31-Mar-2016 09:32 AM
1234826
क्रिकेट के दीवाने इस देश को नया सुपरस्टार मिल गया है, विराट कोहली के रूप में, जिसमें अकेले दम पर मैच जिताने का माद्दा है। 18 गेंदों पर 39 रनों की जरूरत हो और सामने ऑस्ट्रेलिया की टीम हो तो 10 में से 8 बार आप मैच हार

जाएंगे। लेकिन अगर आपकी टीम में विराट कोहली खेल रहे हों तो आपको आस्ट्रेलिया क्या दुनिया की कोई भी टीम शायद ही हरा पाए। फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप वल्र्ड कप के नॉक आउट मुकाबले में खेल रहे हैं या फाइनल में। इस बात का अंदाजा 27 मार्च को मोहाली में टी20 वल्र्ड कप में टीम इंडिया से भिड़े कंगारुओं को अच्छी तरह हो गया होगा। विराट कोहली ने इस मैच में जिस परिपक्वता, आक्रामकता और सूझबूझ से बैटिंग की वैसी पारी हाल के वर्षों में सचिन तेंडुलकर को छोड़कर शायद ही किसी बल्लेबाज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली हो।
विराट की इस पारी की खासियत ये है कि उन्होंने ये रन वल्र्ड कप के क्वॉर्टर फाइनल बन चुके मुकाबले में टारगेट का पीछा करते हुए तब बनाए जब बाकी की टीम दबाव के भंवर में फंसकर राह भटकती हुई नजर आ रही थी। 161 रन के टारगेट में से विराट का स्कोर था 51 गेंदों पर 82 रन, यानी आधे से भी कम गेंदें खेलकर आधे रन उन्होंने अकेले बनाए। इसके बाद शायद ही इस पारी के बारे में कुछ और कहने की जरूरत पड़े। लेकिन अगर इस खिलाड़ी की चर्चा उस देश में हो रही हो जहां क्रिकेट को धर्म माना जाता हो तो फिर कहने को बहुत कुछ रह जाता है। इस धमाकेदार पारी के बाद इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या विराट कोहली दूसरे सचिन हैं? क्या विराट सचिन से बेहतर हैं? क्या वह क्रिकेट इतिहास के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बनने की ओर अग्रसर है? अगर सवाल इतने गंभीर हों तो थोड़ा विवेचना भी जरूरी है। क्रिकेट इतिहास में सिर्फ एक ही बल्लेबाज हुआ जिनकी औसत परफेक्ट हंड्रेड के करीब पहुंच गई, और वह थे ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन। अपने करियर में 52 टेस्ट मैच खेलने वाले ब्रैडमैन की औसत थी 99.94। जी हां, 100 की औसत के एकदम करीब। आप सोचेंगे कि आखिर क्यों विराट की तुलना सर ब्रैडमैन से की जा रही है जबकि ब्रैडमैन के जमाने में टी20 तो छोडि़ए वनडे तक का नामोनिशान नहीं था। तो इसकी वजह है विपक्षी टीम की गेंदबाजी को तहस-नहस कर देने की क्षमता और खुद पर अपने ही दम पर मैच जिताने का जो यकीन ब्रैडमैन में था वैसा क्रिकेट इतिहास में बहुत कम बल्लेबाज कर पाए हैं।
अब विराट कोहली में भी रनों की वही भूख नजर आती है। छोटे फॉर्मेट्स में ही सही, लेकिन वनडे और टी20 क्रिकेट में टारगेट का पीछा करते हुए वह एक अलग ही बल्लेबाज बन जाते हैं। आंकडें खुद इसकी बानगी देते हैं, टी20 क्रिकेट इतिहास में लक्ष्य का पीछा करते हुए सबसे बेहतरीन औसत विराट कोहली की है। टी20 क्रिकेट में टारगेट का पीछा करते हुए कोहली की औसत है 91.8 की, दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया के माइकल हसी हैं जिनकी औसत 52.6 की है, अंतर कितना बड़ा है और क्यों कोहली को छोटे फॉर्मेट्स में रन चेज का बादशाह कहा जा रहा है, अपने आप पता चल जाता है।
इतना ही नहीं सफतापूर्वक लक्ष्य का पीछा करने के मामले में भी कोहली का जवाब नहीं है। सफलतापूर्वक टारगेट चेज के 15 मैचों में कोहली की औसत 122.83 की है, इन मैचों में कोहली ने 131 की जोरदार स्ट्राइक रेट से 9 बार नॉट आउट रहते हुए 737 रन बनाए। ये आंकड़ें दिखाते हैं कि रन चेज के मामले में कोहली और बाकी के बल्लेबाजों के बीच कितना फासला है, वैसा ही जैसा कि टेस्ट इतिहास में सर डॉन ब्रैडमैन और बाकी के बल्लेबाजों के बीच रहा है। ब्रैडमैन की 99 से ज्यादा की औसत के बाद टेस्ट इतिहास में दूसरी सर्वश्रेष्ठ औसत ग्रीम पोलाक की रही है, उनकी औसत थी 60.97 की। इसलिए रन चेज के मामले में विराट सर डॉन ब्रैडमैन हैं!
कभी सचिन नहीं बन सकते विराट
किन्हीं दो महान खिलाडिय़ों की तुलना ही बेमानी है। लेकिन अगर लोग ये कह रहे हैं कि विराट दूसरे सचिन बन गए हैं, तो ये गलत है। विराट कभी सचिन बन ही नहीं सकते। विराट सिर्फ विराट हैं। उनकी अपनी खासियतें और खामियां हैं, जो उन्हें बेहतरीन बल्लेबाज बनाती हैं। वह अभी महज 27 साल के हैं लेकिन महानतम बल्लेबाज बनने की ओर अग्रसर है। फिर भी जिस समय और टीम के साथ विराट खेल रहे हैं जिसके साथ सचिन खेले उसकी तुलना संभव नहीं है।