17-Aug-2016 06:23 AM
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अभी रियो ओलंपिक के लिए भारतीय टेनिस से जुड़े विवाद खत्म भी नहीं हुए थे कि भारतीय डबल्स टीम की पदक जीतने की उम्मीदें दम तोड़ गईं। लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना की जोड़ी रियो ओलंपिक के पहले ही दौर में हारकर बाहर हो गई।
ओलंपिक शुरू होने के पहले ही भारतीय टेनिस की पुरुष डबल्स टीम के चयन को लेकर काफी विवाद हुआ था। रोहन बोपन्ना ने पेस के साथ जोड़ीदार बनाए जाने पर नाखुशी जताई थी। मामला यहीं नहीं थमा और इन दोनों खिलाडिय़ों के बीच मनमुटाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पेस और बोपन्ना ने रियो की प्रैक्टिस भी एक-दूसरे से अलग की। इन दोनों की जोड़ी रियो में पदक जीतने के लिए कितनी बेमेल थी, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रियो ओलंपिक के पहले ही मुकाबले में भारत के ये दोनों स्टार खिलाड़ी मुकाबले में कहीं टिक ही नहीं पाए। पोलैंड के लुकास्ज कुबोट और मारसिन मैटकोवस्की की जोड़ी ने सीधे सेटों में पेस-बोपन्ना की अपने से कहीं चर्चित जोड़ी को 4-6, 6-7 से हराकर भारतीय अभियान शुरू होने से पहले ही उसे पटरी से उतार दिया। ओलंपिक में भारत ने टेनिस में एकमात्र पदक 1996 के अटलांटा ओलंपिक में जीता था, वह भी पेस ने सिंगल्स मुकाबले में जीता था। डबल्स में भारत ओलंपिक में टेनिस में कभी कोई पदक नहीं जीत पाया है।
वह भी तब जबकि लिएंडर पेस, महेश भूपति, सानिया मिर्जा जैसे सितारे एक-दूसरे के साथ या विदेशी जोड़ीदारों के साथ मिलकर 36 ग्रैंड स्लैम जीत चुके हैं, वह भी पिछले दो दशक के अंदर ही। ये सफलता किसी भी देश का सिर गर्व से ऊंचा करने के लिए काफी है। लेकिन फिर ये सवाल और भी कड़ा हो जाता है कि आखिर ये स्टार खिलाड़ी ओलंपिक में कभी देश को पदक क्यों नहीं दिलवा पाए?
ओलंपिक में भारतीय टेनिस के लिए पहला मेडल पेस ने 1996 के अटलांटा ओलंपिक में जीता। अटलांटा में जीते ब्रॉन्ज के अलावा सात बार ओलंपिक में उतरने के बावजूद लिएंडर पेस फिर कभी भारत को ओलंपिक में पदक नहीं जितवा पाए, जबकि इस बीच डबल्स और मिक्स्ड डबल्स में उन्होंने 18 ग्रैंड स्लैम अपने नाम किए। पेस और भूपति की जोड़ी ने अपने टॉप के दौर में 1999-2001 के बीच तीन ग्रैंड स्लैम खिताब पर कब्जा जमाया। लेकिन इसके बाद आपसी मनमुटाव के कारण ये जोड़ी टूट गई। 2004 के एथेंस ओलंपिक में ये दोनों फिर साथ खेले और भारतीय टेनिस डबल्स टीम अपने ओलंपिक इतिहास में पदक के सबसे करीब भी इसी ओलंपिक में पहुंची थी। पेस-भूपति की जोड़ी सेमीफाइनल में पहुंच गई, लेकिन अंत में ब्रॉन्ज के लिए हुए मुकाबले में कड़े संघर्ष के बाद भी हार गई।
2008 के बीजिंग ओलंपिक में पेस-भूपति की जोड़ी का सफर क्वॉर्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ सका। 2012 के लंदन ओलंपिक में दिखा कि कैसे स्टार खिलाड़ी अपने अहम की लड़ाई में देश का नुकसान करते हैं। एआईटीए ने पेस और भूपति को जोड़ीदार बनाने का फैसला किया लेकिन भूपति और रोहन बोपन्ना दोनों ही पेस के साथ खेलने को राजी नहीं हुए। तब एआईटीए ने पुरुषों की दो टीम भेजने का फैसला किया और भूपति और बोपन्ना की जोड़ी बनाई और पेस के जोड़ीदार बने विष्णुवर्धन।
इतना ही नहीं पेस ने धमकी दी कि अगर सानिया मिर्जा को मिक्स्ड डबल्स के लिए उनका जोड़ीदार नहीं बनाया गया तो वे ओलंपिक से नाम वापस ले लेंगे। आखिरकार मिक्स्ड डबल्स के लिए पेस और सानिया मिर्जा की जोड़ी बनाई गई। इतने विवादों के बाद लंदन ओलंपिक में पहुंचे ये सभी भारतीय टेनिस स्टार चारों खाने चित्त हो गए और एक बार फिर टेनिस में भारत को कई पदक नहीं मिल सका। रियो ओलंपिक के पहले भी टेनिस टीम का सिलेक्शन विवादों से अछूता नहीं रहा और इसका परिणाम फिर सिफर ही रहा।
-आशीष नेमा