सिंहस्थ के काम अधूरे
16-Mar-2016 08:21 AM 1234856

गवान महाकाल की नगरी उज्जैन में पवित्र क्षिप्रा नदी के तट पर लगने वाले सिंहस्थ 22 अप्रैल से शुरू होगा, लेकिन आयोजन स्थल पर पसरी अव्यवस्था और अटके विकास कार्य संकेत दे रहे हैं कि आयोजन को लेकर कोई गंभीर नहीं है। सिंहस्थ के निर्माण कार्यों को पूरा करने के लिए कई समय सीमा बीत चुकी है लेकिन अब तक कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो सके हैं। जबकि प्रशासनिक अफसरों ने दम ठोक कर कहा था कि सारे काम फरवरी अंत तक पूरे हो जाएंगे, लेकिन कई बड़े काम पूरे नहीं हो सके हैं। अब सारे प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया गया है। लेकिन मौके पर जो नजारा देखने को मिल रहा है उससे नहीं लगता कि समयसीमा में काम पूरे हो सकेंगे।
सिंहस्थ के आयोजन स्थल का मुआयना करने पर अक्स की टीम ने पाया कि समागम में आए साधु-महात्मा से लेकर अधिकारी-कर्मचारी भी व्यवस्थाओं से संतुष्ट नहीं हैं। यानी जिनको काम मिला है वे अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों-कर्मचारियों को कहना है कि जिन लोगों को सिंहस्थ की परियोजनाओं में काम मिला है उन पर बड़े लोगों का हाथ है। वहीं मेला अधिकारी अविनाश लवानिया एक बड़े मंत्री के दामाद हैं। वे किसी की भी नहीं सुन रहे हैं। कलेक्टर कवींद्र कियावत अपनी ही धुन में मशगूल हैं इससे कमिश्नर रवींद्र पस्तोर अलग-थलग पड़ गए हैं। प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह कार्यों को गति देने के लिए सप्ताह में दो दिन दौरा कर रहे हैं। बराबर मीटिंग में आगबबूला हो रहे हैं, लेकिन वे भी किसी को कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं। यानी सिंहस्थ में सबकुछ भगवान भरोसे चल रहा है। हालांकि मेले की तैयारी की हकीकत मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तक जाहिर हो जाने के बाद जिस तरह सरकार के आला अफसरों ने मेला क्षेत्र का दौरा कर तैयारी की नब्ज टटोली, इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है। मेले में आए साधुओं के पड़ाव स्थलों पर बिजली, पानी, शौचालय की समस्या है। पड़ावों पर पानी, बिजली, शौचालय जैसी सुविधाएं जरूरी हैं। अखाड़ों के स्थायी निर्माण भी जल्दी समेटना जरूरी है। सिंहस्थ मेले के लिए आए साधुओं से अभी भी सुविधाएं दूर हैं। मेला क्षेत्र में पेयजल, बिजली, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा का टोटा साधुओं के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। जिन मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री की त्योरियां चढ़ी हुई है, उन्हें पूरा करने के लिए अधिकारी अभी भी तैयार नहीं हैं। यानी डांट खाकर भी अफसर नहीं सुधर रहे।
मेला क्षेत्र में जमीन के लिए साधुओं का भटकाव रुक नहीं पा रहा। आवाहन के समुंदर गिरिजी महाराज को पहले रंजित हनुमान क्षेत्र में ऐसी जगह जमीन दे दी जहां समतलीकरण भी नहीं किया जा सकता। समस्या देख दूसरी जमीन की मांग की। अब तक उन्हें जमीन नहीं मिली है। वे आंदोलन पर उतारू हैं। ऐसे कई मामले हैं। मेला कार्यालय में रोज कई साधु संत जमीन मामलों को लेकर चक्कर लगा रहे हैं। जिन्हें जमीन मिल गई है, उन्हें निजी खर्च से समतलीकरण कराना पड़ रहा है। कहीं बड़े गड्ढे हैं तो कहीं पेड़ और अन्य बाधाएं, जिनके कारण पड़ाव स्थल बनाना मुश्किल हो रहा है।
इस मामले में संभागायुक्त रवींद्र पस्तोर का कहना है कि सिंहस्थ शुरू होने से पहले सारे कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। अधिकारियों को मेला क्षेत्र में तेजी से काम पूरे करने के निर्देश दिए गए हैं। क्षेत्र में काम शुरू हो गया है। साधु-संतों की समस्याओं का जल्द ही निदान कर लिया जाएगा और उन्हें सभी सुविधाएं मिलेंगी। सिंहस्थ के दौरान आने वाले पांच करोड़ श्रद्धालु पवित्र क्षिप्रा नदी में स्नान करेंगे। इसके लिए करोड़ों रुपए खर्च करके घाटों का निर्माण कराया जा रहा है साथ ही उसका पानी भी साफ करने का दावा किया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि क्षिप्रा के किनारे अभी भी टूटे-फूटे और कच्चे हैं। नदी में कचरा, गंदगी साफ दिख रही है। मेला प्राधिकरण अध्यक्ष दिवाकर नातू कहते हैं कि जल्द ही क्षिप्रा की सफाई पूरी कर ली जाएगी। उधर केंद्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष माखन सिंह ने दावा करते हुए कहते हैं कि 31 मार्च तक सिंहस्थ से जुड़े तमाम काम पूरे कर लिए जाएंगे। उन्होंने स्वीकारा कि कुछ जगहों पर अब भी सुधार की जरूरत है। समतलीकरण और सुविधाओं को लेकर समस्याएं आ रही हैं। जिनका अब मौके पर ही निराकरण किया जा रहा है। सिंहस्थ से जुड़े अधिकारियों और पदाधिकारियों के दावे के विपरीत आयोजन स्थल पर जमीन बंटवारा, समतलीकरण, सड़क, बिजली, पानी और अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभाव देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसको लेकर चिंतित हैं और उन्होंने 13 मार्च को एक बार फिर से अधिकारियों के साथ बैठक कर व्यवस्थाओं को जल्द से जल्द दुरुस्त करने का निर्देश दिया है। अब देखना यह है कि व्यवस्था कब तक सुदृढ़ होती है।
चक्कर काटते चप्पलें चटकी, फिर भी नहीं हुए काम
महाराज चप्पलें चटक गई हैं जोन और सेक्टर कार्यालयों के चक्कर काटते। प्लाट का समतलीकरण भी नहीं हो रहा। प्लॉट पर बड़ा गड्ढा है। आप बताओ क्या करें। कोई अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है।  इन शब्दों के साथ रामानंदी तेरह भाई त्यागी खालसा के दर्जन भर साधु-संतों ने शुक्रवार दोपहर सिंहस्थ मेला प्राधिकरण अध्यक्ष दिवाकर नातू से मेला क्षेत्र में छाई अंधेरगर्दी और अव्यवस्थाओं की शिकायतें की। उनका कहना था कि अधिकारियों के पास छह दिन से चक्कर लगा रहे हैं। सुविधाएं नहीं होने से दूसरे आश्रम में रहना पड़ रहा है। यह शिकायत केवल इस खालसे की ही नहीं है। मेला क्षेत्र में पड़ाव लगाने आ रहे हर साधु संत को इस समस्या से जूझना पड़ रहा है। उन्हें सेक्टर से जोन और मेला कार्यालय तक दौड़ लगाना पड़ रही है। इस मशक्कत में समय और पैसा खर्च होने के साथ मानसिक तनाव भी झेलना पड़ता है।
सुरक्षा को लेकर पुलिस गंभीर नहीं
खुफिया विभाग ने सिंहस्थ में आतंकी हमले की आशंका जताई है लेकिन विसंगति यह है कि आयोजन स्थल पर सुरक्षा को लेकर पुलिस कतई गंभीर नहीं दिख रही है। पुलिस के पास इसका रिकार्ड ही नहीं है कि मेले में कौन कहां से आ रहा है। समागम में आए साधुओं ने बताया कि उनसे पुलिस ने इस संदर्भ में कोई पूछताछ ही नहीं की है। यही नहीं आयोजन स्थल पर बने पंडालों में कौन रह रहा है। वह व्यक्ति साधु है या कोई अन्य। उसके साथ कितने लोग है इन सबकी कोई जानकारी पुलिस के पास नहीं है। उधर पुलिस का दावा है कि वह सिंहस्थ में हर तरह के हालात से निपटने के लिए पुलिस तैयार हो रही है। सिंहस्थ के दौरान अगर आतंकी हमला भी हुआ तो उसे बेअसर कर दिया जाएगा। इसके लिए पुलिस खासतौर पर बुलेटप्रूफ मोर्चा (विशेष धातु की शीट) खरीद रही है। मोर्चा को एके 47, एके 56 सहित अन्य आधुनिक हथियारों की गोली भी नहीं भेद सकती, वहीं हैंड ग्रेनेड तक इस पर बेअसर साबित होता है। शहर से जुड़े प्रमुख मार्गों सहित 10 स्थानों पर स्पेशल पुलिस टीम मोर्चे के साथ तैनात रहेगी।  एएसपी क्राइम एवं सिंहस्थ मनीष खत्री कहते हैं कि सिंहस्थ में सुरक्षा को लेकर पुलिस सर्तक है। सुरक्षा के लिए आधुनिक उपकरण खरीदे जा रहे हैं। खासतौर पर शहर के प्रमुख मार्गों व शिप्रा नदी के तट रामघाट व दत्त अखाड़ा क्षेत्र की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं।
हाईटेक सिंहस्थ में हो रही झाड़ू से सफाई
एक तरफ सरकार ने सिंहस्थ को पूरी तरह हाईटेक कर रही है। वहीं दूसरी तरफ आलम यह है कि वहां की सफाई व्यवस्था मशीनों की जगह झाड़ू के सहारे चल रही है। सिंहस्थ परिसर में चल रहे निर्माण कार्यों से लेकर हो चुके निर्माण कार्यों की सफाई महिलाएं और पुरुष झाड़ू से कर रहे हैं। इससे हर तरफ कचरा नजर आ रहा है। दरअसल मैन पॉवर की कमी के कारण हर जगह सफाई नहीं हो पा रही है।  पड़ाव स्थलों पर गंदगी पसरी हुई है जिससे साधु संतों की नाराजगी देखने को मिल रही है। साधुओं का कहना है कि हम यहां तपस्या के लिए आए हैं, लेकिन मजबूर होकर हमें ही अपने परिसर की सफाई करनी पड़ रही है। अगर परिसर में मशीनों के सहारे सफाई होती तो हर जगह बराबर काम चलता रहता। इस तरह की कई अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही है।
रेलवे का पायलट प्रोजेक्ट बेपटरी
सिंहस्थ में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्टेशनों पर टिकट वेंडिंग मशीन, वाटर वेंडिंग मशीन और मल्टी आउटलेट यूनिट स्थापित करने की योजना बनाई गई। सभी काम पायलट प्रोजेक्ट के तहत होने थे, मगर सिंहस्थ से पहले ही ये सभी योजनाओं बेपटरी होती नजर आ रही हैं। वाटर वेंडिंग मशीन तथा मल्टी आउटलेट यूनिट की योजना को अभी तक अंजाम नहीं दिया गया।  मशीनों को संचालित करने की काउंसलर की भर्ती प्रक्रिया भी अधर में है। सिंहस्थ में उज्जैन में करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। करीब 5 लाख से अधिक यात्री रोज ट्रेनों में सफर करेंगे। ऐसे में रेलवे पर व्यवस्था का दारोमदार अधिक है।
-उज्जैन से श्याम सिंह सिकरवार

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