16-Jan-2016 11:09 AM
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पिछले दिनों नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग ने 300 वर्गमीटर, यानी 3200 स्क्वेयर फीट तक के आवासीय नक्शों की मंजूरी का काम निगम इंजीनियरों से छीनकर निजी आर्किटेक्ट को सौंप डाला। इसमें 32 से लेकर 300 वर्गमीटर तक

के आवासीय नक्शे शामिल किए गए। हालांकि शासन की मंशा यह रही कि खुद का मकान बनाने वालों को नगर निगम के चक्कर न काटना पड़ें और निगम इंजीनियरों को भेंटपूजा से भी वे बच सकें और आसानी से अपने किसी भी आर्किटेक्ट, जो कि निगम में पंजीकृत हो उससे नक्शा मंजूर करवा सकें। इसके पहले 24 घंटे में आवासीय नक्शा मंजूर करने की योजना भी लाई गई थी, जो आज तक सफल साबित नहीं हुई। शासन के इस आदेश और इसमें शामिल विसंगतियों को सविस्तार उजागर किया और शहर के तमाम जाने-माने आर्किटेक्ट और निजी इंजीनियरों ने स्पष्ट कहा कि वे इसलिए नक्शा मंजूर नहीं करेंगे, क्योंकि अवैध निर्माण न होने की जिम्मेदारी भी शासन ने उन पर डाल दी है, जिसे रोकना उनके बस में है ही नहीं। जब नगर निगम के सक्षम इंजीनियर ही तमाम अधिकारों के बावजूद अवैध निर्माण नहीं रोक पाए तो निजी आर्किटेक्ट किस अधिकार से इन निर्माणों को रोक सकेगा? भोपाल में कई होटल, बड़े-बड़े हॉस्पिटल और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान आवासीय नक्शे पर ही निर्मित हो गए हैं।
वहीं एक और विसंगति इस आदेश में यह थी कि इंदौर के मास्टर प्लान में 288 वर्गमीटर या उससे अधिक के भूखंड पर जी प्लस थ्री या मल्टी की अनुमति मिल जाती है। ऐसे में 300 वर्गमीटर, यानी 3200 स्क्वेयर फीट पर स्वयं के आवास का नक्शा मंजूर करवाकर कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से बहु इकाई, यानी मल्टी का निर्माण कर लेगा। ऐसे में निजी आर्किटेक्ट क्यों अपनी गर्दन फंसाएगा और निगम इंजीनियर भी उसे उल्टा ब्लैकमेल करेंगे। इस विसंगतिपूर्ण आदेश का यह परिणाम निकला कि अभी तक एक भी नक्शा मंजूर नहीं हुआ। वैसे भी निगम के सॉफ्टवेयर में इस आदेश के संदर्भ में पर्याप्त संशोधन भी करना पड़ेंगे। इधर शासन को जब यह विसंगति समझ में आई तो बजाय उसने इसमें सुधार करने या इसे वापस लेने के एक नया प्रयोग शुरू कर दिया। उसने कुछ आवासीय मकानों के मॉडल डिजाइन अलग-अलग प्लॉट साइजों के हिसाब से तैयार करवाए और इस तय मॉडल के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अपना मकान बनाना चाहता है तो वह ऑनलाइन आवेदन करेगा। उसके साथ सभी जरूरी दस्तावेज लगाएगा और कोई भी एक निर्धारित मॉडल प्लॉट साइज के हिसाब से चुनकर आवेदन करेगा तो बिना किसी आर्किटेक्ट या इंजीनियर के उसे नगर निगम से ऑनलाइन ही इस मॉडल के मुताबिक मकान बनाने की अनुमति मिलेगी। इसके लिए बिल्डिंग परमिशन फीस का मेमो जारी होगा और उसके साथ ही वह ऑनलाइन फीस चुकाकर मकान का निर्माण शुरू कर सकेगा। अभी शासन ने 32 वर्गमीटर से लेकर 300 वर्गमीटर तक के भूखंडों के लिए ऐसी अलग-अलग 5 मॉडल डिजाइन तैयार करवाई है। हालांकि इंदौर निगम के इंजीनियरों का ही कहना है कि ये मॉडल डिजाइन भी कम है और अधिक डिजाइन डालना पड़ेंगी। वहीं आजकल नित नई डिजाइन के मकान बन रहे हैं, ऐसे में जरूरी नहीं है कि कोई भी व्यक्ति इन निर्धारित मॉडल डिजाइन को ही पसंद करे। बहरहाल ये नया प्रयोग भी बहुत अधिक सफल साबित नहीं होगा।
अभी नक्शा मंजूरी के जो अधिकार इंजीनियरों को दिए जाते हैं, वे नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के तहत मिलते हैं और बाकायदा भवन अधिकारी को इस कार्य के लिए अधिकृत किया जाता है। इसका नोटिफिकेशन भी होता है। शासन ने जो निजी आर्किटेक्ट और इंजीनियरों को भवन अनुज्ञा जारी करने के अधिकार दिए हैं, इसका गजट नोटिफिकेशन 27.11.2015 को करवाया गया था। अब इसके अनुरूप नगर निगम ऐसे आर्किटेक्ट और इंजीनियरों को भवन अनुज्ञा जारी करने के लिए प्राधिकृत करेगा, जिन्हें कम से कम 10 साल का अनुभव हो और वे मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 के नियम 26 के तहत योग्यताएं रखते हों। इस संबंध में आयुक्त मनीष सिंह की ओर से विज्ञप्ति प्रकाशित करवाई गई है और आर्किटेक्ट व इंजीनियरों के आवेदन बुलवाए गए हैं। हालांकि निगम में पंजीकृत आर्किटेक्ट ही नक्शा मंजूर करवाते हैं, लेकिन इस आदेश के चलते उन्हें पंजीयन के साथ-साथ प्राधिकृत अधिकारी का दर्जा भी भवन अधिकारी की तर्ज पर ही देना पड़ेगा। हालांकि यह काम निगम स्तर पर ही होगा।
एक भी आर्किटेक्ट नक्शा मंजूरी को तैयार नहीं
शासन के नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग ने एक महीने पहले निजी आर्किटेक्ट को 300 वर्गमीटर तक के आवासीय नक्शे मंजूर करने के अधिकार दे दिए, मगर प्रदेशभर में निजी आर्किटेक्ट नक्शा मंजूर करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन पर ढेर सारी जवाबदारी डाल दी गई।
द्यभोपाल से अजयधीर