04-Jun-2016 09:44 AM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना ग्राम उदय से भारत उदय मध्यप्रदेश में आंकड़ेबाजी के फेर में फंसी हुई है। आलम यह है कि जमीनी तौर पर कोई भी काम नहीं कर रहा है। सब कागजी घोड़े दौड़ाकर खानापूर्ति कर रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब भी इस अभियान की समीक्षा करते हैं खामियां ही खामियां सामने आती हैं। 31 मई को जब मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कलेक्टरों और कमिश्नरों से फीड बैक ले रहे थे तो विरोधाभाषी बयानों से यह तथ्य सामने आया कि अधिकारी, मंत्री को तथा मंत्री, मुख्यमंत्री को बरगला रहे हैं।
दरअसल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कलेक्टर मुख्यमंत्री के सामने ग्राम उदय से भारत उदय अभियान के जो आंकड़े प्रस्तुत कर रहे थे वे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों से मैच नहीं खा रहे थे। आखिर ऐसा विरोधाभास क्यों? दरअसल किस अभियान की खानापूर्ति आंकड़ेबाजी से की जा रही है। यही कारण है कि जब-जब मुख्यमंत्री समीक्षा करते हैं कोई न कोई ऐसी बात सामने आती है जो शासन और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान जहां श्योपुर और मुरैना जिले के कलेक्टरों से सीएम ने जिले में किए गए कार्यों की जानकारी ली। कलेक्टरों ने क्षेत्र में किए गए बेहतर प्रयोग की जानकारी भी सीएम को दी। वहीं भिंड कलेक्टर की बारी आई तो वे भी बेहतर प्रयोग की जानकारी देने लगे इस पर सीएम ने उन्हें टोकते हुए कहा कि पहले काम-काज की रिपोर्ट दे, बाद में बेहतर प्रयोग की जानकारी दें। हालांकि सीएम इनके काम-काज से संतुष्ट नजर आए।
उधर वन-टू-वन चर्चा के दौरान सीएम ने कुछ कलेक्टरों के काम-काज से नाखुशी भी जाहिर की। अशोकनगर और सिंगरौली में इंदिरा आवास की किस्तें न मिलने पर सीएम ने समय पर किस्त जमा कराने के निर्देश दिए। पन्ना कलेक्टर की बारी आई तो वे बताने लगे कि जिलों में बेहतर काम हुआ है। इसके लिए उन्होंने प्रभारी मंत्री गौरीशंकर शेजवार का नाम लेते हुए कहा कि उन्होंने भी जिले के कामकाज पर संतोष जताया था। इस पर शेजवार ने भी सहमति जताई, लेकिन मुख्यमंत्री बोले यह तो बताओ कि काम क्या किया है, तो कलेक्टर बगले झांकने लगे। परंतु राधेश्याम जुलानिया को बात हजम नहीं हुई तो उन्होंने कहा कि खर्च क्यों बता रहे हो। काम बताओ। वहीं बड़वानी कलेक्टर के काम से भी मुख्यमंत्री संतुष्ट नहीं दिखे। प्रभारी मंत्री अंतर सिंह आर्य के उलझने पर संभागीय आयुक्त संजय दुबे ने बात को संभाला। जबकि दतिया, सीधी, रीवा और सागर जिलों में बेहतर काम-काज की तारीफ भी उन्होंने की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को चेतावनी दी कि वे ठीक ढंग से काम करें। उन्होंने कहा कि आपके एक-एक कार्य पर हमारी नजर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कलेक्टर यह ध्यान रखें कि बेहतर परफार्मेंस ही कलेक्टरी का आधार है। अच्छा काम नहीं हुआ तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर लगातार अफसरों की खिंचाई कर रहे हैं, लेकिन उस रिपोर्ट का कहीं पता नहीं है जो आईएएस अफसरों ने तीन दिन गांवों में रहकर बनाई थी। अगर पोर्टल, कलेक्टर और अन्य आईएएस अफसरों की रिपोर्ट का मिलान किया जाए तो सारी हकीकत सामने आ सकती है।
केंद्र की टीम ने खोली मप्र के दावों की पोल
आंकड़ेबाजी में उलझे मध्यप्रदेश के अफसर किस तरह काम कर रहे हैं इसका नजारा केंंद्र से आए चार सदस्यीय दल की रिपोर्ट में सामने आया है। दो प्रोफेसर एक आईएएस वाली इस टीम ने प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा कर वहां चल रही मनरेगा योजना की हकीकत जानने की कोशिश की। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के कई जिलों में मनरेगा के तहत काम करने वालों को तीन-तीन माह से पैसा नहीं मिला है। जबलपुर के शिवपुर में तो 2008 में जिन लोगों का जॉब काड बना है। उन्हें आज तक काम नहीं मिला है। जबकि वहां मनरेगा के तहत लगातार काम हो रहे हैं। गांवों में पेंशन स्कीम के तहत पैसा नहीं मिल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पेंशन का पैसा बढऩा चाहिए। साथ ही इन्हें इंडेक्स से जोडऩा चाहिए। और इसका तीन साल में रिव्यूकर पैसा बढ़ाना चाहिए। टीम ने यह रिपोर्ट भारत सरकार के ग्रामीण मंत्रालय के साथ ही प्रदेश सरकार को भी दी है।
-अक्स ब्यूरो