06-Jul-2016 08:03 AM
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अगर प्रशासन सतर्क रहे तो किसी भी घटना, हादसा और विवाद के होने से पहले उससे निपटा जा सकता है। इसकी मिसाल पेश की है खरगोन कलेक्टर अशोक वर्मा ने। दरअसल खरगोन और खण्डवा सिमी का गढ़ माना जाता है। यहां छोटी सी चिंगारी भी विकराल रूप ले लेती है। ऐसे में कलेक्टर की अगुवाई में जिला प्रशासन ने जिस तरह सतर्कता दिखाई है वह काबिले तारीफ है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल जब नीरज दुबे यहां पर कलेक्टर थे तो दशहरा के समय पर शहर में कुछ इस तरह के हालात निर्मित हुए थे जिससे कई दिनों कफ्र्यू लगा रहा। इसलिए शहर संवेदनशील माना जा रहा है। ऐसे में 11 जून को कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा रमजान के पर्व के दौरान क्षेत्र विशेष में पथराव पर कानून-व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न किया गया। उस दिन पुलिस अधीक्षक अमित सिंह शहर से बाहर थे। जैसे ही घटनाक्रम की खबर मिली मौके की नजाकत को देखते हुए कलेक्टर अशोक वर्मा ने तत्काल मोर्चा संभाला और कोई बड़ी घटना होने से पहले ही मामले की अपने वश में ले लिया।
यही नहीं दो समुदायों को लड़वाकर सांप्रदायिक माहौल बिगाडऩे वालों के खिलाफ तत्परता दिखाते हुए उन्हें दबोच लिया गया। दरअसल यह वही लोग थे जिन्होंने 22 अक्टूबर 2015 को खरगोन में दशहरा के दिन रावण दहन के बाद आ रहे रामलला जुलूस पर पथराव करने के साथ ही मारपीट कर शहर का माहौल बिगाड़ा था। इससे शहर में कफ्र्यू के हालत निर्मित हुए और जनजीवन अस्त व्यस्त हुआ था। इस कारण आम जनता को खाने-पीने व अन्य आवश्यक सेवाओं से वंचित होकर परेशानियों का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार कलेक्टर की सतर्कता से न केवल एक बड़ी साजिश नाकाम कर दी गई बल्कि साजिश को अंजाम देने वालों को धर दबोचा गया। पुलिस ने जिन अपराधियों को पकड़ा है उनमें अदीप उर्फ मोहम्मद अदीब पिता कल्लू उर्फ मोहम्मद इब्राहिम निवासी 62 अंजूमन नगर एवं मोहम्मद सोहेल उर्फ टाईसन पिता हाली अब्दुल जरदार भुट्टों और अज्जू उर्फ अजय भदौरिया पिता भीम सिंह सुतारगली तालाब चौक शामिल हैं। इन आदतन अपराधियों को कलेक्टर ने लोक व्यवस्था एवं शांति बनाये रखने हेतु राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 3 (2) के अंतर्गत निरोध में लिए जाने का आदेश दिया। उसके बाद उक्त तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर दो को केन्द्रीय जेल बड़वानी तथा एक को केन्द्रीय जेल इंदौर भेजा गया। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो समुदायों के बीच रमजान या दशहरा के मौके पर झगड़ा फसाद कराने के लिए कई असामाजिक तत्व सक्रिय रहते हैं। लेकिन अपने अधिकार को लेकर अधिकारी आपस में इस तरह बटे रहते हैं कि वे जानकारी होने के बाद भी संवेदनशील मामलों में सतर्कता नहीं बरत पाते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि असामाजिक तत्व शांति से रह रहे लोगों को धर्म के नाम पर लड़वा देते हैं। अगर हर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी समझ कर कानून व्यवस्था की निगरानी करे तो खरगोन कलेक्टर जैसी वह भी मिसाल पेश कर सकता है।
कलेक्टर अशोक वर्मा ने एक बड़ी साजिश को नाकाम करने के लिए जिस तरह एसपी की अनुपस्थिति में कारगर कदम उठाया है उसकी न केवल जिले में बल्कि राजधानी भोपाल के अलावा अन्य जिलों में भी चर्चा हो रही है। खरगोन जिले के लोग कलेक्टर के इस कदम से राहत की सांस ले रहे हैं। खरगोन निवासी अभय नेमा कहते हैं कि जिस तरह कलेक्टर साहब ने एक बड़ा घटनाक्रम रोकने में तत्परता दिखाई है उससे लोगों को उम्मीद जगी है कि अब जिले में दो समुदायों को लड़ाने वालों की खैर नहीं है। वे पिछले साल का मंजर याद करते हुए कहते हैं कि दशहरे के दिन इन्हीं लोगों ने शहर में देर रात दो समुदायों के लोगों में विवाद करवा दिया था। जिस कारण पथराव और आगजनी की घटनाओं के बाद प्रशासन ने पूरे शहर में अनिश्चितकाल के लिये कफ्र्यू लगा दिया था। बिगड़े हालात पर काबू पाने के लिये पुलिस ने उपद्रवियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठी चार्ज करके भीड़ को तितर-बितर किया था। अगर इस बार कलेक्टर की अगुवाई में जिला प्रशासन तत्परता नहीं दिखाता तो निश्चित रूप से हालात विकट हो जाते।
उल्लेखनीय है कि जिन दोनोंं आरोपियों को इस बार रासुका के तहत जेल भेजा गया है। इन दोनों को पूर्व की घटना में भी दोषी मानते हुए गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में ये जेल से रिहा हो गए। वहीं खरगोन के व्यवसायी आनंद माहेश्वरी कहते हैं कि अभी तक हमें हमेशा इस बात का डर लगा रहता था कि शहर में पिछले साल की भांति फिर कभी माहौल न खराब हो जाए। लेकिन जिस तरह जिला प्रशासन ने सतर्कता दिखाकर एक बड़े बवाल को रोका है उससे अब हमारा विश्वास भी प्रशासन पर बढ़ा है।
-इंदौर से नवीन रघुवंशी