इस दर्द की दवा नहीं!
01-Aug-2016 09:00 AM 1234870
जिस देश में एक महिला का चीर हरण होने पर महाभारत जैसा युद्ध हो जाता है, उस देश में चीर हरण की कौन कहे बलात्कार तो आम बात हो गई है। हां, सामुहिक बलात्कार पर समाज थोड़ा गंभीर मुद्रा में आ जाता है। लेकिन जब एक ही लड़की से कुछ वर्ष के अंतराल पर दोबारा बलात्कार होता है तो निश्चित रूप से निष्ठुर मन भी रो पड़ता है। ऐसे में जिस युवती के साथ ऐसा हुआ होगा उसकी स्थिति कितनी विकट होगी? मुुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के राज में एक युवती के साथ ऐसा कृत्य हुआ है कि पूरा देश हिल गया है। घटना भाजपा की हुकूमत वाले हरियाणा के रोहतक की है। घटना को समझने के लिए फ्लैश बैक चलते हैं। तीन साल पहले की बात है। प्रोफेसर बनने का सपना लिए कॉलेज जाती लड़की का बिगड़ैल बाप के पांच बेटे पीछा करते थे। एक दिन सुनसान स्थान पर घेर लेते हैं। कार से अपहरण कर सुनसान स्थान पर ले जाकर गैंगरेप करते हैं। छात्रा सबक सिखाने को ठान लेती है। छात्रा की तहरीर पर बिगड़ैल बेटों पर मुकदमा दर्ज होता है। बस फिर से वही पांच रईसजादे पीछे लग जाते हैं। 50 लाख रुपए में केस वापस करने को कहते हैं। जब छात्रा आबरू की कीमत लगाने को तैयार नहीं होती तो उसके साथ फिर वही दरिंदगी दोहराई गई, जो कि तीन साल पहले हुई थी। यह दुखद दास्तां हैं 20 साल की पिंकी (बदला नाम) की। जो शिक्षा हासिल कर आसमां छूने की ख्वाहिश रखती है, मगर खट्टर राज में कानून व्यवस्था की बदहाली ने उसे दो बार सामूहिक गैंगरेप का शिकार बना दिया।  यही नहीं, इस जघन्य वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी उसे मरने के लिए झाडिय़ों में फेंककर मौके से भाग गए। ये सभी आरोपी लड़की के गैंगरेप के आरोप में साल 2013 में गिरफ्तार भी किए गए थे लेकिन फिलहाल जमानत पर बाहर थे। दरअसल, भिवानी की रहने वाली पीडि़त लड़की रोहतक के कॉलेज से एमकॉम कर रही है। वो कॉलेज के पास ही किराए का रूम लेकर रहती है। 13 जुलाई की सुबह वो घर से कॉलेज के लिए निकली थी लेकिन शाम को वापस घर नहीं पहुंची। बाद में तलाश करने पर वो बेहोशी की हालत में सुखपुरा चौक पावरहाउस के पास झाडिय़ों में बेहोशी की हालत में बरामद हुई। लड़की और उसके घरवालों ने आरोप लगाया है कि पहले जिन लोगों ने लड़की का रेप किया था उन्हीं लोगों ने बदला लेने के लिए दोबारा उसके साथ ऐसा किया है। पीडि़ता के भाई ने कहा कि बहन के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपियों ने परिवार को पैसों की पेशकश कर केस को कोर्ट के बाहर ही सुलझाने के लिए कहा था, लेकिन हमें पैसा नहीं बल्कि इंसाफ चाहिए। पीडि़ता के भाई ने कहा कि पांचों आरोपियों में से दो तो साल 2013 में अरेस्ट किए गए थे, लेकिन जमानत पर बाहर आ गए थे। पांचों आरोपी- अनिल, जगमोहन, संदीप सिंह, मौसम कुमार और आकाश की उम्र 25 से 30 साल के बीच है। दरअसल, हमारे समाज में बलात्कार एक ऐसी बीमारी बन गई है जिसका फिलहाल कोई इलाज नजर नहीं आ रहा है। बलात्कार यह लफ्ज कितना असर करता है हम पर? क्या झनझना देता है हमारे मानस के तंतुओं को या हम ऐसी खबरों को देख-सुन कर निरपेक्ष भाव से आगे बढ़ जाते हैं? अगर हम संवेदनशील हैं तो ही खबर हमें स्पर्श करती है अन्यथा आमतौर पर यही प्रतिक्रिया होती है कि उफ, फिर वही बलात्कार की खबर? इसमें नया क्या है? अगर तरीका नया है तो खबर हमारे काम की, वरना एक स्त्री का लूटा जाना हमारे मन की धरा पर कुछ खास हलचल नहीं मचाता। रोहतक में दलित युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की गूंज संयुक्त राष्ट्र में भी सुनाई दी। यूनिसेफ की प्रमुख लैंगिक सलाहकार अंजू मल्होत्रा ने एक बयान में कहा कि भारत में दलित युवती के साथ उन्हीं पांच पुरूषों की ओर कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया जाना लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा से जुड़ी माफी की घृणित संस्कृति को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर की 12 करोड़ लड़कियों में से हर 10 में से एक लड़की यौन हिंसा का सामना करती है और इनमें से अधिकतर लड़कियों के साथ 15 से 19 साल की उम्र के बीच ऐसा होता है। उन्होंने कहा कि लेकिन सिर्फ गुस्सा काफी नहीं है। एक आम बात बन चुकी है। इस क्रूरता को खत्म करने के लिए और हिंसा के पीडि़तों को न्याय एवं सुरक्षा देने के लिए अब हमें कार्रवाई करने की जरूरत है। बेरोजगारी, पितृसतात्मकता और बलात्कार में बढ़ोतरी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2001 से 2011 के बीच देश में बलात्कार की घटनाओं में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसी अवधि में हरियाणा में बलात्कार के मामलों में करीब 85 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमंस एसोसिएशन की तरफ से दायर आरटीआई के जरिए मिले जवाब के मुताबिक अकेले रोहतक जिले में पिछले चार साल में बलात्कार की 125 घटनाएं हुई हैं। उनके पास मौजूदा समाचार पत्रों की प्रति के मुताबिक अकेले इस महीने के 15 दिनों में बच्चों और महिलाओं के साथ बलात्कार के 26 मामले सामने आए हैं। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमंस एसोसिएशन की महासचिव राजकुमारी दहिया बताती है कि राज्य में बढ़ती बेरोजगारी की वजह से युवा अपनी ऊर्जा गलत कामों में लगा रहे हैं। 2004 से 2014 के बीच रोहतक में 1,49,160 लोगों ने एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज के तहत अपना पंजीकरण कराया और इनमें से केवल 733 लोगों को नौकरी मिली। -माया राठी
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