कब तक शांत रहेंगी लपटें!
16-Mar-2016 08:40 AM 1234784

एक लंबे समय बाद हिंसा में सुलगता सीरिया अब अमन की राह पर है। यहां जारी गृहयुद्ध थोड़ी देर के लिए ठहर गया है। शांत हुई लपटों ने शांति की उम्मीदें जगाई हैं। 26 फरवरी को यहां गृह युद्ध पर विराम लग गया है। जिससे सीरिया के सबसे ज्यादा प्रभावित पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्र में लड़ाई थम गई। अमेरिका और सीरिया की मध्यस्थता में यह समझौता किया गया। पिछले पांच सालों से चल रहे गृहयुद्ध में पहली बार सीरिया में बड़ा अस्थायी संघर्षविराम लागू किया गया है।  गौरतलब है कि पांच साल से जारी इस युद्ध में करीब ढाई लाख लोग मारे जा चुके हैं और लगभग एक करोड़ एक लाख लोग बेघर हो चुके हैं। इनमें से 40 लाख लोगों को सीरिया छोड़कर जाना पड़ा है। इस युद्धविराम में सीरियाई सरकार और विद्रोही संगठन शामिल हैं, लेकिन इसमें कथित चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट और अलकायदा से जुड़ा अल-नुसरा फं्रट शामिल नहीं है। युद्धविराम लागू के कुछ घंटों के बाद रूस ने अपने लड़ाकू विमानों को रोक दिया।
युद्ध विराम से पहले सीरियाई सरकार और करीब 100 विद्रोही समूहों समेत विपक्ष ने कहा है कि युद्ध विराम की सफलता पर संदेह के बावजूद संघर्ष रोकने के लिए वह तैयार हैं। जबकि चरमपंथी गुट इस्लामिक स्टेट और अलकायदा से जुड़ा अल अल-नुसरा फं्रट युद्ध विराम के पक्ष में नहीं था। लिहाजा रूस इस्लामिक स्टेट और अल अल-नुसरा फं्रट पर हमले जारी रखेगा। उधर अल अल-नुसरा फं्रट ने भी अपने लड़ाकों से कहा है कि वह सीरियाई राष्ट्रपति असद की सरकार के सैनिकों पर अपने हमले तेज करें। जानकारों का मानना है कि यह युद्ध विराम कामयाब नहीं होगा, इसकी वजह यह है कि दो गुटों पर युद्ध विराम नहीं लगाया गया है। अमेरिका और रूस के नेतृत्व में बनी टास्क फोर्स युद्ध विराम की निगरानी कर रही है। इस प्रस्ताव को सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद और उनके विरोधियों ने मान लिया है। सीरिया की सरकार और रूस ने कहा है कि वह समझौते का पालन करेंगे। सीरिया में पिछले पांच साल से गृहयुद्ध चल रहा था। सीरियाई सेना पहले तो अपने देश के विद्रोहियों से लड़ रही थी। उसके बाद इस्लामिक स्टेट (आईएस) उसके लिए एक नया कहर बनके सामने आया। जिसने सीरिया को लगभग तबाह कर दिया। इस्लामिक स्टेट अभी भी यहां सक्रिय है। आईएस के डर से पलायन कर रहे सीरियाई लोगों का मुद्दा पिछले साल सुर्खियों में रहा था। सीरियाई शरणार्थियों को शरण देने से यूरोपीय देश मना कर रहे थे, तब संयुक्त राष्ट्र को इस संबन्ध में हस्तक्षेप करना पड़ा था। सीरिया में गृहयुद्ध के चलते लोगों के मारे जाने के अलावा यहां लगभग 290 ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासतें ध्वस्त हो गईं थीं।  पिछले साल सीरियाई सरकार अपने यहां आईएस और कुर्द सेनानियों के बीच गतिरोध को खत्म करने का कोई रास्ता नहीं निकाल पा रही थी। इस बीच सीरिया में रूस बमबारी कर रहा था। जिसमें बड़ी संख्या में मासूमों की जान जा रही थी। सीरिया के इस संकट पर पूरी दुनिया दो धड़ों में बंट गई थी। कुछ देश सीरियाई सरकार का समर्थन कर रहे थे तो कुछ देश सीरिया के असंख्य विद्रोही गुटों का समर्थन कर रहे थे। कुछ देश सीरिया में बमबारी के लिए रूस की निंदा कर रहे थे। सीरिया में हाल ही में लगे युद्ध विराम के कुछ ही दिन पहले यहां की सरकार ने घेराबंदी वाले सात शहरों (जहां सीरियाई सरकार के विरोधी थे) में मानवीय सहायता की अनुमति दी थी। नाकेबंदी वाले शहरों में लोग भूखों मर रहे थे। बच्चे कुपोषण के शिकार थे। लोग पेड़ की पत्तियों से अपना पेट भर रहे थे। इन लोगों ने सीरियाई सरकार से मदद की गुहार लगाई थी। सीरिया सरकार की तरफ से कोई मदद न दिए जाने के बाद इन लोगों ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ से मदद की गुहार लगाई थी। इसके बाद दुनिया के कई देशों ने सीरिया में युद्ध विराम और सहायता सामग्री भेजे जाने का काम तेज करने की भी मांग की थी। खैर, सीरिया में लगा यद्ध विराम कितना कामयाब होता है। यह तो वक्त बताएगा। फिलहाल आतंकी समूह इस्लामिक इस्टेट अभी भी भारत समेत दुनिया भर के देशों के लिए खतरा है। इसको खत्म करने या दुर्बल करने के लिए दुनिया भर के देशों को एक होकर कोई रणनीति अपनानी पड़ेगी। ताकि इस जहर को फैलने से रोका जा सके।
प्रमुख चोटियों पर अलकायदा का कब्जा
अलकायदा के सीरियाई संगठन और सहयोगी जिहादियों ने देश के उत्तर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया है। ये इलाके पहले शासन समर्थक बलों के अधिकार क्षेत्र में थे। सीरियाई मानवाधिकार वेधशाला ने कहा कि आतंकियों ने सरकार के समर्थकों के साथ युद्ध करके कल अलेप्पो शहर के दक्षिण में स्थित अल-ईस के तीन पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। वेधशाला प्रमुख रामी अब्देल रहमान ने बताया कि अल-नुसरा फं्रट, जुंद अल-अक्सा और अन्य समूहों ने केंद्रीय अल-ईस पहाड़ी चोटी और इसके आसपास बनी पहाडिय़ों पर भी कब्जा कर लिया। अपने हमले के दौरान जिहादियों ने पांच कार बम विस्फोट किए। अब्देल रहमान ने कहा कि ये पहाड़ी इलाके इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे अलेप्पो के बाहरी इलाकों में शासन की मौजूदगी को बल देते हैं और उन्हें दमिश्क की ओर जानेवाले मुख्य राजमार्ग के पास एक आधार देते हैं। अलेप्पो प्रांत में विभिन्न छोटे-बड़े क्षेत्र आते हैं, जिन पर अलग-अलग समूहों का अधिकार है। पूर्व में इस्लामिक स्टेट समूह प्रभावी है तो पश्चिम के अधिकतर इलाकों में विद्रोही समूहों का वर्चस्व है। इनमें कई अल-नुसरा से जुड़े हैं। अलेप्पो शहर के दक्षिण में मौजूद सरकारी बल उत्तर और पूर्व पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर चुके हैं।
-माया राठी

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