17-Dec-2016 07:27 AM
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सड़कों की बदहाली को लेकर देशभर में बदनाम मध्यप्रदेश एक बार फिर चर्चा में आ गया है। दरअसल, हर मामले में अव्वल रहने की प्रदेश सरकार की परंपरा का निर्वहन करते हुए लोक निर्माण विभाग, मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण, ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने प्रदेश में गुणत्ताहीन सड़कों का ऐसा जाल बुन दिया है कि वह सरकार के लिए जी का जंजाल बन गया है। आलम यह है कि लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गई 63,637 किमी सड़क के अलावा मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण द्वारा बनाई गई 15,200 सड़कों का हाल बदहाल है। प्रदेश की सड़कों की बदहाली की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंच गई है। साथ ही लोकसभा में भी चिंता जाहिर की गई है।
दरअसल, मप्र में सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता के मापदंडों का पालन नहीं होता है। यह सब निर्माण एजेंसियों के अधिकारियों और इंजीनियरों की मिलीभगत से ठेकेदार करते हैं। इससे प्रदेश में अधिकांश सड़कें दो माह में ही खराब होने लगती हैं। प्रदेश में सड़कों की बदहाली की तस्वीर यह है कि शहर और गांवों की करीब 4,000 किमी सड़क खराब होने के साथ ही 1600 किमी नेशनल और स्टेट हाईवे की सड़कें खराब हैं। इनके निर्माण के लिए 2200 करोड़ रुपए की जरूरत है। लोनिवि के प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल कहते हैं कि प्रदेश में सबसे अधिक सड़कें भारी वाहनों के परिवहन से खराब हो रही है। सड़कों की गुणवत्ता को लेकर निरंतर समीक्षा की जा रही है। खराब सड़क निर्माण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई मेरी सड़क एप पर सड़कों के घटिया निर्माण की सबसे ज्यादा शिकायतों वाले प्रदेशों में मध्य प्रदेश बाकी प्रदेशों से कहीं आगे हैं। रिपोर्ट में सामने आया है कि एप के जरिए आनी वाली शिकायतों में मध्य प्रदेश पहले पांच राज्यों में शामिल है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने लोकसभा में इस बारे में जानकारी दी है। जानकारी में बताया गया है कि 20 जुलाई 2015 से 11 नवम्बर 2016 तक मध्यप्रदेश से 2182 शिकायतें दर्ज हुई हैं। जिनमें सड़कों के गुणवत्ताविहीन होने, घटिया सामग्री का इस्तेमाल और मेंटेनेंस न होने को लेकर शिकायत दर्ज की गई। इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें 1 अप्रैल 2016 से 11 नवम्बर 2016 के बीच दर्ज की गईं। इस दौरान कुल 2003 शिकायतें दर्ज हुईं। इस एप के माध्यम से आने वाली 2182 शिकायतों में से 992 को गंभीर माना गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार से जवाब मांगा गया है। मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंता एमके गुप्ता कहते हैं कि प्रदेश में सर्वाधिक सड़कें बनती हैं। इसलिए यहां की सबसे अधिक शिकायतें मेरी सड़क एप पर पहुंच रही है। यह ओपन एप है। इसलिए लोग शिकायतें करते हैं। जैसे ही शिकायत होती हैं 15 दिन के अंदर विभाग शिकायतों का निराकरण भी कर देता है। लेकिन एप पर निराकरण को दर्शाने के लिए व्यवस्था नहीं है इसलिए ऐसा लगता है कि शिकायतों की भरमार है।
यही नहीं कई जिलों में तो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से तैयार सड़क नेटवर्क तो नष्ट हो चुका है। लेकिन निर्माण एजेंसियां केवल शहरी क्षेत्र में सड़कों को दुरूस्त करने में जुटी हुई हैं। जानकारी के अनुसार, प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से तैयार सड़कों में से 140 सड़कें नष्ट हो चुकी हैं। सबसे अधिक सिंगरौली जिले की 43 सड़कें खराब हुई हैं। उसके बाद भोपाल की 22, छतरपुर की 20, सीहोर की 19, सिवनी की 19 और उज्जैन की 17 सड़कें हैं। तमाम सरकारी दावों के इतर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि प्रदेश में सड़कें इस कदर बदहाल हैं कि 2003 की स्थिति नजर आ रही है। सरकार को यह तस्वीर सता रही है और वह कर्ज लेकर इन्हें सुधारने में जुट गई है।
ठेकेदारों पर कार्रवाई
वर्ष 2012-16 के दौरान 125 ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड किया गया है। जिसमें से 60 इसी साल यानी 2016 में ब्लैक लिस्टेड किए गए हैं। वहीं 16 ठेकेदारों का लाइसेंस निरस्त किया गया है। इसके अलावा 216 ठेकेदारों को 1-2 साल के लिए सस्पेंड किया गया है। इनमें से 123 पर इसी साल कार्रवाई हुई है।
लक्ष्य में भी पीछे रह गया मध्यप्रदेश
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत सड़कों के निर्माण के लक्ष्य में भी मध्यप्रदेश पीछे है। वर्तमान सत्र 2016-17 में मध्यप्रदेश के पास 6200 किमी की सड़क बनाने का लक्ष्य है, लेकिन अभी तक सिर्फ 2628 किमी तक ही सड़क निर्माण हो पाया है। यानी आने वाले चार माह में 3572 किलोमीटर सड़क का निर्माण करना है। जो संभव नहीं लगता है। यही नहीं बसाहटों को जोडऩे के मामले में भी मध्यप्रदेश काफी पीछे है। इस साल के 2450 बसाहटों को जोड़ऩे के लक्ष्य की तुलना में अभी तक 467 बसाहटों को ही जोड़ा गया है। आंकड़ों की बात करें तो मध्यप्रदेश अभी आधे काम के लक्ष्य तक भी नहीं पहुंच पाया है। प्रदेश की बदहाल सड़कों को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायक भी परेशान हैं। लांझी विधायक हिना कांवरे का कहना है कि उनके विधानसभा क्षेत्र की परसोड़ी पंचायत और दो-तीन अन्य क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों से रेत के भारी ट्रकों के गुजरने से सड़कें खराब हो रही है। सतना जिले के रैगांव की बसपा विधायक उषा चौधरी का कहना है कि सड़कें इतनी जल्दी जर्जर हो रही हैं कि कल्पना भी नहीं कर सकते।
-विशाल गर्ग