीज के पहले टेस्ट मैच में लेग स्पिनर अमित मिश्रा के कोई खास प्रदर्शन न करने की वजह से दूसरे टेस्ट मैच में स्पिनर जयंत यादव को मौका दिया गया था। इस मैच में यादव ने चार विकेट लिये। साथ ही 35 और 27 नाबाद रन की पारियां भी खेलीं जिस वजह से उन्हें तीसरे टेस्ट मैच में भी मौका मिल गया। इस मैच में भी उन्होंने चार विकेट झटकने के साथ ही कठिन समय में एक अर्धशतकीय पारी खेली। इसके बाद चौथे टेस्ट मैच में तो उन्होंने कमाल करते हुए शानदार शतक लगा दिया। ऐसा ही कुछ राजस्थान के बल्लेबाज करूण नायर के साथ भी हुआ है। रोहित शर्मा के घायल होने के बाद इंग्लैण्ड के खिलाफ 16 सदस्यीय टीम में चुने गए नायर को अजिंक्य रेहाणे के चोटिल होने की वजह से पांचवें टेस्ट मैच में खिलाया गया। इस मैच में उन्होंने इतिहास रचते हुए तिहरा शतक लगा दिया। इन दो खिलाडिय़ों के शानदार प्रदर्शन ने ही कप्तान और कोच की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जहां नायर ने तिहरा शतक ठोक टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। वहीं, रणजी में दोहरा शतक लगा चुके हरफनमौला जयंत यादव के रूप में टीम को ऐसा स्पिनर मिला जो अमित मिश्रा के साथ-साथ रोहित शर्मा की जगह पर भी फिट बैठता दिख रहा है। ऐसे में कप्तान कोहली की मुश्किल यह है कि 2016 में टेस्ट में शानदार प्रदर्शन करने वाले अजिंक्य और रोहित दोनों को टीम में कैसे खिलायें। ऐसी ही मुश्किल का सामना उन्हें विकेट कीपर को लेकर भी करना पड़ रहा है। दूसरे टेस्ट मैच में ऋद्धिमान साहा के चोटिल होने के बाद पार्थिव पटेल को मौका दिया गया जिन्होंने चार पारियों में 195 रन बनाए। रणजी में भी वे लगातार शानदार प्रदर्शन भी कर रहे हैं। ऐसे में साहा और पार्थिव में से किसे खिलाया जाए इसे लेकर भी कप्तान और कोच चिंतित हैं। मुरली विजय, केएल राहुल, पुजारा, कोहली और रेहाणे से लेकर गेंदबाजों में अश्विन, जडेजा, शमी और भुवनेश्वर सभी टेस्ट में अच्छी फॉर्म बनाए हुए हैं। यही कारण है कि 84 सालों के इतिहास में भारत ने दूसरी बार पांच टेस्ट सीरीज में लगातार जीत हासिल की है। कोहली की कप्तानी में नंबर वन बनी भारतीय टीम ने श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड को हराकर पांच टेस्ट सीरीज जीतने का कार्तिमान स्थापित किया है। भारतीय टीम में ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि टीम में हर खिलाड़ी लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहा हो और उसके चोटिल होने पर मौका पाने वाला नया खिलाड़ी भी असाधारण खेल का प्रदर्शन कर दे। क्रिकेट के कई जानकारों का मानना है कि अब एक बार फिर भारतीय क्रिकेट का सुनहरा समय शुरू हो गया है। इन लोगों का कहना है कि केवल भारतीय टीम के लिए चुने गए 11 से 15 खिलाड़ी ही शानदार प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, बल्कि घरेलू क्रिकेट में भी एक से एक धुरंधर खिलाड़ी सामने आ रहे हैं। यदि रणजी ट्रॉफी के इस सीजन पर नजर डालें तो युवराज सिंह जैसे कई खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन के दम पर टेस्ट टीम में दावा ठोक रहे हैं। इसके अलावा इस सीजन में पांच युवा खिलाडिय़ों ने तिहरे शतक लगाए हैं। साथ ही कई रिकार्ड भी तोड़े गए हैं जिनमें गुजरात के सुमित गोहेल के नाबाद 359 रन काफी चर्चा में रहे हैं। यह दुनिया भर में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक ओपनिंग बल्लेबाज की अब तक की सबसे बड़ी पारी है। इसके अलावा इसी सीजन में रणजी का सबसे तेज शतक भी लगा है। दिल्ली के ऋषभ पंत ने 48 गेंदों में ही यह कारनामा कर डाला। जानकारों के मुताबिक भारतीय टीम के प्रदर्शन और इन प्रतिभाओं को देखकर कहा जा सकता है कि भारतीय क्रिकेट का स्वर्णिम काल शुरू हो गया है। वनडे हो या टेस्ट, क्रिकेट के हर फार्मेट में भारतीय क्रिकेट का भविष्य अच्छा नजर आ रहा है। लेकिन इसके बाद भी कुछ जानकार भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर आशंकाएं जाहिर कर रहे हैं। हालांकि, ये आशंकाएं क्रिकेट खेलने वालों से जुड़े न होकर उसे खिलवाने वालों यानी उसके प्रशासकों से जुड़ी हैं। -आशीष नेमा
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