01-May-2013 09:07 AM
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नौटंकी साला और कमांडो फिल्मों ने अच्छा कारोबार किया है। यह दोनों ही फिल्में औसत दर्शक खींचने में सफल रहीं। खास बात यह रही कि नौटंकी साला और कमांडो दोनों में ही नेक टू नेक फाइट

देखने को मिली। रोहन शिप्पी निर्देशित फिल्म नौटंकी साला का मुकाबला एक्शन फिल्म कमांडो से था।
दर्शकों ने इन दोनों ही फिल्मों में बराबर की दिलचस्पी लेकर दिखाया कि उन्हें एक्शन भी पसंद है और कॉमेडी भी। हालांकि नौटंकी साला ने कमांडो से थोड़ी बढ़त ली है। जबकि रिलीज के दिन कमांडो का कलेक्शन नौटंकी साला पर भारी था। फ्रेंच फिल्म एप्रेस मूव और बॉलीवुड फिल्म जाने भी दो यारों का मिश्रण है फिल्म नौटंकी साला। इस साल अब तक प्रदर्शित फिल्मों में यह सबसे ज्यादा मनोरंजक फिल्म है। निर्देशक रोहन सिप्पी ने कई बड़े बजट की फिल्में बनाकर भले दर्शकों को निराश किया हो लेकिन इस बार वह बिना स्टार कलाकारों के छोटे बजट में ही बढिय़ा फिल्म बनाने में सफल रहे। फिल्म की कहानी की रफ्तार भले थोड़ी धीमी चलती है लेकिन कहानी पथ से भटकी नहीं है यह निर्देशक की कामयाबी कही जा सकती है। आरपी राम परमार (आयुष्मान खुराना) थियेटर से जुड़ा हुआ भावुक इंसान है। उससे किसी का भी दुख नहीं देखा जाता और वह किसी भी कीमत में मित्रों और साथियों की मदद को तैयार रहता है। एक दिन उसकी मुलाकात मंदाल (कुणाल राय कपूर) से होती है जोकि अपनी जिंदगी से निराश होकर अपना जीवन खत्म करना चाहता है लेकिन आर.पी. उसे बचा लेता है।
अब आरपी की जिंदगी का मकसद बन जाता है कि वह कैसे भी मंदाल को खुष रख सके लेकिन इस चक्कर में वह अपनी दोस्त सीथा (एवलिन शर्मा) को समय नहीं दे पाता जिससे वह खुद को उपेक्षित महसूस करने लगती है। विकी डोनर में पंजाबी युवक की भूमिका बखूबी निभाने के बाद आयुष्मान ने इस बार थियेटर से जुड़े युवक की भूमिका में भी जान डाल दी। उन्होंने बहुत ही सहज अभिनय किया है। उन्होंने फिल्म में गाना भी गाया है जोकि अच्छा लगता है। कुणाल राय कपूर का काम भी दर्शकों को पसंद आएगा। पूजा साल्वी और एवलिन शर्मा ने भी दर्शकों को प्रभावित किया। फिल्म का गीत संगीत ठीकठाक बन पड़ा है।