कोर्ट से बाहर का नायक
03-Sep-2016 06:42 AM 1234814
खेल जगत में ऐसे कम ही खिलाड़ी होते हैं जो मैदान के अंदर जितने सफल होते हैं उतने ही बाहर। ऐसे मामले कम ही जब बेहतरीन खिलाड़ी दमदार कोच बने। 43 वर्षीय पुलेला गोपीचंद उनमें से एक हैं। भारतीय टीम को अपनी कप्तानी में वल्र्ड कप दिलाने वाले पूर्व क्रिकेटर कपिल देव जब भारतीय टीम के कोच बने तो असफल साबित हुए। खेलों के महाकुंभ में भारतीय खिलाडिय़ों ने अब तक दो बार बैडमिंटन में पदक जीता है। सायना नेहवाल ने लंदन ओलंपिक 2012 में कांस्य पदक और पीवी सिंधू ने रियो ओलंपिक में रजत पदक। खास बात यह है कि इन दोनों खिलाडिय़ों के जीत के लिए मैदान से बाहर राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने उतनी ही मेहनत की है। हैदराबाद में बैडमिंटन एकेडमी चलाने गोपीचंद ने पिछले कुछ सालों में भारत को कई बैडमिंटन स्टार दिए हैं। नेहवाल, सिंधू के अलावा रियो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने वाले किदांबी श्रीकांत, पी कश्यप, गुरुसाई दत्त, तरुण कोना जैसे बैडमिंटन खिलाड़ी गोपीचंद के शिष्य रहे हैं। 15 साल पहले पुलेला गोपीचंद ने बैडमिंटन का विंबलडन कहे जाने वाले ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब जीता था। ऐसा करने वाले वे प्रकाश पादुकोण के बाद दूसरे खिलाड़ी हैं। गोपीचंद ओलंपिक खेलों में पदक तो नहीं जीत सके लेकिन उन्होंने 1998 क्वालालंपुर राष्ट्रमंडल खेलों में व्यक्तिगत मुकाबले में कांस्य तथा टीम मुकाबले में रजत पदक प्राप्त किया। हैदराबाद के प्रकाशम में जन्मे गोपीचंद ने 12 साल की उम्र में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय प्रतिभा खोज कार्यक्रम में चमके जिसके बाद उनकी कामयाबियों का सिलसिला जारी है। पिछले 25 साल से गोपीचंद खिलाड़ी और कोच के तौर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का हिस्सा रहे हैं। दुनिया के चौथे नंबर के खिलाड़ी रह चुके गोपीचंद सिडनी ओलंपिक 2000 में बैडमिंटन में भाग लेने वाले एक मात्र खिलाड़ी थे, लेकिन सही कोचिंग नहीं मिलने की वजह से उनका सफर प्री-क्वार्टरफाइनल में थम गया। करियर में कई बार चोटिल होने की वजह गोपीचंद को अपना रैकेट टांगना पड़ा। एक समय गोपीचंद के पास बैडमिंटन रैकेट खरीदने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे। अपना पहला बैडमिंटन रैकेट खरीदने के लिए गोपीचंद को अपने घर के गहने बेचने पड़े थे। घर गिरवी रखकर खोला बैडमिंटन एकेडमी 13 साल पहले गोपीचंद को अपनी एकेडमी खोलने के लिए घर को गिरवी रखना पड़ा। 2003 में आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें 5 एकड़ जमीन दी थी, लेकिन बावजूद इसके गोपी को अपनी एकेडमी खड़ी करने के लिए 13 करोड़ रुपयों की जरूरत थी। घर गिरवी रखने से उन्हें तीन करोड़ रुपये मिले। इसके अलावा कारोबारी निम्मागड्डा प्रसाद ने उन्हें 5 करोड़ रुपये दिए जिससे उन्हें अपनी एकेडमी को शुरू करने के लिए जरूरत भर के पैसे मिल गए। सम्मान और पुरस्कार साल 2001 में राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किए जा चुके हैं। 2005 में उन्हें पद्मश्री, 2009 में उन्हें द्रोणाचार्य अवॉर्ड और 2014 में उन्हें देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी नवाजा जा चुका है। पीवी सिंधू के रजत पदक जीतने के बाद भारतीय बैडमिंटन संघ (बाई) ने गोपीचंद को 10 लाख रुपये नकद इनाम देने की घोषणा की है। मीडिया में आई खबरों के अनुसार जल्द ही गोपीचंद पर तेलगु और हिंदी में फिल्म बनने जा रही है। फिल्म का निर्देशन राष्ट्रीय अवॉर्ड जीत चुके निर्देशक प्रावीन सातारू करेंगे। गोपीचंद के लीड रोल में एक्टर सुधीर बाबू दिखेंगे। विवादों में भी रहे गोपी पिछले साल भारतीय बैडमिंटन युगल खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद नहीं चाहते कि वे टीम का हिस्सा रहें। हालांकि भारतीय बैडमिंटन संघ ने जवाला के इन आरोपों को हमेशा बेबुनियाद बताया है कि गोपीचंद ने उनका विरोध किया है। इसके अलावा दो साल पहले गोपीचंद से बैडमिंटन के गुर सीखने वाली सायना नेहवाल ने भारतीय खेल प्राधिकरण को पत्र लिखकर गोपीचंद को बैडमिंटन कोच पद से हटाने की मांग की थी। -आशीष नेमा
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